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रायपुरः निजीकरण के विरोध में बीमा कर्मचारियों ने किया विरोध-प्रदर्शन

ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारी हड़ताल पर है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कर्मचारियों ने पचपेड़ी नाका स्थित दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान कर्मचारी नेताओं ने कहा कि निजीकरण की इस योजना से कर्मचारी और उपभोक्ता दोनों को नुकसान होगा.

Insurance workers protest against privatization
निजीकरण के विरोध में बीमा कर्मियों ने किया विरोध-प्रदर्शन
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Published : Mar 17, 2021, 6:56 PM IST

रायपुरः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों की दो दिवसीय हड़ताल को खत्म हो गई है. बुधवार से सभी सरकारी बैंकों में सामान्य कामकाज शुरू हो गया है. सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारियों ने भी एक दिवसीय हड़ताल किया. सरकारी बीमा कंपनियों के कर्मचारी भी एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की योजना का विरोध कर रहे हैं.

निजीकरण से नुकसान
ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर हैं. रायपुर में कर्मचारियों ने सुबह 10 बजे से ही पचपेड़ी नाका स्थित दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में सामान्य बीमा क्षेत्र की सरकारी कंपनी दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नेशनल इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए.

कांकेर: बैंकों की हड़ताल से 500 करोड़ का ट्रांजेक्शन प्रभावित


निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन
ऑल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलाइज एसोसिएशन के संयुक्त सचिव धर्मराज महापात्र ने कहा कि केंद्र सरकार एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करना चाहती है. वे उसका विरोध कर रहे हैं. सरकार की योजना लागू हो गई तो इन कंपनियों में रखा हुआ लोगों का पैसा, निजी हाथों में चला जायेगा. यह किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है. निजीकरण से इन कंपनियों के कर्मचारियों के हित भी प्रभावित होंगे. सेवा सुरक्षित नहीं होगी. सरकारी नौकरियों में लगातार कटौती की जा रही है. निजीकरण के बाद इन क्षेत्रों में भी नए लोगों के रोजगार के अवसर बंद हो जाएंगे.

निजीकरण होने से सरकार का नियंत्रण खत्म होगा
बीमा कर्मियों ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का हिस्सा बेचे जाने का भी विरोध किया है. बीमा कर्मचारियों ने कहा कि ऐसा करने से गलत परंपरा की शुरुआत होगी. कंपनी से सरकार का नियंत्रण खत्म होने लगेगा. कंपनी बाजार के जोखिमों के अधीन हो जायेगी. इससे आम उपभोक्ता काे नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी. बीमा बाजार में अभी LIC की अकेली हिस्सेदारी 74 प्रतिशत से अधिक है. अगर ऐसा हुआ तो उपभोक्ताओं का भरोसा भी टूटेगा.

रायपुरः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों की दो दिवसीय हड़ताल को खत्म हो गई है. बुधवार से सभी सरकारी बैंकों में सामान्य कामकाज शुरू हो गया है. सरकारी सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारियों ने भी एक दिवसीय हड़ताल किया. सरकारी बीमा कंपनियों के कर्मचारी भी एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की योजना का विरोध कर रहे हैं.

निजीकरण से नुकसान
ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में सामान्य बीमा कंपनियों के कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर हैं. रायपुर में कर्मचारियों ने सुबह 10 बजे से ही पचपेड़ी नाका स्थित दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में सामान्य बीमा क्षेत्र की सरकारी कंपनी दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नेशनल इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए.

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निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन
ऑल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलाइज एसोसिएशन के संयुक्त सचिव धर्मराज महापात्र ने कहा कि केंद्र सरकार एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करना चाहती है. वे उसका विरोध कर रहे हैं. सरकार की योजना लागू हो गई तो इन कंपनियों में रखा हुआ लोगों का पैसा, निजी हाथों में चला जायेगा. यह किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है. निजीकरण से इन कंपनियों के कर्मचारियों के हित भी प्रभावित होंगे. सेवा सुरक्षित नहीं होगी. सरकारी नौकरियों में लगातार कटौती की जा रही है. निजीकरण के बाद इन क्षेत्रों में भी नए लोगों के रोजगार के अवसर बंद हो जाएंगे.

निजीकरण होने से सरकार का नियंत्रण खत्म होगा
बीमा कर्मियों ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का हिस्सा बेचे जाने का भी विरोध किया है. बीमा कर्मचारियों ने कहा कि ऐसा करने से गलत परंपरा की शुरुआत होगी. कंपनी से सरकार का नियंत्रण खत्म होने लगेगा. कंपनी बाजार के जोखिमों के अधीन हो जायेगी. इससे आम उपभोक्ता काे नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी. बीमा बाजार में अभी LIC की अकेली हिस्सेदारी 74 प्रतिशत से अधिक है. अगर ऐसा हुआ तो उपभोक्ताओं का भरोसा भी टूटेगा.

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