रायपुर: आज के समय में लोग मोबाइल, सोशल मीडिया, कंप्यूटर और लैपटॉप का इस्तेमाल अधिक कर रहे हैं. ऐसे में साइबर अपराध (Cyber crimes) भी बढ़ रहे हैं. इस युग में आपको टेक्नोलॉजी के बीच प्राइवेसी की जानकारी होना बहुत जरूरी है. प्राइवेसी का मतलब सिर्फ इतना नहीं कि आप अपने फोन, कंप्यूटर या व्हाट्सएप को पासवर्ड से लॉक कर दें. अगर आप मोबाइल में किसी तरह का कोई एप्लीकेशन डाउनलोड या इंस्टॉल कर रहे हो तो एप्लीकेशन खोलते समय एप्लीकेशन की ओर से आप से परमिशन मांगी जाती है. ऐसे परमिशन उसको पढ़े बिना अप्रूव नहीं करना चाहिए. वरना आपके मोबाइल में रखे फोटो से लेकर वीडियो तक का परमिशन एप्लीकेशन बनाने वाले के पास चल जाता है. आपका प्राइवेट डाटा भी लोग असानी से देख सकते हैं.
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ETV भारत ने साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा से बात की है. उन्होंने बताया कि किसी भी डिवाइस को हैक करने की दो ही तरीके होते हैं एक फिजिकल एक्सेस दूसरा नेटवर्क एक्सेस.
• फिजिकल एक्सेस (Physical access to hacking ) का मतलब है कि कोई व्यक्ति आपके फोन को अपने हाथ में लिया और आपके फोन में कोई ऐसा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर दिया हो या कोई सेटिंग चेंज कर दी हो जिसके जरिए वह आपके फोन को हैक कर सके. यूएसपी या केबल लगाकर कोई वायरस सॉफ्टवेयर आपके फोन पर इंस्टॉल कर दिया जाए तो इसे फिजिकल एक्सेस माना जाएगा.
• नेटवर्क एक्सेस का मतलब होता है कि आप किसी वाईफाई, इंटरनेट सोर्स, सोशल मीडिया से कनेक्टेड हो और किसी लिंक के माध्यम से आपके फोन पर रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर या कोई मालीशियस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर दिया जाए तो इसे नेटवर्क एक्सेस कहा जाएगा. (Network access on mobile )
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मोबाइल को हैक होने से कैसे बचाया जा सकता है?
• अपना फोन किसी अनजान व्यक्ति या जान पहचान के व्यक्ति को ना दें.
• अपने फोन पर हमेशा पैटर्न लॉक या पासवर्ड लॉक करके रखे.
• आप अपने फोन के सेटिंग पर जाकर आपके फोन में अननोन सोर्सेस से कुछ भी डाउनलोड करने का ऑप्शन ब्लॉक कर दें. नहीं तो आपके मोबाइल में कोई भी एप्लीकेशन डाउनलोड हो जाएगा. आपके मोबाइल डाटा को चोरी किया सकता है.
• प्ले स्टोर की सेटिंग में जाएं और वहां हमेशा यह देखे कि प्ले प्रोटेक्ट ऑन है या नहीं. प्ले प्रोटेक्ट अगर ऑन है तो हमेशा यह मालीशियस एप्लीकेशन को डिटेक्ट कर लेता है. आपको इन्फॉर्म कर देता है जिससे आप उस सॉफ्टवेयर को हटा पाएं.
• इसके अलावा आप अपने मोबाइल पर एक परचेस्ड एंटी वायरस (Use of anti virus) जरूर रखे. एंटी वायरस एप मोबाइल में हो रही है अनजान गतिविधियों पर नजर रखता है. एंटी वायरस को लगता है कि आपके मोबाइल में वायरस है तो आपको इनफॉर्म भी करता है.
साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा से जानिए डिजिटल युग में कैसे रहें सुरक्षित?
अगर सोशल मीडिया या फोन हैक हो तो क्या करें?
जब आप इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर रहे हों तो अपने फोन का इंटरनेट ऑफ रखें. (Hacking via Mobile Internet ) यह उस समय आपके लिए जरूरी होगा जब आपको लगता है कि आपका फोन हैक चुका है. इससे यह होगा कि आपका डाटा किसी के पास ट्रांसफर नहीं होगा. क्योंकि मोबाइल पर इंटरनेट नहीं होगा. ऐसे में कोई आपका डाटा ट्रांसफर नहीं कर सकता है.अगर आपको ऐसा अंदेशा हो रहा है कि आपका चैट कोई पढ़ रहा है या आपके फोन में कोई अननोन चीज हो रही है तो आप अपने फोन को फैक्ट्री रिसेट जरूर कर लें. इससे आपका फोन सुरक्षित रहेगा.