रायपुर: छत्तीसगढ़ के जेलों में बंद बंदियों की मेहनत रंग लाई है. इन बंदियों के द्वारा निर्मित उत्पादों से जेल को 2.80 करोड़ रुपये की आय हुई है. इस बात की जानकारी गृह विभाग ने दी है.
बंदियों के पुर्नवास के लिए जेलों में व्यवसायिक प्रशिक्षण
जेल मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि प्रदेश के जेलों को सुधार गृह के रूप में परिवर्तित करने की दिशा में काम किया जा रहा है. राज्य शासन बंदियों के कल्याण और उनके पुर्नवास के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है. उन्होंने बताया कि बंदियों के पुर्नवास के लिए राज्य की जेलों में सिलाई, बुनाई, लौह, लकड़ी, बांस, जूट, ऑफसेट स्क्रीन प्रिंटिंग, साबुन, मसाला सहित 13 विभिन्न प्रकार के उद्योग संचालित है.
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2.80 करोड़ रुपये की आय
राज्य में कुल 33 जेल हैं. इनमें 5 केंद्रीय जेल, 12 जिला जेल और 16 उपजेल है. केंद्रीय जेल रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर और दुर्ग में साल 2020 में कैदियों के बनाए हुए सामान से 2 करोड़ 79 लाख 91 हजार रुपये की आय हुई है.
केंद्रीय जेलों में 892 बंदी प्रशिक्षणरत
केंद्रीय जेलों में 332 प्रशिक्षित कैदी करीब 892 कैदियों को विभिन्न उद्योगों में प्रशिक्षण देते हैं. केंद्रीय जेलों में ऑफसेट और स्क्रीन प्रिंटिंग प्रेस, काष्ठ कला, साबुन, वाशिंग पाउडर और फिनॉयल, सिलाई, बुनाई, लौह, बांस शिल्प, मसाला, कशीदाकारी, मरवाही आर्ट, केकती और जूट उद्योग संचालित है.