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SPECIAL: कितनी थी छत्तीसगढ़ के पहले बजट की राशि, किस पर सबसे ज्यादा खर्च करती है सरकार

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Published : Feb 18, 2020, 12:00 AM IST

Updated : Mar 3, 2020, 12:01 AM IST

छत्तीसगढ़ ने देश के नक्शे पर तेजी से विकसित होने वाले प्रदेश के तौर पर पहचान बनाई है. राज्य के बजट के इतिहास पर नजर डालें तो साल दर साल राशि बढ़ती गई. ETV भारत आपको बता रहा है कि प्रदेश के पहले बजट की राशि कितनी थी और सबसे ज्यादा किसे तवज्जो किसे दी गई.

छत्तीसगढ़ के पहले बजट की राशि
छत्तीसगढ़ के पहले बजट की राशि

रायपुर: प्राकृतिक और खनिज संपदाओं से भरपूर छत्तीसगढ़ के बजट ने एक लाख करोड़ की राशि पार कर ली है. वर्तमान में ढाई करोड़ की जनसंख्या वाला ये प्रदेश जब मध्य प्रदेश से अलग हुआ था तो विकास की डगर धुंधली थी. अजीत जोगी मुख्यमंत्री बनाए गए थे और वित्त विभाग सौंपा गया था स्वर्गीय डॉक्टर राममचंद्र सिंहदेव को. ETV भारत आपको छत्तीसगढ़ के बजट का सफर पर लेकर निकल चुका है. हम बताएंगे कैसे हजार करोड़ का बजट 20 साल में लाख करोड़ के आंकड़े पर पहुंच गया.

अलग राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ ने देश के नक्शे पर तेजी से विकसित होने वाले प्रदेश के तौर पर पहचान बनाई है. इस बात को प्रमाणित करता है राज्य का बजट, जो साल दर साल बढ़ता गया. इन सालों में छत्तीसगढ़ ने जेंडर और कृषि बजट की शुरुआत की. भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी राज्यों की वित्तीय स्थिति पर साल 2019-20 के प्रतिवेदन में उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ कुल बजट में से विकास कार्यों पर खर्च के मामले में नंबर वन है. इसके साथ ही सामाजिक क्षेत्र में व्यय पर राष्ट्रीय औसत से अधिक है.

सबसे ज्यादा कृषि को तवज्जो

छत्तीसगढ़ के बजट पर नजर डालें तो पाएंगे कि सरकार कृषि के लिए सबसे ज्यादा राशि आवंटित करती है. कृषि के बाद शिक्षा और फिर ट्रांसपोर्ट. पानी सप्लाई, सफाई और घरों का चौथा नंबर तो पांचवें नंबर पर सरकार ग्रामीण विकास पर खर्च करती है. छठे नंबर पर है स्वास्थ्य और परिवार कल्याण का नंबर आता है. पिछले बजट के आंकड़े पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा ग्रामीण विकास के लिए जारी होने वाली राशि में बढ़ोतरी हुई, वहीं दूसरे नंबर पर पुलिस महकमा था. हालांकि पिछली बार कृषि के क्षेत्र में कटौती देखने को मिली थी.

डेटा
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सबसे ज्यादा कृषि को तवज्जो
सबसे ज्यादा कृषि को तवज्जो

आपकी जानकारी के लिए जरूरी-

स्वर्गीय डॉक्टर राममचंद्र सिंहदेव ने जब साल 2001-02 के लिए प्रदेश का पहला बजट पेश किया तो राशि थी महज 7 हजार 294 करोड़ रुपए. जैसे-जैसे साल बढ़े, विकास बढ़ा, वैसे-वैसे राशि बढ़ती गई. भूपेश बघेल ने 2018-19 में 1 लाख 50 हजार 170 रुपए का बजट पेश किया. जिसमें तीन अनुपूरक बजट शामिल हैं.

एक नजर राममचंद्र सिंहदेव के बजट पर-

  • राममचंद्र सिंहदेव ने 2001-02 में कुल 7 हजार 294 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था.
  • 2002-03 तक में 8 हजार 471 करोड़ के आम बजट के साथ एक अनुपूरक बजट पेश किया था.
  • 2003-04 तक में 9 हजार 978 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया. साथ ही दो अनुपूरक बजट पेश किया गया था.
  • इस तरह आप देखें तो राममचंद्र सिंहदेव ने जो 3 बजट पेश किए उनमें पहले और तीसरे में करीब 2 हजार 7 सौ करोड़ से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई.

2003 में भाजपा आई, अमर अग्रवाल वित्त मंत्री बने. बीजेपी के शासनकाल में अमर अग्रवाल को वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. अमर अग्रवार को बतौर वित्त मंत्री 3 साल बजट पेश करने का मौका मिला. उन्होंने पहला बजट 2004-05 में 10 हजार 555 करोड़ का पेश किया यानी राममचंद्र सिंहदेव के आखिरी बजट से एक हजार करोड़ रुपए ज्यादा का.

एक नजर अमर अग्रवाल के बजट पर-

  • 2004-05 में अमर अग्रवाल ने 10 हजार 555 करोड़ रुपए का बजट पेश किया जिसमें दो अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2005-06 में अग्रवाल ने 11 हजार 242 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2006-07 में अमर ने 13 हजार 185 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.

2006 में अमर अग्रवाल ने वित्त विभाग की जिम्मेदारी छोड़ी और तत्कालीन सीएम रहे रमन सिंह ने वित्त विभाग की जिम्मेदारी ले ली. रमन सिंह ने 12 बार बजट पेश किया. 2007 से लेकर 2018 तक रमन के बजट की राशि बढ़ती गई.

  • 2007-08 में 16 हजार 473 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2008-09 में 19 हजार 392 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें दो अनुपूरक बजट शामिल थे.
  • 2009-10 में 23 हजार 482 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें दो अनुपूरक बजट शामिल थे.
  • 2010-11 में 26 हजार 099 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2011-12 में 32 हजार 477 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीनअनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2012-13 में 39 हजार 677 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीनअनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2013-14 में 44 हजार 169 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट शामिल थे.
  • 2014-15 में 54 हजार 710 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट भी शामिल थे.
  • 2015-16 में 65 हजार 013 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2016-17 में 76 हजार 032 रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2017-18 में 88 हजार 599 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें चार अनुपूरक बजट शामिल थे.

2007-08 में जब रमन सिंह ने बजट पेश किया था तो राशि 16 हजार 473 करोड़ रुपए थी जो साल 2017-18 में बढ़कर 88 हजार 599 करोड़ रुपए हो गई. इन सालों में 72 हजार करोड़ रुपए की राशि बढ़ी.

भूपेश बघेल ने 2018-19 में 1 लाख 50 हजार 170 रुपए का बजट पेश किया. जिसमें तीन अनुपूरक बजट शामिल रहे.

रायपुर: प्राकृतिक और खनिज संपदाओं से भरपूर छत्तीसगढ़ के बजट ने एक लाख करोड़ की राशि पार कर ली है. वर्तमान में ढाई करोड़ की जनसंख्या वाला ये प्रदेश जब मध्य प्रदेश से अलग हुआ था तो विकास की डगर धुंधली थी. अजीत जोगी मुख्यमंत्री बनाए गए थे और वित्त विभाग सौंपा गया था स्वर्गीय डॉक्टर राममचंद्र सिंहदेव को. ETV भारत आपको छत्तीसगढ़ के बजट का सफर पर लेकर निकल चुका है. हम बताएंगे कैसे हजार करोड़ का बजट 20 साल में लाख करोड़ के आंकड़े पर पहुंच गया.

अलग राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ ने देश के नक्शे पर तेजी से विकसित होने वाले प्रदेश के तौर पर पहचान बनाई है. इस बात को प्रमाणित करता है राज्य का बजट, जो साल दर साल बढ़ता गया. इन सालों में छत्तीसगढ़ ने जेंडर और कृषि बजट की शुरुआत की. भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से जारी राज्यों की वित्तीय स्थिति पर साल 2019-20 के प्रतिवेदन में उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ कुल बजट में से विकास कार्यों पर खर्च के मामले में नंबर वन है. इसके साथ ही सामाजिक क्षेत्र में व्यय पर राष्ट्रीय औसत से अधिक है.

सबसे ज्यादा कृषि को तवज्जो

छत्तीसगढ़ के बजट पर नजर डालें तो पाएंगे कि सरकार कृषि के लिए सबसे ज्यादा राशि आवंटित करती है. कृषि के बाद शिक्षा और फिर ट्रांसपोर्ट. पानी सप्लाई, सफाई और घरों का चौथा नंबर तो पांचवें नंबर पर सरकार ग्रामीण विकास पर खर्च करती है. छठे नंबर पर है स्वास्थ्य और परिवार कल्याण का नंबर आता है. पिछले बजट के आंकड़े पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा ग्रामीण विकास के लिए जारी होने वाली राशि में बढ़ोतरी हुई, वहीं दूसरे नंबर पर पुलिस महकमा था. हालांकि पिछली बार कृषि के क्षेत्र में कटौती देखने को मिली थी.

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सबसे ज्यादा कृषि को तवज्जो
सबसे ज्यादा कृषि को तवज्जो

आपकी जानकारी के लिए जरूरी-

स्वर्गीय डॉक्टर राममचंद्र सिंहदेव ने जब साल 2001-02 के लिए प्रदेश का पहला बजट पेश किया तो राशि थी महज 7 हजार 294 करोड़ रुपए. जैसे-जैसे साल बढ़े, विकास बढ़ा, वैसे-वैसे राशि बढ़ती गई. भूपेश बघेल ने 2018-19 में 1 लाख 50 हजार 170 रुपए का बजट पेश किया. जिसमें तीन अनुपूरक बजट शामिल हैं.

एक नजर राममचंद्र सिंहदेव के बजट पर-

  • राममचंद्र सिंहदेव ने 2001-02 में कुल 7 हजार 294 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था.
  • 2002-03 तक में 8 हजार 471 करोड़ के आम बजट के साथ एक अनुपूरक बजट पेश किया था.
  • 2003-04 तक में 9 हजार 978 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया. साथ ही दो अनुपूरक बजट पेश किया गया था.
  • इस तरह आप देखें तो राममचंद्र सिंहदेव ने जो 3 बजट पेश किए उनमें पहले और तीसरे में करीब 2 हजार 7 सौ करोड़ से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई.

2003 में भाजपा आई, अमर अग्रवाल वित्त मंत्री बने. बीजेपी के शासनकाल में अमर अग्रवाल को वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. अमर अग्रवार को बतौर वित्त मंत्री 3 साल बजट पेश करने का मौका मिला. उन्होंने पहला बजट 2004-05 में 10 हजार 555 करोड़ का पेश किया यानी राममचंद्र सिंहदेव के आखिरी बजट से एक हजार करोड़ रुपए ज्यादा का.

एक नजर अमर अग्रवाल के बजट पर-

  • 2004-05 में अमर अग्रवाल ने 10 हजार 555 करोड़ रुपए का बजट पेश किया जिसमें दो अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2005-06 में अग्रवाल ने 11 हजार 242 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2006-07 में अमर ने 13 हजार 185 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.

2006 में अमर अग्रवाल ने वित्त विभाग की जिम्मेदारी छोड़ी और तत्कालीन सीएम रहे रमन सिंह ने वित्त विभाग की जिम्मेदारी ले ली. रमन सिंह ने 12 बार बजट पेश किया. 2007 से लेकर 2018 तक रमन के बजट की राशि बढ़ती गई.

  • 2007-08 में 16 हजार 473 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2008-09 में 19 हजार 392 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें दो अनुपूरक बजट शामिल थे.
  • 2009-10 में 23 हजार 482 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें दो अनुपूरक बजट शामिल थे.
  • 2010-11 में 26 हजार 099 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2011-12 में 32 हजार 477 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीनअनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2012-13 में 39 हजार 677 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीनअनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2013-14 में 44 हजार 169 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट शामिल थे.
  • 2014-15 में 54 हजार 710 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट भी शामिल थे.
  • 2015-16 में 65 हजार 013 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2016-17 में 76 हजार 032 रुपए का बजट पेश किया, जिसमें तीन अनुपूरक बजट पेश किए गए.
  • 2017-18 में 88 हजार 599 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जिसमें चार अनुपूरक बजट शामिल थे.

2007-08 में जब रमन सिंह ने बजट पेश किया था तो राशि 16 हजार 473 करोड़ रुपए थी जो साल 2017-18 में बढ़कर 88 हजार 599 करोड़ रुपए हो गई. इन सालों में 72 हजार करोड़ रुपए की राशि बढ़ी.

भूपेश बघेल ने 2018-19 में 1 लाख 50 हजार 170 रुपए का बजट पेश किया. जिसमें तीन अनुपूरक बजट शामिल रहे.

Last Updated : Mar 3, 2020, 12:01 AM IST
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