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ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज करने IMA ने सरकार को लिखा पत्र - रायपुर अपडेट न्यूज

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन छत्तीसगढ़ (IMA) ने सरकार को पत्र लिखकर ब्लैक फंगस के इलाज के लिए सरकार की मदद करने की ठानी है.

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन
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Published : Jun 10, 2021, 10:24 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) के इलाज के लिए अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association ) भी आगे आया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य सचिव को इस मामले में पत्र भी लिखा है.

ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) के मरीजों का इलाज करेंगे IMA के डॉक्टर

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association )ने भेजे गए लेटर में लिखा है कि वे ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज (Treatment of black fungus patients) करना चाहते हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ महेश सिन्हा व रायपुर ब्रांच के अध्यक्ष डॉ विकास अग्रवाल की संस्था AOI की रायपुर छत्तीसगढ़ शाखा ने अपने सदस्यों की तरफ से शासकीय अस्पतालों में सेवाएं देने की सहमति दी है. कान, नाक, गला रोग स्पेशलिस्ट ने बिना वेतन के अपनी सेवाएं देने की बात कही है.

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पत्र की कॉपी

छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मरीज

छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों (corona infected patients in chhattisgarh) के आंकड़े लगातार कम हो रहे हैं. लेकिन पोस्ट कोविड बीमारियां (post covid diseases) लगातार लोगों में देखने को मिल रही है. ब्लैक फंगस से संक्रमण के मामले प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं. राज्य मेंअबतक ब्लैक फंगस के 276 मरीज मिल चुके हैं. इसमें से अबतक 13 मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं. प्रदेश में ब्लैक फंगस से 17 मरीजों की मौत हो चुकी है.

शासकीय अस्पतालों में डॉक्टरों के ऑपरेशन और इलाज के बाद भी ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद IMA ने अब लोगों का इलाज करने का मन बनाया है. IMA के डॉक्टर शहर के अलग-अलग अस्पतालों में अवैतनिक सेवाएं देंगे.

म्यूकोरमाइकोसिस : क्या है ब्लैक फंगस, लक्षण और क्या बरतें सावधानियां, जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर

ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण क्या हैं ?

ब्लैक फंगस के लक्षण यह हैं कि लोगों के नाक से डिस्चार्ज निकलना, जो ब्लड के साथ निकलता है. आंख के नीचे दर्द होना और कई बार लोगों को उनकी नाक बंद हुई महसूस होती है. यह सभी इसके प्रारंभिक सिम्टम्स हैं. यह पोस्ट कोविड मरीजों के अंदर आते हैं. जो कोरोना मरीज इलाज करा रहे हैं, उनमें भी ब्लैक फंगस के सिम्टम्स आ रहे हैं.

यह बीमारी कैसे होती है ?

इस बीमारी को म्युकोरमायसेसिस (mucormycosis) कहते हैं. आम तौर पर यह इंफेक्शन वातावरण के अंदर रहता है. लोगों के शरीर में इतनी प्रतिरोधक क्षमता होती है कि उनको यह ग्रसित नहीं करता, लेकिन कोविड संक्रमण के बाद मरीज की प्रतिरोधक क्षमता (patient immunity after covid infection) कम हो जाती है, जिससे इसकी संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिसे हम साइनोऑर्बिटल सेबरेरल कहते हैं. यह नाक से प्रवेश करता है, फिर आंख में चला जाता है. आंख से यह दिमाग में चला जाता है. कई बार यह नाक से नीचे मुंह के अंदर तालू में भी आ जाता है.

इलाज के दौरान सर्जरी कैसे की जाती है ?

इसका संक्रमण इतना खतरनाक होता है कि कई बार आंख निकालने की जरूरत भी पड़ जाती है. मुंह में घुस जाए, तो तालु को भी काटने की जरूरत पड़ जाती है. चेहरा काफी विकृत हो जाता है. यह बहुत तेजी के साथ बढ़ता है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) के इलाज के लिए अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association ) भी आगे आया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य सचिव को इस मामले में पत्र भी लिखा है.

ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) के मरीजों का इलाज करेंगे IMA के डॉक्टर

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association )ने भेजे गए लेटर में लिखा है कि वे ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज (Treatment of black fungus patients) करना चाहते हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ महेश सिन्हा व रायपुर ब्रांच के अध्यक्ष डॉ विकास अग्रवाल की संस्था AOI की रायपुर छत्तीसगढ़ शाखा ने अपने सदस्यों की तरफ से शासकीय अस्पतालों में सेवाएं देने की सहमति दी है. कान, नाक, गला रोग स्पेशलिस्ट ने बिना वेतन के अपनी सेवाएं देने की बात कही है.

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छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मरीज

छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमित मरीजों (corona infected patients in chhattisgarh) के आंकड़े लगातार कम हो रहे हैं. लेकिन पोस्ट कोविड बीमारियां (post covid diseases) लगातार लोगों में देखने को मिल रही है. ब्लैक फंगस से संक्रमण के मामले प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं. राज्य मेंअबतक ब्लैक फंगस के 276 मरीज मिल चुके हैं. इसमें से अबतक 13 मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं. प्रदेश में ब्लैक फंगस से 17 मरीजों की मौत हो चुकी है.

शासकीय अस्पतालों में डॉक्टरों के ऑपरेशन और इलाज के बाद भी ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद IMA ने अब लोगों का इलाज करने का मन बनाया है. IMA के डॉक्टर शहर के अलग-अलग अस्पतालों में अवैतनिक सेवाएं देंगे.

म्यूकोरमाइकोसिस : क्या है ब्लैक फंगस, लक्षण और क्या बरतें सावधानियां, जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर

ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण क्या हैं ?

ब्लैक फंगस के लक्षण यह हैं कि लोगों के नाक से डिस्चार्ज निकलना, जो ब्लड के साथ निकलता है. आंख के नीचे दर्द होना और कई बार लोगों को उनकी नाक बंद हुई महसूस होती है. यह सभी इसके प्रारंभिक सिम्टम्स हैं. यह पोस्ट कोविड मरीजों के अंदर आते हैं. जो कोरोना मरीज इलाज करा रहे हैं, उनमें भी ब्लैक फंगस के सिम्टम्स आ रहे हैं.

यह बीमारी कैसे होती है ?

इस बीमारी को म्युकोरमायसेसिस (mucormycosis) कहते हैं. आम तौर पर यह इंफेक्शन वातावरण के अंदर रहता है. लोगों के शरीर में इतनी प्रतिरोधक क्षमता होती है कि उनको यह ग्रसित नहीं करता, लेकिन कोविड संक्रमण के बाद मरीज की प्रतिरोधक क्षमता (patient immunity after covid infection) कम हो जाती है, जिससे इसकी संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिसे हम साइनोऑर्बिटल सेबरेरल कहते हैं. यह नाक से प्रवेश करता है, फिर आंख में चला जाता है. आंख से यह दिमाग में चला जाता है. कई बार यह नाक से नीचे मुंह के अंदर तालू में भी आ जाता है.

इलाज के दौरान सर्जरी कैसे की जाती है ?

इसका संक्रमण इतना खतरनाक होता है कि कई बार आंख निकालने की जरूरत भी पड़ जाती है. मुंह में घुस जाए, तो तालु को भी काटने की जरूरत पड़ जाती है. चेहरा काफी विकृत हो जाता है. यह बहुत तेजी के साथ बढ़ता है.

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