रायपुर : हमारे धार्मिक ग्रंथों में मनुष्य के पापों को नष्ट करने के उपाय बताए गए हैं. श्रीमद्भागवत,शिव महापुराण,विष्णुपुराण और पद्मपुराण जैसे ग्रंथों को पढ़ने से आपके सारे पाप नष्ट हो सकते हैं.गायत्री मंत्र का जाप भी कई जन्मों के पापों को नष्ट करने में सक्षम है. नवाण मंत्र का जाप भी सभी ग्रहों के दोषों का निवारण करता है. हरिवंश पुराण का पाठ संतान संबंधी सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है और संतान से संतान की प्राप्ति करवाता है.लेकिन एक पाप ऐसा है जिसे करने के बाद आपको ना ही किसी धार्मिक ग्रंथ से पाप मुक्ति मिलेगी और ना ही आसानी से निवारण होगा.
जीवन में ना करें ऐसा पाप : इस मामले में ज्योतिषाचार्य डॉ महेंद्र ठाकुर के मुताबिक इंसान के जीवन में कई पापों से मुक्त होने के साधन हैं.लेकिन एक पाप ऐसा है जिसे करने के बाद मुक्ति आसानी से नहीं मिलती.ये पाप है अपने माता पिता की अवज्ञा और अनादर करने का. माता-पिता का अपमान, उनकी अवज्ञा, उनको कष्ट पहुंचाना, उनकी सेवा न करना, व्यक्ति को मातृ ऋण और पितृ ऋण से मुक्त नहीं होने देता. किसी भी धार्मिक ग्रंथ में इसका कोई उपाय भी नहीं है.
''माता-पिता के हृदय से निकला हुआ आशीर्वाद ईश्वर का आशीर्वाद माना जाता है. माता पिता की बद्दुआ जातक के बड़े-बड़े राजयोग को नष्ट कर देती है. इसलिए किसी भी जातक को कभी भी अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हुए उसकी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए. नहीं तो जातक का जीवन कष्ट और पीड़ा से भरा रहेगा.'' डॉ महेंद्र ठाकुर,ज्योतिषाचार्य
जीवन में तीन गुरु : ज्योतिषाचार्य महेंद्र ठाकुर के मुताबिक सबसे पहले हमारे गुरु सद्गुरु आते हैं. इसके बाद माता पिता का स्थान होता है.आखिरी में सास ससुर का स्थान आता है.वो भी हमारे माता पिता के ही समान हैं. चाहे पुरुष हो या स्त्री सभी को जीवन के तीनों माता-पिताओं की पूजा, उपासना, सेवा, आज्ञा पालन करना चाहिए. यदि आपके विचार नहीं मिल रहे हैं, तो भी आप माता पिता की आज्ञा को प्रत्यक्ष रुप से ना ठुकराए. हां बोल दे भले ही ना करें. ज्योतिषशास्त्र का मत है कि माता पिता की भावनाओं को कभी ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए.चाहे आज्ञा का पालन हो या ना हो.
ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि माता-पिता की अवज्ञा और अवहेलना उनको कष्ट पहुंचाना सबसे बड़ा पाप है. इसका कोई भी ज्योतिष या पुराण में उपाय नहीं है. अगर कोई उपाय मिलता भी है तो भी वह फलदाई नहीं होता. क्योंकि माता-पिता की बद्दुआ और हृदय से निकला हुआ आशीर्वाद दोनों ही पूरी तरह से फलीभूत होते हैं. इसलिए यदि आप अपने जीवन में सुखमय समय चाहते हैं तो माता पिता को कभी दुखी ना करें.