रायपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राजधानी में 9 अप्रैल की शाम 6 बजे से 19 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक लॉकडाउन रहेगा. लॉकडाउन से पहले राशन खरीदने के लिए बाजारों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान देखा गया कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. 10 दिनों के लिए होने वाले लॉकडाउन को लेकर लोग राशन की सामग्री खरीदने बड़ी संख्या में बाजार पहुंच रहे हैं. सब्जी के दाम महंगे हुए हैं वहीं राशन साम्रगी भी महंगे दामों में बिक रही है.
ETV भारत की टीम रायपुर के गोल बाजार पहुंची और बाजारों का जायजा लिया. बाजार में भारी भीड़ देखने को मिली. लॉकडाउन से पहले राशन और घर के लिए जरूरत का सामान खरीदने के लिए भीड़ एकाएक बाजार पहुंची. जिसके चलते सड़के तक जाम हो गई. बाजारों में भी चलने के लिए जगह नहीं थी.लॉकडाउन के पहले बाजारों कालाबाजारी भी देखने को मिल रही है. जो चीजें लोगों को सस्ते दामों में मिला करती उसे लोग मजबूरी में महंगे दाम में खरीद रहे हैं.
लॉकडाउन से पहले रायपुर के बाजारों में उमड़ी भीड़, ये 10 जरूरी बातें जान लीजिए
बाजारों में खरीदारी करने पहुंचे लोगों ने ETV भारत में बातचीत की. उन्होंने बताया कि 10 दिनों का लॉकडाउन लग रहा है. इसलिए वे आवश्यकता की चीजें खरीदने पहुंचे हैं. सब्जी के दाम महंगे दामों पर बिक रहे हैं. वहीं राशन साम्रगियों के रेट में भी इजाफा देखने को मिल रहा है.
कोरोना संक्रमण का खतरा
एक तरफ जहां संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया जा रहा है वहीं बाजारों में एकाएक इतनी भीड़ आने के चलते सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो रहा है.जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है.
दुकानदारों को उठाना पड़ेगा नुकसान
वहीं दुकानदारों का कहना है कि एक तरफ अस्पतालों में बेड की की कमी है. वहीं अब rt-pcr जांच भी नहीं हो रही है. वैक्सीनेशन का काम भी सही ढंग से नहीं चल रहा है. ऐसे में प्रशासन के पास सिर्फ लॉकडाउन का ही विकल्प है. पहले भी व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था. अब इस लॉकडाउन में भी व्यापारियों को आर्थिक नुकसान का समाना करना पड़ेगा.
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बाजारों में भी भीड़ पर प्रशासन की अनदेखी
पहले ही अनुमान लगाया जा रहा था कि लॉकडाउन के पहले बाजारों में राशन और सामान खरीदने के लिए लोगों की भीड़ आएगी. लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से बाजारों में भीड़ कम करने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ना ही बाजारों में बैरिकेडिंग की गई है. ना ही कालाबाजारी रोकने के लिए भी प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई की गई. कालाबाजारी रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.