रायपुर: चैत्र नवरात्र का आज तीसरा दिन है. नवरात्र के तीसरे दिन भगवती के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है. कहते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां हर संकट दूर करती हैं. ETV भारत पर ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा उनकी पूजन विधि और लाभ के बारे में बता रहे हैं.
मां चंद्रघंटा की उपासना से पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन पूजा करने से मनुष्य में निर्भयता और वीरता के गुण संचारित होते हैं.
दस भुजाओं वाली हैं मां
भगवती चंद्रघंटा की सवारी सिंह होती है. मां की दस भुजाएं हैं. दसों भुजाओं में मां वनमाला, कमंडल, चक्र, गदा, पद्म, त्रिशूल, खड़ग, धनुष, बाण लिए हुए हैं और भगवती का एक हाथ वरदहस्त (वर मुद्रा में) है.
नवरात्र के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा
- प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
- द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
- तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
- चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
- पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
- षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
- सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
- अष्टमी के दिन मां महागौरी
- नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
रतनपुर की मां महामाया के दर्शन मात्र से दूर होते हैं सभी संकट
मां चंद्रघंटा की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.
मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजन विधि
मां चंद्रघंटा की पूजन विधि: सुबह उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर मां चंद्रघंटा की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें.
कमल और पीले पुष्प करें अर्पित
देवी चंद्रघंटा को सुनहरे वस्त्र अर्पित करने चाहिए. साथ ही मां को कमल और पीला पुष्प बेहद प्रिय है. इस दिन मां को फल, मिठाई और मिश्री का भोग लगाना चाहिए. पूजा के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्ग सप्तशती का पाठ करना चाहिए.