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Admission process under RTE : आरटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया, जानिए कैसे करें आवेदन

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Published : Feb 4, 2023, 5:04 PM IST

छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार यानी आरटीआई के तहत 6 मार्च से 10 अप्रैल तक ऑनलाइन फॉर्म भरे जाएंगे. जिसमें लॉटरी का आवंटन 15 से 25 मई के बीच हो सकता है. पहले चरण के बाद दूसरे चरण में 1 से 15 जुलाई तक फॉर्म भरे जाएंगे. जिसकी लॉटरी का आवंटन 27 जुलाई से 2 अगस्त के बीच हो सकता है. जिसके बाद सिलेक्टेड बच्चों को 16 जून से स्कूलों में प्रवेश दिया जाएगा.

Admission process under RTE
आरटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया

रायपुर : अक्सर देखा जाता है कि आरटीआई के तहत सीटें खाली रह जाती हैं. जिसकी मुख्य वजह ये है कि सीटों का आवंटन काफी देर से होता है. इस वजह से अभिभावक अपने बच्चे को सिलेबस में ना पिछड़े ऐसा सोचकर दूसरे स्कूल में एडमिशन करा देते हैं.आरटीई के तहत पिछले साल सीट्स का बंटवारा काफी देर से हुआ.जिसका नतीजा ये हुआ कि स्कूलों में कई सीटें खाली रह गईं.इससे सबक लेकर इस व्यवस्था में सुधार करने की जरुरत थी.लेकिन एक बार फिर ज्यादातर स्कूलों में आरटीई की सीट्स खाली रहने की उम्मीद है.

क्या है राइट टू एजुकेशन : राइट टू एजुकेशन को देश में 4 अगस्त 2009 को पारित किया गया था. 1 अप्रैल 2010 से आरटीई लागू कर दिया गया. इस योजना के तहत आठवीं कक्षा तक गैर अनुदान प्राप्त और अल्पसंख्यक प्राइवेट स्कूल के प्रारंभिक कक्षाओं में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित की जाती है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 साल के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाने का प्रावधान है.

ये भी पढ़ें- एकलव्य स्कूलों में 38 हजार वैकेंसी केवल सपना: प्रेमसाय सिंह टेकाम

कैसे होता है स्कूलों में प्रवेश : आरटीई के तहत निजी स्कूल में एडमिशन दिलाने के लिए अभिभावकों को ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होता है. जहां 25% गरीब नागरिकों के बच्चों के लिए रिजर्व होती है. यहां से एप्लीकेशन फॉर्म डाउनलोड करें फॉर्म फिल करना होता है. आईटीआई के तहत एडमिशन के लिए आवेदक को आधार कार्ड, अभिभावक का वोटर आईडी कार्ड, आय प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, दो पासपोर्ट साइज फोटो, बच्चे का जन्म प्रमाण, पत्र तहसीलदार द्वारा जारी आवासीय प्रमाण पत्र, एचआईवी कैंसर टेस्ट के लिए पंजीकृत डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा जारी रिपोर्ट सबमिट करना अनिवार्य होता है.आर्थिक आय की यदि बात की जाए तो एक लाख से कम वार्षिक आय वाले लोगों के लिए यह योजना बनाई गई है. साथ ही युद्ध, विद्वान, बीपीएल और पीडब्ल्यूडी उम्मीदवार भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.

रायपुर : अक्सर देखा जाता है कि आरटीआई के तहत सीटें खाली रह जाती हैं. जिसकी मुख्य वजह ये है कि सीटों का आवंटन काफी देर से होता है. इस वजह से अभिभावक अपने बच्चे को सिलेबस में ना पिछड़े ऐसा सोचकर दूसरे स्कूल में एडमिशन करा देते हैं.आरटीई के तहत पिछले साल सीट्स का बंटवारा काफी देर से हुआ.जिसका नतीजा ये हुआ कि स्कूलों में कई सीटें खाली रह गईं.इससे सबक लेकर इस व्यवस्था में सुधार करने की जरुरत थी.लेकिन एक बार फिर ज्यादातर स्कूलों में आरटीई की सीट्स खाली रहने की उम्मीद है.

क्या है राइट टू एजुकेशन : राइट टू एजुकेशन को देश में 4 अगस्त 2009 को पारित किया गया था. 1 अप्रैल 2010 से आरटीई लागू कर दिया गया. इस योजना के तहत आठवीं कक्षा तक गैर अनुदान प्राप्त और अल्पसंख्यक प्राइवेट स्कूल के प्रारंभिक कक्षाओं में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए आरक्षित की जाती है. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 साल के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाने का प्रावधान है.

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कैसे होता है स्कूलों में प्रवेश : आरटीई के तहत निजी स्कूल में एडमिशन दिलाने के लिए अभिभावकों को ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होता है. जहां 25% गरीब नागरिकों के बच्चों के लिए रिजर्व होती है. यहां से एप्लीकेशन फॉर्म डाउनलोड करें फॉर्म फिल करना होता है. आईटीआई के तहत एडमिशन के लिए आवेदक को आधार कार्ड, अभिभावक का वोटर आईडी कार्ड, आय प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, दो पासपोर्ट साइज फोटो, बच्चे का जन्म प्रमाण, पत्र तहसीलदार द्वारा जारी आवासीय प्रमाण पत्र, एचआईवी कैंसर टेस्ट के लिए पंजीकृत डायग्नोस्टिक सेंटर द्वारा जारी रिपोर्ट सबमिट करना अनिवार्य होता है.आर्थिक आय की यदि बात की जाए तो एक लाख से कम वार्षिक आय वाले लोगों के लिए यह योजना बनाई गई है. साथ ही युद्ध, विद्वान, बीपीएल और पीडब्ल्यूडी उम्मीदवार भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.

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