रायपुर: रंगों के त्यौहार होली के अगले दिन भाई दूज का पावन पर्व मनाया जाएगा. इस दिन सूती स्नान, जातकर्म, नामकरण, दोलारोहन अन्नप्राशन का भी पर्व मनाया जा सकता है. यह कारोबार शुरू करने, विद्या आरंभ, उपनयन संस्कार के लिए भी बहुत ही शुभ दिन है. भाई और बहन के अगाध प्रेम के रूप में इसे मनाने की परंपरा है. ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "वर्ष में कम से कम 3 बार भाई को अपनी बहन के यहां प्रेम स्नेह और एक दूसरे के ख्याल रखने की भावना को जताने के लिए जाना चाहिए. इसके जरिए भाई और बहन दोनों एक दूसरे के सुख दुख को साझा करते हैं. इस पर्व से आपसी संबंधों में तालमेल बढ़ता है."
नरकासुर का वध कर बहन सुभद्रा से मिलने गए थे भगवाग श्रीकृष्ण: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण नरकासुर नामक राक्षस का वध कर अपनी बहन सुभद्रा से मिलने जाते हैं. बहन सुभद्रा भगवान कृष्ण को अपने घर में पाकर बहुत खुश होती हैं. चंदन का टीका लगाकर भगवान कृष्ण की पूजा करती हैं. भगवान कृष्ण को भोजन कराती है. तब से ही होली के बाद भाई दूज मनाने की परंपरा बन पड़ी."
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काफी लंबे समय के बाद बहन यमुना से मिलने पहुंचे थे यम: पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक "पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्यपुत्र यम काफी लंबे समय के बाद अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए जाते हैं. बहन यमुना भी अपने भाई का आदर सत्कार के साथ अभिनंदन करती है, और उन्हें स्मृति के रूप में श्रीफल प्रदान करती हैं. नारियल का फल उन्हें देती हैं और कहती है कि आप को यह नारियल का फल हमेशा याद दिलाता रहेगा कि आपको बहन यमुना से मिलने जाते रहना है. इसके उपलक्ष में भी भाई दूज मनाने की परंपरा चल पड़ी."
भागवान विष्णु और गणेश जी की होती है पूजा: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "भाई दूज के दिन भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को चांदी पर बिठाकर रखा जाता है. भाई दूज का पर्व दीपावली, रक्षाबंधन के साथ ही होलिका दहन के दो दिन बाद यानी साल में 3 बार मनाए जाने की परंपरा है."