रायपुर: चीन में छोटे बच्चों में सांस से संबंधित एक रहस्यमयी माइकोप्लाज्मा निमोनिया बीमारी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सभी देशों को अलर्ट जारी किया है. भारत सरकार ने भी देश के सभी राज्यों को इससे जुड़े मामलों की निगरानी के दिशा निर्देश दिए हैं. जिसके बाद हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश जैसे कई राज्य में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है. राज्यों के सभी अस्पतालों में इस बीमारी को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.
क्या है माइकोप्लाज्मा निमोनिया ? : रहस्यमयी बीमारी को माइकोप्लाज्मा निमोनिया और इन्फ्लूएंजा फ्लू के नाम से जाना जाता है. यह बीमारी सबसे पहले बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बना रहा है. निमोनिया एक संक्रामक बीमारी है, जो के एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैली को मवाद से भरकर सूजन ला देता है. जिसकी वजह से बलगम और मवाद वाली खांसी होती है, बुखार हो जाता है और सांस लेने में बहुत दिक्कत होती है. यह संक्रमण मां सबसे ज्यादा 5 साल से छोटे उम्र के बच्चों में वहीं 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों में तेजी से फैलता है.
अलर्ट मोड में स्वास्थ्य विभाग: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग माइकोप्लाज्मा निमोनिया बीमारी से निपटने की तैयारी में जुट गई है. इस संबंध में महामारी नियंत्रक डॉ सुभाष मिश्रा ने बताया, "चीन में फिलहाल बच्चों में निमोनिया के केसेस बढ़े हैं. जिसे लेकर भारत सरकार ने भी सभी राज्यों में सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए हैं. छत्तीसगढ़ में भी इसकी समीक्षा कर ली गई है. पर्याप्त संख्या में बिस्तर, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर उपलब्ध हैं. यह कोई नया वायरस नहीं है, इसमें माइको प्लाज्मा, कोविड-2,आरएसवी वायरस के वेरिएशन हैं. यह वेरिएंट जैसे ही मौसम बदलता है सक्रिय हो जाते हैं. जिसके कारण सर्दी-खांसी, अस्थमा और निमोनिया के केसेस बढ़ जाते हैं. इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है."
"जो चीन में जो निमोनिया के नए वायरस वाली न्यूज़ वायरल हो रही है, उसे लेकर चीन ने WHO को हाल ही में रिपोर्ट सबमिट की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि यह कोई नया और खतरनाक वायरस नहीं है. यह एक पुराना माइकोप्लाज्मा निमोनिया ही है, जो कि सामान्य वायरस है. चीन में भी जितने केसेस है, वह काफी माइल्ड केसेस है. वैसे ही छत्तीसगढ़ में अभी तक बच्चों में कोई ऐसी गंभीर केस नहीं आए हैं. वयस्कों में भी ऐसी समस्या देखी नहीं गई है. सर्दी खांसी का जैसे ही मौसम आता है, निमोनिया के केसेस नॉर्मली बढ़ जाते हैं, क्योंकि फ्लू की एक्टिविटी बढ़ती है." - डॉ आर एल खरे, एचओडी (जनरल विभाग), अंबेडकर अस्पताल रायपुर
निमोनिया से कैसे अलग है माइकोप्लाज्मा निमोनिया: गौरतलब है कि आमतौर पर निमोनिया के पांच प्रकार देखे गए हैं. जिनमें बैक्टीरियल निमोनिया, वायरल निमोनिया, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, एस्पिरेशन निमोनिया और फंगल निमोनिया शामिल हैं. जिसमें एक प्रकार है माइकोप्लाज्मा निमोनिया. अन्य प्रकार के निमोनिया से माइकोप्लाज्मा निमोनिया के लक्षण अलग होते हैं. इसे अटिपिकल निमोनिया के नाम से जाना जाता है. इसमें माइकोप्लाज्मा निमोने नामक जीवाणु मुख्य कारण होता है. वैसे तो यह माइकोप्लाज्मा निमोनिया काफी माइल्ड होता है, लेकिन यह बहुत जल्द ही अपना संक्रमण फैलता है.
5 साल से कम उम्र के बच्चों को खतरा: 2016 में विश्व निमोनिया दिवस (12नवम्बर) को आई एक रिपोर्ट के अनुसार ,पूरे विश्व में सबसे ज्यादा भारत में नवजात शिशु और बच्चों की मौत निमोनिया से हुई थी. WHO की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्तान में हर साल 1,90,000 बच्चों की मौत निमोनिया के कारण होती है, जिसमें अधिकतर बच्चों की उम्र 5 साल या उससे कम होती है.
निमोनिया बीमारी के के लक्षण:
- सांस लेने में दिक्कत होना,
- ब्लडप्रेशर धीमा हो जाना,
- खांसी के दौरान खून आना,
- अचानक सांस तेजी से बढ़ाना और घटना,
- बच्चों को बार बार उल्टी आना,
- असमान्य तौर पर भूख कम लगना,
- बच्चों को लगातार बुखार आना,
- समान्य से अधिक ठंड लगना और शरीर का कांपना,
- लगातार सीने में दर्द होना.