रायपुर: छत्तीसगढ़ में गर्मी की वजह से लोगों की हालत बद से बदतर हो गई है. जहां एक ओर इस तेज गर्मी के कारण लोगों का घर और दफ्तर से निकलना मुश्किल हो गया है. वहीं दूसरी ओर मजबूरन ही लोग घर या दफ्तर से बाहर निकल रहे हैं. इस समय लोगों को त्वचा संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. जिसका मुख्य कारण यूवी किरण यानी कि अल्ट्रावायलेट रेज का होना है, जो त्वचा पर घातक असर डाल रहा है. जिस कारण से त्वचा से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है.
शरीर पर पड़ता है ये प्रभाव: आइए पहले जानते हैं कि गर्मी बढ़ाने की मुख्य वजह क्या है? मौसम वैज्ञानिक एचपी चंद्रा का कहना है कि, गर्मी के सीजन में सूर्य की स्थिति उत्तरायण होने के साथ ही गर्मी बढ़ती है. साथ ही सूर्य का प्रकाश नॉर्मल आता है. जिसके कारण अल्ट्रावायलेट किरण, दृश्य प्रकाश और इंफ्रारेड की मात्रा बढ़ जाती है. फिलहाल इंफ्रारेड और यूवी से प्रभाव ज्यादा रहता है. इंफ्रारेड के कारण से गर्मी बढ़ती है. जबकि यूवी के कारण से त्वचा के रोग उत्पन्न होने का खतरा रहता है. साथ ही यूवी के कारण और इंफ्रारेड के कारण त्वचा के जलने की संभावना रहती है, जिसे स्किन बर्निंग के नाम से जाना जाता है. इसलिए गर्मी के दिनों में यथासंभव त्वचा को प्रोटेक्शन देते हुए बाहर निकले.
इस विषय में आम लोगों का कहना है कि, गर्मी बढ़ती जा रही है. इसका उनके त्वचा पर कई तरह के साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहे हैं. जहां एक ओर गर्मी की वजह से त्वचा काली हो जाती है. वहीं, कई जगह त्वचा जलने जैसी दिखने लगती है. कई बार त्वचा में दाने निकल आते हैं और खुजली होती है. यहां तक कि कुछ लोगों का गर्मी की वजह से सर भी दुखने लगता है. शरीर में अजीब तरह की थकान हो जाती है. हालांकि लोगों का यह भी कहना है कि, बढ़ती धूप और तेज गर्मी से बचने के लिए उनके द्वारा गमछा से शरीर को ढ़का जाता है. साथ ही दही, मट्ठा या फिर ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन किया जाता है. इसके अलावा यह लोग लू से बचने के लिए जेब में प्याज लेकर भी चलते हैं.
डॉक्टरों का मानना है कि, पहले की अपेक्षा अब सूर्य की किरण तेज हो गई है. जो शरीर की त्वचा पर ज्यादा प्रभाव डाल रही है. यही वजह है कि, स्किन पर खुजली, दाने, स्किन बर्न जैसे मामले सामने आ रहे हैं. मेकाहारा स्किन विभाग के एचओडी मृत्युंजय सिंह का कहना है कि, तेज धूप की वजह से स्किन एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. जो शरीर के खुले हुए भाग जैसे हाथ, गर्दन, चेहरे, वगैरह में एलर्जी बढ़ा देता है. इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि शरीर को कपड़े के ढककर बाहर निकले. अति आवश्यक हो तभी धूप में निकले या फिर शाम के समय निकले. ज्यादा परेशानी होने पर लोगों को क्रीम या फिर अन्य दवाई भी देनी पड़ती है. जिससे वे इस तरह के त्वचा बीमारियों से लड़ सके. वहीं, खानपान को लेकर मृत्युंजय ने कहा कि मौसमी फल वगैरह ले सकते हैं.
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गौर हो कि पराबैंगनी किरणें सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा का एक प्रकार हैं. कुछ कृत्रिम स्त्रोत से भी यह ऊर्जा निकलती है. पराबैंगनी किरणों को आप सूर्य की रोशनी या गर्मी की तरह देख और महसूस नहीं कर पाते हैं. इस कारण पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान के बाद ही आपको इनके बारे में पता चलता है. सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी (यूवी) किरणें त्वचा कैंसर का मुख्य कारण मानी जाती हैं. इन किरणों से आपको सनबर्न, टैनिंग और समय से पहले त्वचा में बुढ़ापे के लक्षण दिखने शुरू हो सकते हैं. इसके अलावा पराबैंगनी किरणें आपकी आंखों को भी नुकसान पहुंचाती हैं.