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Hareli Tihar 2023: इस बार पुनर्वसु नक्षत्र में मनाया जाएगा हरेली तिहार, जानिए क्यों है खास

Hareli Tihar 2023: हरेली तिहार छत्तीसगढ़ का सबसे पहला त्योहार है. इस दिन को खास तरीके से छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है. इस पर्व के बारे में अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें...

Hareli Tihar
हरेली तिहार
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Published : Jul 15, 2023, 9:27 PM IST

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: 17 जुलाई को हरेली तिहार है. सावन माह के कृष्ण पक्ष में सोमवार के दिन हरेली मनाया जाएगा. इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, व्याघात योग, मिथुन और कर्क के चंद्रमा में हरेली अमावस्या पड़ रहा है. यह तिहार दर्श अमावस्या, शुक्ल अमावस्या, देवपुत्र अमावस्या के तौर पर जाना जाता है. यह छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार है. पूरे छत्तीसगढ़ में इसे हरेली तिहार के नाम से जाना जाता है. ये पर्व हरियाली का प्रतीक है.

छत्तीसगढ़ के हर गांव में मनाया जाता है हरेली तिहार: हरेली तिहार पूरे छत्तीसगढ़ में पूरे जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है.यह त्योहार ग्रामीण संस्कृति का एक विशिष्ट आयाम माना गया है. छत्तीसगढ़ में लोक तिहारों की शुरुआत इस महापर्व से होती है. आज के दिन महिलाएं अलग-अलग तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को बनाती हैं. इसमें ठेठरी, खुरमी आदि खास होता है.

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हरेली के दिन सुबह उठकर कृषक खेती किसानी के उपयोग में लाए जाने वाले सभी उपकरणों की पूजा करते हैं. इसकी विशेषता यह होती है कि सभी सामानों को सुबह साफ पानी से धोया जाता है.फिर तुलसी चौरा के पास रखकर सभी सामानों के साथ बैल, हल और कृषि उपकरणों की पूजा की जाती है.-पंडित विनीत शर्मा, ज्योतिष

जानिए ये है प्रथा: इस दिन पूरा गांव गेड़ी चढ़ता है. सभी उम्र के लोग गेड़ी बनाते हुए दिखते हैं. गेड़ी लंबे बांस से बनाई जाती है. इन लंबे बासों को नियोजित ढंग से बनाकर इन पर पैर रखने की जगह बनाई जाती है. इस पर चढ़कर लोग चलते हैं. ये दृश्य काफी मनोरम होता है. पूरा गांव उत्साह से भरा होता है. इस दिन तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. कई लोग इस दिन पेड़-पोधे भी लगाते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करना शुभ होता है. पितरों की पूजा के लिए भी ये दिन खास रहता है. इस दिन सुबह 5:10 के उपरांत पुष्य नक्षत्र का भी प्रभाव रहेगा. यह पर्व शश योग और शुभ गजकेसरी योग के प्रभाव में मनाया जाएगा.

पंडित विनीत शर्मा

रायपुर: 17 जुलाई को हरेली तिहार है. सावन माह के कृष्ण पक्ष में सोमवार के दिन हरेली मनाया जाएगा. इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, व्याघात योग, मिथुन और कर्क के चंद्रमा में हरेली अमावस्या पड़ रहा है. यह तिहार दर्श अमावस्या, शुक्ल अमावस्या, देवपुत्र अमावस्या के तौर पर जाना जाता है. यह छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार है. पूरे छत्तीसगढ़ में इसे हरेली तिहार के नाम से जाना जाता है. ये पर्व हरियाली का प्रतीक है.

छत्तीसगढ़ के हर गांव में मनाया जाता है हरेली तिहार: हरेली तिहार पूरे छत्तीसगढ़ में पूरे जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है.यह त्योहार ग्रामीण संस्कृति का एक विशिष्ट आयाम माना गया है. छत्तीसगढ़ में लोक तिहारों की शुरुआत इस महापर्व से होती है. आज के दिन महिलाएं अलग-अलग तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को बनाती हैं. इसमें ठेठरी, खुरमी आदि खास होता है.

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हरेली के दिन सुबह उठकर कृषक खेती किसानी के उपयोग में लाए जाने वाले सभी उपकरणों की पूजा करते हैं. इसकी विशेषता यह होती है कि सभी सामानों को सुबह साफ पानी से धोया जाता है.फिर तुलसी चौरा के पास रखकर सभी सामानों के साथ बैल, हल और कृषि उपकरणों की पूजा की जाती है.-पंडित विनीत शर्मा, ज्योतिष

जानिए ये है प्रथा: इस दिन पूरा गांव गेड़ी चढ़ता है. सभी उम्र के लोग गेड़ी बनाते हुए दिखते हैं. गेड़ी लंबे बांस से बनाई जाती है. इन लंबे बासों को नियोजित ढंग से बनाकर इन पर पैर रखने की जगह बनाई जाती है. इस पर चढ़कर लोग चलते हैं. ये दृश्य काफी मनोरम होता है. पूरा गांव उत्साह से भरा होता है. इस दिन तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. कई लोग इस दिन पेड़-पोधे भी लगाते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करना शुभ होता है. पितरों की पूजा के लिए भी ये दिन खास रहता है. इस दिन सुबह 5:10 के उपरांत पुष्य नक्षत्र का भी प्रभाव रहेगा. यह पर्व शश योग और शुभ गजकेसरी योग के प्रभाव में मनाया जाएगा.

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