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रायपुर में अनियमित कर्मियों का अर्धनग्न प्रदर्शन, भूपेश सरकार के खिलाफ लगाए नारे

रायपुर में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ अपनी मांगों को लेकर अड़ा है. रोजाना संघ अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए नए तरीके से प्रदर्शन कर रहा है. इस बार कर्मचारी संघ के सदस्यों ने रायपुर बूढ़ातालाब धरना स्थल पर अर्धनग्न होकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए. Half naked demonstration in Raipur

रायपुर में दैनिक वेतनभोगी कर्मियों ने किया अर्धनग्न प्रदर्शन
रायपुर में दैनिक वेतनभोगी कर्मियों ने किया अर्धनग्न प्रदर्शन
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Published : Sep 15, 2022, 4:00 PM IST

रायपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर में दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर पिछले 26 दिनों से प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं. इस दौरान प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सरकार को जगाने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. गुरुवार को वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने सड़क पर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया. सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का कहना है कि '' सरकार ने गंगाजल की कसम खाकर स्थाई और नियमितीकरण का वादा किया था. लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर गई है. जिसे याद दिलाने के लिए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर ( Half naked demonstration of irregular workers in Raipur) हैं.

रायपुर में अनियमित कर्मियों का अर्धनग्न प्रदर्शन
कपड़े उतारने को मजबूर दैनिक वेतन भोगी : छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ (Chhattisgarh Daily Wage Forest Workers Union) के प्रदेश अध्यक्ष कमल नारायण साहू ने बताया कि "आज अनिश्चितकालीन आंदोलन का 27वां दिन है. सरकार को जगाने के लिए अलग-अलग तरह के प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि सरकार को जगाया जा सके प्रदर्शन कर रहे. आज दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की स्थिति कपड़े उतारने के लायक हो गई है. बावजूद इसके सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है.आने वाले समय में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की स्थिति और भी बदतर होने वाली है." सीएम भूपेश पर लगाए आरोप : छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा का कहना है कि "बुधवार को प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ सरकार को जगाने के लिए मशाल रैली निकालकर प्रदर्शन किया था. बावजूद इसके सरकार इनकी मांगों पर विचार नहीं कर रही है. जिसके कारण मजबूरन गुरुवार को प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को मजबूरन सड़क पर उतर कर अर्धनग्न प्रदर्शन करना पड़ रहा है. कांग्रेस ने गंगाजल की सौगंध खाकर कहा था कि हमारी सरकार बनते ही दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई और नियमितीकरण किया जाएगा. लेकिन आज सरकार अपने वादे से मुकर रही है. ऐसे में सरकार को गंगाजल का सम्मान करना चाहिए और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई और नियमितीकरण का तोहफा दिया जाना चाहिए."

ये भी पढ़ें - रायपुर में सरपंचों का प्रदर्शन, पुलिस के साथ धक्का मुक्की

क्या है दैनिक वेतन भोगियों की मांग : न विभाग मेंदैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग जिसमें पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है इन कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं उन्हें स्थाई किया जाए और जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए । पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं और इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हजार रुपये ही वेतन मिलता है, जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्युटर ऑपरेटर रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.

रायपुर : प्रदेश की राजधानी रायपुर में दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर पिछले 26 दिनों से प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं. इस दौरान प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सरकार को जगाने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. गुरुवार को वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने सड़क पर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया. सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का कहना है कि '' सरकार ने गंगाजल की कसम खाकर स्थाई और नियमितीकरण का वादा किया था. लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर गई है. जिसे याद दिलाने के लिए दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर ( Half naked demonstration of irregular workers in Raipur) हैं.

रायपुर में अनियमित कर्मियों का अर्धनग्न प्रदर्शन
कपड़े उतारने को मजबूर दैनिक वेतन भोगी : छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ (Chhattisgarh Daily Wage Forest Workers Union) के प्रदेश अध्यक्ष कमल नारायण साहू ने बताया कि "आज अनिश्चितकालीन आंदोलन का 27वां दिन है. सरकार को जगाने के लिए अलग-अलग तरह के प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि सरकार को जगाया जा सके प्रदर्शन कर रहे. आज दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की स्थिति कपड़े उतारने के लायक हो गई है. बावजूद इसके सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है.आने वाले समय में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की स्थिति और भी बदतर होने वाली है." सीएम भूपेश पर लगाए आरोप : छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामकुमार सिन्हा का कहना है कि "बुधवार को प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ सरकार को जगाने के लिए मशाल रैली निकालकर प्रदर्शन किया था. बावजूद इसके सरकार इनकी मांगों पर विचार नहीं कर रही है. जिसके कारण मजबूरन गुरुवार को प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को मजबूरन सड़क पर उतर कर अर्धनग्न प्रदर्शन करना पड़ रहा है. कांग्रेस ने गंगाजल की सौगंध खाकर कहा था कि हमारी सरकार बनते ही दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई और नियमितीकरण किया जाएगा. लेकिन आज सरकार अपने वादे से मुकर रही है. ऐसे में सरकार को गंगाजल का सम्मान करना चाहिए और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थाई और नियमितीकरण का तोहफा दिया जाना चाहिए."

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क्या है दैनिक वेतन भोगियों की मांग : न विभाग मेंदैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग जिसमें पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है इन कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं उन्हें स्थाई किया जाए और जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए । पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं और इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हजार रुपये ही वेतन मिलता है, जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्युटर ऑपरेटर रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.

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