रायपुर: विघ्नहर्ता देवता श्री गणेश जी माने गए हैं. श्री गणेश जी एकदंत महाराज हैं. ये समस्त विघ्नों को दूर करने वाले हैं. लंबोदर महाराज की पूजा पाठ बहुत ही शुभ मानी जाती है. प्रत्येक मास की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है. चंद्र उदय का बहुत विशेष महत्व रहता है. आज के दिन चंद्रमा का उदय रात्रि 9:35 पर होगा और यह चंद्र उदय देखने के उपरांत ही उपवास तोड़ा जाता है. आज के दिन प्रातः काल स्नान ध्यान और योग आदि से निवृत्त होकर गणेश जी की पूजा करने का विधान है. धुले हुए साफ-सुथरे लाल कपड़े को धारण कर भगवान श्री गणेश जी को लाल आसन में बिठाया जाता है. इसके उपरांत गंगा के शुद्ध जल से स्नान कराकर भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है.
पुत्र की लंबी आयु के लिए करते हैं व्रत: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया "भगवान श्री गणेश लंबोदर महाराज एकदंत भगवान माने जाते हैं. समस्त कष्टों को हरने वाले माने जाते हैं. शिव पुत्र गणेश बुद्धि और सुमति देने वाले हैं. गणेश जी के द्वारा ही बुद्धि सुमति और ज्ञान का प्रकाश फैलता है. इस तरह से गणेश चतुर्थी का व्रत गणेश जी की पूजा पाठ से संपन्न होता है. आज के शुभ दिन गणेश सहस्त्रनाम, गणेश चालीसा, गणेश ऋण मोचन मंत्र, गणेश जी की आरती, अथर्वशीर्ष आदि के पूजा पाठ से पूरा दिन मनाया जाता है. आज के दिन उपवास करना बहुत पवित्र माना गया है. महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए इस उपवास को करती हैं."
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इस योग में मनायी जाएगी चतुर्थी: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया "आज के शुभ दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. यह योग पवित्र माना जाता है. स्वाति में केतु युति का योग बन रहा है, साथ ही चित्रा और स्वाति नक्षत्र ध्रुव योग, काण योग में यह संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी. तुला राशि का चंद्रमा और शनिवार का योग इस व्रत की गरिमा को बढ़ा रहे हैं. शुभ संवत 2079 से 1944 उत्तरायण बसंत ऋतु में यहां पावन पर्व मनाया जाएगा. आज के दिन समस्त महिलाएं संतान के सुखद भविष्य के लिए मंगल कामना हेतु और संतान संबंधी समस्त विघ्नों को दूर करने के लिए श्री गणेश जी की उपासना करती हैं. जीवन में आने वाली समस्त विघ्न बाधाओं को हरने के लिए लंबोदर महाराज की पूजा करती हैं. इस पूरे पर्व में चंद्रमा को विशेष महत्व दिया जाता है. यह पहला पर्व है, जिसमें जिसमें चंद्र उदय के उपरांत व्रत को तोड़ा जाता है संपूर्ण दिन निराहार अथवा एक आसना के रूप में व्रत को करना चाहिए. चंद्र देखने के उपरांत फलाहार साबूदाने की खिचड़ी आदि के द्वारा व्रत को तोड़ना चाहिए."