रायपुर/ मुंबई: कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 'आत्मनिर्भर भारत' पैकेज की पांचवीं किस्त के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 7 बड़ी घोषणाएं की. मनरेगा, स्वास्थ्य, शिक्षा, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, निजीकरण, राज्य सरकारों को मदद के रूप में 7 अहम घोषणाएं वित्त मंत्री ने की हैं. निर्मला सीतारमण ने कहा कि बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए वन नेशन, वन डिजटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत होगी. ETV भारत ने केंद्र सरकार की इन घोषणाओं पर नीति आयोग में सलाहकार रहे विशेषज्ञ तुलसी टावरी से बात की. टावरी ने हमसे खास बात में कहा कि हमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती पर ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि हमें ऑनलाइन एजुकेशन को आशीर्वाद मानना चाहिए.
तुलसी टावरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ मुख्यत: ग्रामीण इलाकों का प्रदेश है, ग्रामीण परिवेश का राज्य है. जहां बड़े शहरों में कोरोना के बहुत मिले हैं और छत्तीसगढ़ में मरीजों की संख्या बहुत है. उन्होंने कहा कि इस महामारी का दु:ख तो है लेकिन इसमें छत्तीसगढ़ की आंतरिक क्षमता का देश को पता चल रहा है. राज्यों को राजस्व की मदद पर तुलसी टावरी ने कहा कि 'सरकार जो पैसा इन्वेस्ट करती है, उसे नए उद्यमियों को खड़ा करने में खर्च करना चाहिए. ऐसे में सौ युवाओं में से एक युवा उद्यमी बनेगा, तो कई लोगों को रोजगार मिलेगा. उसकी इनकम से रेवेन्यू बढ़ेगा और राज्य सरकारों को राजस्व के लिए किसी और का मुंह नहीं देखना पड़ेगा'.
'गांव की अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत'
तुलसी टावरी ने कहा कि किसान उद्यमी हैं क्योंकि सबसे ज्यादा रिस्क तो वही लेते हैं. बुनकरों के हाथ में कपड़ा बनाने का हुनर है, उन्हें कपड़े बनाने का काम करना चाहिए लेकिन वे सरकारी उदासीनता के कारण कहीं सिक्योरिटी गार्ड है, कहीं मजदूरी कर रहे हैं. टावरी ने कहा कि जिन्हें एक्पोर्टर होना चाहिए, वे बेरोजगार हैं. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में रोटी की कमी नहीं है लेकिन छत्तीसगढ़ के संसाधनों का पूरा इस्तेमाल कभी नहीं किया गया. सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए, जिससे नई पीढ़ी उद्यमी बने. उन्होंने कहा कि हम एक ही गलती कर रहे हैं और वो ये कि अपने बच्चों को उद्यमी बनाने के बजाए नौकरी करना सिखाते हैं. सरकार को उद्यमिता की तरफ ध्यान देना चाहिए.
'हमने गांव पर ध्यान दिया होता, तो प्रवासी मजदूर न होते'
नीति आयोग में सलाहकार रहे टावरी ने कहा कि ये जो प्रवासी मजदूर हैं, वो इसलिए गांव से गए क्योंकि हमने ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं की. टावरी ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान देने के बजाए हम शहरों पर ध्यान देते रहे और यही हमारी सबसे बड़ी गलती है. उन्होंने सुझाव दिया कि शहरों से ज्यादा अब गांव पर ध्यान देने की जरूरत है.
तुलसी टावरी ने कहा कि अगर इतने बड़े पैकेज का, इतनी घोषणाओं का क्रियान्वयन अच्छे से नहीं किया तो सब व्यर्थ होगा. उन्होंने कहा कि गांव में 50 हजार से 1 लाख रुपए लगाकर 10 हजार रुपए की आमदनी तैयार करना कठिन नहीं है. उन्होंने कहा कि गांवों पर फोकस करने से ही अर्थव्यवस्था और ग्रामीणों की स्थिति को सुधारा जा सकता है. हमें शहर को गांव के अंदर बसाना चाहिए.