रायपुर: ETV Bharat 'नाम की महिमा' भाग ('Naam Ki Mahima' section) में आज हम भगवान गणेश के 'गजानन' (Gajanan) और गजकर्ण नाम की महिमा के बारे में जानेंगे. पंडितों के मुताबिक भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश जीवन की समस्याओं को हल करने में सबसे आगे रहते हैं. इसलिए इनकी पूजा सबसे पहले की जाती है. गजानन अर्थात हाथी के मुंह वाला. गणेश जी का चौथा नाम गजकर्ण है. हाथी का कान सूप जैसा मोटा होता है.
बुद्धिमान के प्रतिक भगवान गणेश
गणेश जी को बुद्धि का अनुष्ठाता देव माना गया है. गणेशजी का चौथा नाम गजकर्ण है. हाथी का कान सूप जैसा मोटा होता है. गणेशजी को बुद्धि का अनुष्ठाता देव माना गया है. भारत के लोगों ने अपने आराध्य देव को लंबे कान वाला दर्शाया है, इसलिए वे बहुश्रुत मालूम पड़ते हैं. सुनने को तो सब कुछ सुन लेते हैं परंतु बिना विचारे करते नहीं. इस का उदाहरण प्रस्तुत करने की इच्छा से गणेशजी ने हाथी जैसा बडा कान धारण किया है.
विनम्रता और कठोर परिश्रम से लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग दिखाता है भगवान गणपति का एकदंत नाम
गणेश जी को बुद्धि का अनुष्ठाता देव माना गया है. मनुष्य के अंदर लोभ को अंत करने के लिए गणेश जी के इस रूप की पूजा विशेष फलदाययी होती है. कर्क राशि के व्यक्तियों को गणेश जी के इस अवतार की पूजा करनी चाहिए. यह उनके लिए मंगलकारी है. शिव पुराण के मुताबिक देवी पार्वती ने अपने उबटन से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए. उन्होंने इसे द्वारपल बना कर बैठा दिया और किसी को भी अंदर ना आने देने का आदेश देते हुए स्नान करने चली गई.
क्यों कहलाए गजानन ?
संयोग से इसी दौरान भगवान शिव वहां आ गए. उन्होंने अंदर जाना चाहा लेकिन बालक गणेश ने उन्हें रोक दिया. नाराज शिवजी ने बाल गणेश को समझाया लेकिन उन्होंने एक ना सुनी. क्रोधित शिव जी ने बाल गणेश जी का सिर काट दिया. पार्वती को जब पता चला कि शिव ने गणेश का सिर काट दिया है तो वे क्रोधित हो गई. पार्वती की नाराजगी दूर करने के लिए शिव जी ने गणेश के धड़ पर हाथी का मस्तक लगाकर जीवनदान दिया. तब से भगवान गणपति गजकर्ण यानि की गजानन कहलाए.