रायपुर: हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर आगे बढ़ रही है. लेकिन भारतीय समाज का एक संस्कार ऐसा है जिसमें शामिल होने की महिलाओं को अनुमति नहीं है. किसी की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार में महिलाओं या लड़कियों को शामिल होने की इजाजत नहीं मिलती, लेकिन रायपुर की ये बेटियां इस मिथक को तोड़ रही हैं.
21 महिलाएं समुह में शामिल
रायपुर की रहने वाली डॉ निम्मी चौबे ने परिवार और आस-पास की महिलाओं के साथ मिल कर एक समूह बनाया है जो लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करती हैं. इस समूह में करीब 21 महिलाएं हैं. निम्मी ने अपनी बहनों और भाभी के साथ मिलकर इस समूह की शुरुआत की. इसके बाद इसमें अन्य महिलाएं भी जुड़ीं.
चार बहनों ने मिलकर बनाया समूह
इस समूह में चार बहन की टोली है जो फंडिंग में मदद करती है. फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉक्टर निम्मी चौबे ने बताया कि कई बार सड़क हादसे या अन्य कारणों से मौत हो जाती है और शव का कोई वारिस नहीं मौजूद होता. पुलिस थानों से हम ऐसे शवों की जानकारी लेते हैं.
मां-बाप से मिली सीख
निम्मी बताती हैं अपने माता-पिता को अपनी प्रेरणा मानती हैं. उनका कहना है कि उन्हीं की दी सीख के कारण उन्होंने इस नेक काम की पहल की.
घरेलु महिलाएं भी शामिल
समूह के साथ काम करने वाली गृहणी प्रतिभा चौबे कहती हैं कि वे जब इस काम में आती है तो उनके पति या उनकी ननंद बच्चों को संभालती है.