रायपुर : छत्तीसगढ़ी परम्पराओं में लोकगीतों का प्रमुख स्थान है. इन लोकगीतों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक मिलती है. इसी तरह छत्तीसगढ़ी संस्कृति में दिवाली के दूसरे दिन गौरा-गौरी निकालने की परंपरा चली आ रही है. गोवर्धन पूजा के दिन शिव-पार्वती की बारात निकाली जाती है.
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दो दिनों तक चलने वाले इस पर्व में पहले मिट्टी लाकर गौरा-गौरी की प्रतिमा तैयार की जाती है, जिसके बाद पूरे रीति-रिवाजों के साथ शिव-पार्वती का विवाह किया जाता है. दिवाली के दूसरे दिन भगवान की बारात निकालते हैं. इस दौरान पूरे रास्ते लोकगीत गाया जाता है. जगह-जगह लोग गौरा-गौरी की पूजा करते हैं. गौरा-गौरी को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है. बैंड-बाजे के साथ नाचते-गाते लोग गौरा-गौरी को विसर्जित करते हैं.