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घासीदास संग्रहालय की स्मारिका में अंकित है आजादी के परवानों के 209 नाम - लोकतंत्रात्मक गणराज्य

रायपुर के संस्कृति विभाग के कैंपस में स्थित पांच स्तंभ आजादी के परवानों की याद दिलाते हैं. कैंपस में पांच शिलालेख मौजूद हैं. इनमें से एक पर संविधान की पुरानी प्रस्तावना दिखती है. चार स्तंभों में धरसींवा और तिल्दा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों के नाम लिखें हैं. कुल 209 नाम इसमें अंकित हैं.

old preamble of the constitution
स्मारिका में अंकित है आजादी के परवानों के 209 नाम
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Published : Jan 26, 2021, 5:41 PM IST

रायपुर: शहर में आजादी के आंदोलन की गवाही देने वाले कई ऐतिहासिक इमारत मौजूद हैं. राजधानी के बीच स्थित महंत घासीदास संग्रहालय में ऐसे स्तंभ हैं. जो आजादी के परवानों की याद दिलाते हैं. देश की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कई सवतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम इसमें अंकित हैं. संस्कृति विभाग के कैंपस में 5 स्तंभ हैं, जिनमें एक स्तम्भ में संविधान की प्रस्तावना और चार स्तंभ में धरसींवा और तिल्दा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहीद हुए देश भक्तों के नाम लिखे हैं.

संस्कृति विभाग के कैंपस में स्थित पांच स्तंभ

संस्कृति विभाग के कैंपस में स्थित पांच स्तंभ आजादी के परवानों की याद दिलाते हैं. कैंपस में पांच शिलालेख मौजूद हैं. इनमें से एक पर संविधान की पुरानी प्रस्तावना दिखती है. चार स्तंभों में धरसींवा और तिल्दा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों के नाम लिखें हैं. कुल 209 नाम इसमें अंकित हैं.

पढ़ें: राज्यपाल अनुसुइया उइके ने पुलिस परेड ग्राउंड में फहराया तिरंगा

यहां है संविधान की पुरानी प्रस्तावना

old preamble of the constitution
ऐसी थी संविधान की पुरानी प्रस्तावना

विभाग के परिसर में एक स्तंभ में संविधान की पुरानी प्रस्तावना देखने को मिलती है. दरअसल साल 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के जरिए प्रस्तावना में संशोधन किया गया था. लेकिन यह स्तंभ 1972 में लगाई गई थी. ऐसे में अब भी इसमें संविधान की पुरानी प्रस्तावना देखने को मिलती है.

यह थी संविधान की पुरानी प्रस्तावना

"हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय, सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक , विचार ,अभिव्यक्ति, विश्वास ,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता ,प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी,संवत दो हजार छ: विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्म समर्पित करते हैं."

पढ़ें: 'शासकीय भूमि में लगाए जाएंगे उद्योग, नहीं ली जाएगी आदिवासियों की जमीन'

भारत के 25वीं स्वतंत्रता सालगिरह पर हुई इसकी स्थापना

संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया के भारत कि 25वीं स्वतंत्रता सालगिरह के मौके पर 1972 में ब्लॉक के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शहीदों का शिलालेख का नाम लिखा गया था. रसीवा और तिल्दा ब्लॉक के लगभग 209 स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का नाम उल्लेखित हैं. इसे छत्तीसगढ़ के धरोहर के रूप में संजोकर रखा गया है.

विवेक आचार्य ने बताया कि पहले जय स्तंभ गढ़ कलेवा के पास स्थित था. पिछले साल जीर्णोद्धार कर उसे दोबारा स्थापित किया गया है. यह हमारी धरोहर है. हमारे देश को आजाद कराने के लिए जो संघर्ष किया गया उसकी यादें इससे जुड़ी हुई हैं. जिन सेनानियों ने देश को स्वाधीन बनाया उनके नाम इतिहास में दर्ज हो गए हैं. हमें उनके बारे में जानना जरूरी है. इन स्मारकों के जरिए इतिहास को आने वाली पीढ़ी याद कर सकेगी.

रायपुर: शहर में आजादी के आंदोलन की गवाही देने वाले कई ऐतिहासिक इमारत मौजूद हैं. राजधानी के बीच स्थित महंत घासीदास संग्रहालय में ऐसे स्तंभ हैं. जो आजादी के परवानों की याद दिलाते हैं. देश की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कई सवतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम इसमें अंकित हैं. संस्कृति विभाग के कैंपस में 5 स्तंभ हैं, जिनमें एक स्तम्भ में संविधान की प्रस्तावना और चार स्तंभ में धरसींवा और तिल्दा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहीद हुए देश भक्तों के नाम लिखे हैं.

संस्कृति विभाग के कैंपस में स्थित पांच स्तंभ

संस्कृति विभाग के कैंपस में स्थित पांच स्तंभ आजादी के परवानों की याद दिलाते हैं. कैंपस में पांच शिलालेख मौजूद हैं. इनमें से एक पर संविधान की पुरानी प्रस्तावना दिखती है. चार स्तंभों में धरसींवा और तिल्दा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों के नाम लिखें हैं. कुल 209 नाम इसमें अंकित हैं.

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यहां है संविधान की पुरानी प्रस्तावना

old preamble of the constitution
ऐसी थी संविधान की पुरानी प्रस्तावना

विभाग के परिसर में एक स्तंभ में संविधान की पुरानी प्रस्तावना देखने को मिलती है. दरअसल साल 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के जरिए प्रस्तावना में संशोधन किया गया था. लेकिन यह स्तंभ 1972 में लगाई गई थी. ऐसे में अब भी इसमें संविधान की पुरानी प्रस्तावना देखने को मिलती है.

यह थी संविधान की पुरानी प्रस्तावना

"हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय, सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक , विचार ,अभिव्यक्ति, विश्वास ,धर्म और उपासना की स्वतंत्रता ,प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी,संवत दो हजार छ: विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्म समर्पित करते हैं."

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भारत के 25वीं स्वतंत्रता सालगिरह पर हुई इसकी स्थापना

संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया के भारत कि 25वीं स्वतंत्रता सालगिरह के मौके पर 1972 में ब्लॉक के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शहीदों का शिलालेख का नाम लिखा गया था. रसीवा और तिल्दा ब्लॉक के लगभग 209 स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का नाम उल्लेखित हैं. इसे छत्तीसगढ़ के धरोहर के रूप में संजोकर रखा गया है.

विवेक आचार्य ने बताया कि पहले जय स्तंभ गढ़ कलेवा के पास स्थित था. पिछले साल जीर्णोद्धार कर उसे दोबारा स्थापित किया गया है. यह हमारी धरोहर है. हमारे देश को आजाद कराने के लिए जो संघर्ष किया गया उसकी यादें इससे जुड़ी हुई हैं. जिन सेनानियों ने देश को स्वाधीन बनाया उनके नाम इतिहास में दर्ज हो गए हैं. हमें उनके बारे में जानना जरूरी है. इन स्मारकों के जरिए इतिहास को आने वाली पीढ़ी याद कर सकेगी.

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