रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी तमाम यादों को छोड़कर दुनिया को अलविदा कह गए हैं. जोगी के निधन के बाद उन्हें जानने वाले उन्हें याद कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जोगी लंबे समय तक प्रशासनिक सेवा में रहे. अपनी खास शैली के चलते वे आम लोगों के साथ ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों के बीच जगह बना लेते थे. ETV भारत के साथ उनके वरिष्ठ और जोगी के काम को करीब से देखने वाले दो पूर्व अधिकारियों ने उनकी यादें साझा की.
मुख्यमंत्री के दौरान कामकाज को काफी करीब से देखने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव सुयोग्य मिश्र और पूर्व आईएएस अधिकारी डॉक्टर इंदिरा मिश्रा प्रशासनिक जीवन अजीत जोगी के सीनियर रहे. हालांकि बाद में अजीत जोगी जब मुख्यमंत्री बने तब भी उनके साथ भी दोनों अफसरों ने काम किया.
'तेजी से काम करने में था जोगी का विश्वास'
पूर्व आईएएस इंदिरा मिश्रा ने ETV भारत से अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि, अजीत जोगी से उनकी पहली मुलाकात 1970 में हुई थी. वे कहती हैं कि अजीत जोगी बहुत तेज काम करने में विश्वास रखते थे. जबलपुर में जब जोगी असिस्टेंट कलेक्टर थे, तब की याद इंदिरा ने हमारे साथ साझा की. वे कहती हैं कि बहुत कम समय में जिले के सभी अधिकारी उन्हें जानने और सम्मान करने लगे थे. तेजी से काम करने की वजह से उन्हें जल्द ही बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां मिलती चली गईं.
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'जो रफ्तार नहीं रखता था, जोगी उससे भी निपट लेते थे'
इंदिरा मिश्रा बताती हैं कि उन्हें धीरे काम करना बिल्कुल पसंद नहीं था. उनका यही रुख मुख्यमंत्री बनने के बाद भी रहा. वे कहती हैं कि सीएम रहने के दौरान भी उनकी रफ्तार, उनके काम में झलकती थी. इंदिरा मिश्र ने हमें यह भी बताया कि जोगी उन व्यक्तियों से भी निपटने में जरा वक्त नहीं लेते थे, जो उनकी रफ्तार के साथ कदमताल ना बैठा पा रहा हो.
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'छत्तीसगढ़ के लिए सोचते थे जोगी'
पूर्व मुख्य सचिव सुयोग्य मिश्र ने भी अजीत जोगी के साथ उनकी कई यादें साझा कीं. उन्होंने बताया कि अजीत जोगी ने बहुत कम समय में छत्तीसगढ़ के विकास का एक विजन तैयार कर लिया था. वे अक्सर बताया करते थे, कि आने वाला कल छत्तीसगढ़ का है और यह कैसे देश का सबसे विकसित राज्य बन सकता है. वे कहा करते थे कि, छत्तीसगढ़ इक्कीसवीं सदी का सबसे तेज विकसित होने वाला राज्य बन सकता है क्योंकि, इसके पास खनिज संपदा बहुत है.
पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने अजीत जोगी के निधन पर गहरा शोक जताया है और इसे छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति बताया है.