बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिलासपुर मस्तूरी के सिरसा बांध के डुबान क्षेत्र का नए सिरे से सीमांकन करने का आदेश दिया है. बिलासपुर हाई कोर्ट ने कहा है कि जिनकी जमीन डुबान क्षेत्र में आई है उनको उचित मुआवजा दिया जाए. हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में ये भी आदेश दिया है कि संबंधित आदेश मिलने के 60 दिन यानि दो महीने के भीतर ये कार्रवाई की जाए. बिलासपुर मस्तूरी के सिरसा बांध के डुबान क्षेत्र को लेकर कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया गया है.
कोर्ट ने दिया 60 दिन का वक्त: मस्तूरी क्षेत्र में जल संसाधन विभाग की ओर से सिरसा बांध का निर्माण कराया गया है. याचिकाकर्ता केरा बाई और मुना बाई की भूमि डुबान क्षेत्र में आई है. इससे भूस्वामियों ने 2007 से यहां खेती बाड़ी बंद कर दी है. भूमि स्वामियों ने मुआवजा दिलाए जाने की मांग करते हुए एसडीओ भू अर्जन, कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन विभाग सहित कई प्रशासनिक अफसरों को आवेदन दिया. आवेदन निरस्त होने पर याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता योगेश चंद्रा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की. पीड़ितों के वकील ने याचिका में सीमांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए जमीन का मुआवजा दिलाए जाने की मांग की.
जल संसाधन विभाग का पक्ष: जल संसाधन विभाग की ओर से इस संबंध में कहा कि याचिकाकर्ताओं की जमीन डुबान में नहीं आने के कारण उनको मुआवजा नहीं दिया जा सकता है. हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं के पीठ के पीछे कार्रवाई की गई है. पीड़ितों कों जानकारी ही नहीं दी गई, जो कि अनुचित है. कोर्ट ने एसडीओ भू अर्जन को आदेश प्राप्त होने के बाद 60 दिन के अंदर नए सिरे से सीमांकन कर आदेश करने और यदि याचिकाकर्ताओं की जमीन डुबान में है तो उन्हें उचित मुआवजा देने का आदेश दिए.