रायपुर: छत्तीसगढ़ में लगातार खाद्य सामग्रियों में मिलावट की शिकायतें सामने आ (Food and drug adulteration in Chhattisgarh) रही है. इसके बावजूद खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग मिलावट रोकने में नाकाम साबित हो रहा है. हाल ही में एफएसएसएआई (Food Safety and Standards Authority of India) द्वारा 29 राज्यों के खाद्य तेलों की जांच रिपोर्ट जारी की गई थी, जिनमें शुद्धता के मामले में छत्तीसगढ़ प्रदेश में 24 वें स्थान पर (Food and Drug Administration Department failed to stop adulteration ) था.
177 तेलों का लिया गया था सैंपल
एफएसएसएआई(fssai) ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों से 177 तेलों का सैम्पल लिया था. जिसकी जांच देश के अलग-अलग प्रयोगशाला में करवाई गई. इन 177 ऑइल सैंपल में 88 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे. प्रदेश में बिक रहे सरसों तेल राइसब्रान ऑयल के सैम्पल सबसे ज्यादा फेल हुए. लिए गए 177 तेल सैम्पल में 49.7 प्रतिशत तेल मानकों पर खरे नही उतरे. रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में मिलने वाले खाद्य तेलों में कीटनाशक और घातक रसायन के साथ मेटल पाए गए.
यह भी पढ़ें: अधिक समय तक मास्क का इस्तेमाल शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा को नहीं बढ़ाता, डॉक्टर ज्योति दास का खुलासा
असली-नकली की पहचान मुश्किल
मिलावट को लेकर राजधानी के राजू शर्मा कहते हैं कि आज के समय में खाद्य सामग्रियों में असली और नकली की पहचान कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा है. हम असली खाद्य पदार्थ खा रहे हैं या नकली यह भी पता नहीं चलता. जब मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलती है कि हम मिलावटी चीजें खाते हैं तो हमें बहुत अचंभा होता है. महंगाई के कारण आज राशन खरीदने में भी बड़ी दिक्कतें आ रही है. जो सामान हम खरीद रहे हैं, वह भी नकली होता है. नकली खाद्य सामग्रियों का इतना उत्पादन हो रहा है कि उसे सरकार भी नहीं संभाल पा रही. कभी-कभी ऐसा लगता है कि मिलावट खोरी में सरकार भी मिली हुई है. नकली चीजें खाने के कारण अस्पतालों में भी लोग बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं.जिसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है.
मिलावट में भी सियासी बयानबाजी
भाजपा पार्षद दल के प्रवक्ता मृत्युंजय दुबे ने मिलावट खोरी को लेकर कहा कि प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार आई है तब से मिलावट की खबरें आ रही हैं. अधिक मात्रा में खाद्य सामग्रियों में मिलावट की शिकायत मिल रही है. इसके अलावा तेल, घी, मिठाइयों के साथ-साथ दवाइयों में भी मिलावट हो रही है. बावजूद इसके खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है. मिलावट वाली चीजों के सैंपल कलेक्ट कर लिए जाते हैं. लेकिन समय पर रिपोर्ट नहीं मिलती. मिलावट खोरी रोकने के बजाय छत्तीसगढ़ सरकार हाथ धरे बैठा हुआ है. छत्तीसगढ़ की जनता का स्वास्थ्य खराब हो रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
कार्रवाई महज कागजी
गोलबाजार मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश जैन ने मिलावट खोरी को लेकर कहा कि सैंपल लिए जाते हैं, जो फेल होते हैं. प्रयोगशाला से भी दो चीजें बनाई जाती है. मिस ब्रांडिंग और फेल जहां से सैंपल कलेक्शन करना चाहिए, वहां से सैंपल कलेक्ट नहीं किया जाता. जहां मिल है, जहां से चीजें सप्लाई हो रही है, वहां से सैंपल कलेक्शन करने चाहिए. जैन ने कहा कि सरकार को मिलावट रोकनी चाहिए. यह सरकार का काम है. यह बात भी सही है कि मिलावट बढ़ रही है. लेकिन सरकार उन पर कार्रवाई करे. जहां से सामानों की सप्लाई हो रही है. व्यापारियों को परेशान करने के लिए छोटी जगहों पर छापेमार कार्रवाई होती है, लेकिन बड़े लोगों पर कार्रवाई नहीं होती.
मिलावटी खाद्य सामग्री से होती है बीमारी
इस विषय में डाइटीशियन डॉ. सारिका श्रीवास्तव ने बताया कि आज के समय में खाद्य पदार्थों में मिलावट बहुत ज्यादा बढ़ गया है. मिलावट करने से फूड की न्यूट्रिशन वैल्यू कम हो जाती है और मिलावटी खाद्य के सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ता है. मिलावटी भोजन खाने से पेट से संबंधित रोग होते हैं. लकवा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है. इसके साथ ही मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से कार्डियक अरेस्ट जैसी भी समस्याएं भी देखने को मिलती है. खाने के तेल में बड़ी मात्रा में मिलावट की जा रही है, जिसके कारण किसी की मौत भी हो सकती है. कॉफी में इमली के बीज को मिलाया जाता है. मसालों में चौक के बुरादों का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा लड़की के बुरादे मसाले में मिलाए जा रहे हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.
यह भी पढ़ें: Health Minister TS Singhdeo का छलका दर्द, कहा- राहुल गांधी आ रहे छत्तीसगढ़ इसलिए बिगाड़ी जा रही मेरी छवि
समय-समय पर होती है कार्रवाई
खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के नियंत्रक केडी कुंजाम से फोन पर ईटीवी भारत ने बातचीत की. समय-समय पर सैंपल जांच के बाद कार्रवाई की जाती है. पहले प्रदेश से सैंपल जांच के लिए मध्यप्रदेश भेजे जाते थे. लेकिन अब प्रदेश में लैब में जांच की जाती है. वहीं खाद्य तेलों की गुणवत्ता को लेकर नियंत्रक ने कहा कि, छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में रैंडम सैंपलिंग की गई थी. सर्विलांस के लिए यह किया गया था. अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है. आगे जब रिपोर्ट मिलेगी तो जो निर्देश मिलेगा. उस आधार पर कार्रवाई की जाएगी.