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रायपुरः 8 महीने में नौकरी गंवा चुके 5 कर्मचारियों ने की आत्महत्या, अब भी सो रही है सरकार

इन 8 महीनों में नौकरी गंवा चुके कर्मचारियों में से 5 ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या तक कर ली है, लेकिन कंपनी ने अभी तक मामले में कुछ नहीं किया है.

8 महीने में नौकरी गवां चुके 5 कर्मचारियों ने की आत्महत्या, अब भी सो रही है सरकार
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Published : May 7, 2019, 1:28 PM IST

Updated : May 7, 2019, 2:41 PM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी GVK पर अपने 600 पुराने कर्मचारियों को आठ महीने बाद भी नौकरी नहीं देने का आरोप है. कंपनी के कर्मचारी आठ महीने पहले अपनी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद कंपनी ने सभी कर्मचारियों नौकरी से निकाल दिया था. हालांकि बाद में तत्कालीन सरकार के हस्ताक्षेप के बाद कंपनी ने सभी को फिर से रखने की बात कही थी, लेकिन आठ महीने बाद भी कंपनी ने 600 कर्मचारियों को नौकरी नहीं मिली है.

8 महीने में नौकरी गंवा चुके 5 कर्मचारियों ने की आत्महत्या

बताया जा रहा है, इन 8 महीनों में नौकरी गंवा चुके कर्मचारियों में से 5 ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या तक कर ली है, लेकिन कंपनी ने अभी तक मामले में कुछ नहीं किया है. हालांकि, एक हजार 900 कर्मचारियों को फिर से काम पर रख लिया गया है, लेकिन 600 कर्मचारियों अभी भी ज्वाइनिंग का इंतजार है.

अजय चंद्राकर ने की थी मध्यस्थता
दरअसल, आठ महीने पहले छत्तीसगढ़ में एंबुलेंस सेवा में काम कर रहे कर्मचारी स्थायी नौकरी और वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी ने सभी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. जिसपर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने मामले में मध्यस्थता करते हुए चुनाव के बाद देखने और कर्मचारियों से तुरंत हड़ताल खत्म करने की बात कही थी.

हालांकि चुनाव के बाद प्रदेश में सरकार बदल गई और कर्मचारियों को कंपनी ने नई शर्तों के साथ नौकरी की पेशकश की. जिसमें 1900 कर्मचारियों इस शर्त पर नौकरी पर रखा गया है कि वे भविष्य में अपनी किसी मांग को लेकर हड़ताल नहीं करेंगे, लेकिन 600 कर्मचारियों को अभी भी नौकरी पर नहीं रखा गया है.

रायपुरः छत्तीसगढ़ में एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी GVK पर अपने 600 पुराने कर्मचारियों को आठ महीने बाद भी नौकरी नहीं देने का आरोप है. कंपनी के कर्मचारी आठ महीने पहले अपनी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद कंपनी ने सभी कर्मचारियों नौकरी से निकाल दिया था. हालांकि बाद में तत्कालीन सरकार के हस्ताक्षेप के बाद कंपनी ने सभी को फिर से रखने की बात कही थी, लेकिन आठ महीने बाद भी कंपनी ने 600 कर्मचारियों को नौकरी नहीं मिली है.

8 महीने में नौकरी गंवा चुके 5 कर्मचारियों ने की आत्महत्या

बताया जा रहा है, इन 8 महीनों में नौकरी गंवा चुके कर्मचारियों में से 5 ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या तक कर ली है, लेकिन कंपनी ने अभी तक मामले में कुछ नहीं किया है. हालांकि, एक हजार 900 कर्मचारियों को फिर से काम पर रख लिया गया है, लेकिन 600 कर्मचारियों अभी भी ज्वाइनिंग का इंतजार है.

अजय चंद्राकर ने की थी मध्यस्थता
दरअसल, आठ महीने पहले छत्तीसगढ़ में एंबुलेंस सेवा में काम कर रहे कर्मचारी स्थायी नौकरी और वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी ने सभी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. जिसपर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने मामले में मध्यस्थता करते हुए चुनाव के बाद देखने और कर्मचारियों से तुरंत हड़ताल खत्म करने की बात कही थी.

हालांकि चुनाव के बाद प्रदेश में सरकार बदल गई और कर्मचारियों को कंपनी ने नई शर्तों के साथ नौकरी की पेशकश की. जिसमें 1900 कर्मचारियों इस शर्त पर नौकरी पर रखा गया है कि वे भविष्य में अपनी किसी मांग को लेकर हड़ताल नहीं करेंगे, लेकिन 600 कर्मचारियों को अभी भी नौकरी पर नहीं रखा गया है.

Intro:हड़ताल खत्म हुए हो गए सात महीने से अधिक, अभी तक नही हुई बहाली, दर - दर भटक रहे 108/ 102 के कर्मचारी

रायपुर । 108 / 102 कर्मचारियों के हड़ताल को खत्म हुए तकरीबन आठ महीने हो चुके हैं । लेकिन अब भी 600 ऐसे कर्मचारी हैं जप बहाली का रास्ता देख रहे हैं । 5 कर्मचारियों ने आत्म हत्या भी कर ली है । तब के स्वास्थ्य मंत्री रहे अजय चंद्राकर ने जीवीके कंपनी और कर्मचारी के बीच समन्वय बनाया था ।

प्रदेश प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रघुनाथ साहू ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि जीवीके कंपनी द्वारा कर्मचारियों को लगातार परेशान कर रहे हैं । हमारे पांच साथियों ने आत्महत्या कर ली है ।

संगठन प्रांताध्यक्ष राजेंद्र राठौर ने बताया कि हड़ताल वापस लेने के चार महीने बाद तक जोइनिंग नही दी गई । हम परेशान होते रहे । जीवीके कंपनी ने स्टापम नोटरी करा कर समस्त कर्मचारियों दुबारा दिए जाने के एक माह बात धीरे - धीरे 1900 कमर्चारियों को जोइनिंग दिया गया । अभी 600 कर्मचारियों को जोइनिंग नहीं दिया गया ।

कंपनी के अजीब नियमों से परेशान होकर रवि यादव, हनुमान प्रसाद समेत पांच कर्मचारियों ने हत्या कर ली है । कंपनी ना तो किसी को छुट्टी देती थी ना ही किसी प्रकार स्व कर्मचारियों की बात सुनाती थी । 108 / 102 के कर्मचारियों को इन दिनों मजबूरी वस प्राइवेट नॉकरी करनी पड़ रही है ।

बाइट - रघुनाथ प्रसाद ( प्रदेश प्रतिनिधि मंडल )




Body:हड़ताल खत्म हुए हो गए सात महीने से अधिक, अभी तक नही हुई बहाली, दर - दर भटक रहे 108/ 102 के कर्मचारी

रायपुर । 108 / 102 कर्मचारियों के हड़ताल को खत्म हुए तकरीबन आठ महीने हो चुके हैं । लेकिन अब भी 600 ऐसे कर्मचारी हैं जप बहाली का रास्ता देख रहे हैं । 5 कर्मचारियों ने आत्म हत्या भी कर ली है । तब के स्वास्थ्य मंत्री रहे अजय चंद्राकर ने जीवीके कंपनी और कर्मचारी के बीच समन्वय बनाया था ।

प्रदेश प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रघुनाथ साहू ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि जीवीके कंपनी द्वारा कर्मचारियों को लगातार परेशान कर रहे हैं । हमारे पांच साथियों ने आत्महत्या कर ली है ।

संगठन प्रांताध्यक्ष राजेंद्र राठौर ने बताया कि हड़ताल वापस लेने के चार महीने बाद तक जोइनिंग नही दी गई । हम परेशान होते रहे । जीवीके कंपनी ने स्टापम नोटरी करा कर समस्त कर्मचारियों दुबारा दिए जाने के एक माह बात धीरे - धीरे 1900 कमर्चारियों को जोइनिंग दिया गया । अभी 600 कर्मचारियों को जोइनिंग नहीं दिया गया ।

कंपनी के अजीब नियमों से परेशान होकर रवि यादव, हनुमान प्रसाद समेत पांच कर्मचारियों ने हत्या कर ली है । कंपनी ना तो किसी को छुट्टी देती थी ना ही किसी प्रकार स्व कर्मचारियों की बात सुनाती थी । 108 / 102 के कर्मचारियों को इन दिनों मजबूरी वस प्राइवेट नॉकरी करनी पड़ रही है ।

बाइट - रघुनाथ प्रसाद ( प्रदेश प्रतिनिधि मंडल )




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Last Updated : May 7, 2019, 2:41 PM IST
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