रायपुरः छत्तीसगढ़ में एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी GVK पर अपने 600 पुराने कर्मचारियों को आठ महीने बाद भी नौकरी नहीं देने का आरोप है. कंपनी के कर्मचारी आठ महीने पहले अपनी कुछ मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद कंपनी ने सभी कर्मचारियों नौकरी से निकाल दिया था. हालांकि बाद में तत्कालीन सरकार के हस्ताक्षेप के बाद कंपनी ने सभी को फिर से रखने की बात कही थी, लेकिन आठ महीने बाद भी कंपनी ने 600 कर्मचारियों को नौकरी नहीं मिली है.
बताया जा रहा है, इन 8 महीनों में नौकरी गंवा चुके कर्मचारियों में से 5 ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या तक कर ली है, लेकिन कंपनी ने अभी तक मामले में कुछ नहीं किया है. हालांकि, एक हजार 900 कर्मचारियों को फिर से काम पर रख लिया गया है, लेकिन 600 कर्मचारियों अभी भी ज्वाइनिंग का इंतजार है.
अजय चंद्राकर ने की थी मध्यस्थता
दरअसल, आठ महीने पहले छत्तीसगढ़ में एंबुलेंस सेवा में काम कर रहे कर्मचारी स्थायी नौकरी और वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद एंबुलेंस सेवा देने वाली कंपनी ने सभी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. जिसपर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने मामले में मध्यस्थता करते हुए चुनाव के बाद देखने और कर्मचारियों से तुरंत हड़ताल खत्म करने की बात कही थी.
हालांकि चुनाव के बाद प्रदेश में सरकार बदल गई और कर्मचारियों को कंपनी ने नई शर्तों के साथ नौकरी की पेशकश की. जिसमें 1900 कर्मचारियों इस शर्त पर नौकरी पर रखा गया है कि वे भविष्य में अपनी किसी मांग को लेकर हड़ताल नहीं करेंगे, लेकिन 600 कर्मचारियों को अभी भी नौकरी पर नहीं रखा गया है.