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टेंडर निरस्त कराने मछुआरों ने खोला मोर्चा, जमकर किया विरोध प्रदर्शन - छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ कार्यालय

धमतरी जिले के गंगरेल जलाशय के डुबान क्षेत्र में आने वाले मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए पिछली सरकार ने 10 वर्षीय पट्टा दिया था, जो 30 जून को खत्म होने वाला है.

fishermen protests in raipur
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Published : Jun 20, 2019, 12:30 PM IST

Updated : Jun 20, 2019, 4:25 PM IST

रायपुर : मछुआ सहकारी समिति ने गंगरेल जलाशय के डुबान क्षेत्र में टेंडर की प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ कार्यालय में जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद महासंघ के अध्यक्ष और एमडी से मुलाकात की. धमतरी जिले के गंगरेल जलाशय के डुबान क्षेत्र में आने वाले मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए पिछली सरकार ने 10 वर्षीय पट्टा दिया था, जो 30 जून को खत्म होने वाला है.

fishermen protests in raipur

समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि समिति को यह बात पता चली है कि इसका टेंडर हो गया है. इसे हम निरस्त करने की मांग करते हैं. धमतरी जिले और आस-पास के लगभग 52 गांव के 700 परिवारों के रोजी-रोटी का जरिया मत्स्य पालन है जो मछुआ सहकारी समिति बनाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. अगर पट्टे की अवधि नहीं बढ़ाई जाती है, तो ऐसे में समिति कैसे अपना रोजी रोटी चलाएगी.

कभी भी लागू हो सकती है टेंडर प्रथा
मामले में महासंघ के अध्यक्ष का कहना है कि टेंडर प्रथा को फिलहाल रोक दिया गया है, लेकिन कभी भी टेंडर प्रथा फिर से लागू की जा सकती है. ऐसे ही में मत्स्य पालन करने वाले इन मछुआ समिति के मछुआरों का क्या होगा. इस पर फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता.

रायपुर : मछुआ सहकारी समिति ने गंगरेल जलाशय के डुबान क्षेत्र में टेंडर की प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ कार्यालय में जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद महासंघ के अध्यक्ष और एमडी से मुलाकात की. धमतरी जिले के गंगरेल जलाशय के डुबान क्षेत्र में आने वाले मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए पिछली सरकार ने 10 वर्षीय पट्टा दिया था, जो 30 जून को खत्म होने वाला है.

fishermen protests in raipur

समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि समिति को यह बात पता चली है कि इसका टेंडर हो गया है. इसे हम निरस्त करने की मांग करते हैं. धमतरी जिले और आस-पास के लगभग 52 गांव के 700 परिवारों के रोजी-रोटी का जरिया मत्स्य पालन है जो मछुआ सहकारी समिति बनाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. अगर पट्टे की अवधि नहीं बढ़ाई जाती है, तो ऐसे में समिति कैसे अपना रोजी रोटी चलाएगी.

कभी भी लागू हो सकती है टेंडर प्रथा
मामले में महासंघ के अध्यक्ष का कहना है कि टेंडर प्रथा को फिलहाल रोक दिया गया है, लेकिन कभी भी टेंडर प्रथा फिर से लागू की जा सकती है. ऐसे ही में मत्स्य पालन करने वाले इन मछुआ समिति के मछुआरों का क्या होगा. इस पर फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता.

Intro:

रायपुर धमतरी जिले के गंगरेल जलाशय डुबान क्षेत्र में आने वाले मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए पिछली सरकार ने 10 वर्षीय पट्टा दिया गया था जो कि 30 जून को समाप्त होने वाला मछुआ सहकारी समिति का कहना है कि पट्टा की अवधि बढ़ाई जाए लेकिन फिर मछुआ सहकारी समिति को यह बात पता चली की इसका टेंडर हो गया और टेंडर की प्रक्रिया को निरस्त करवाने के लिए छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ कार्यालय पहुंचकर अध्यक्ष और एमडी से मुलाकात की मुलाकात के बाद सैकड़ों की संख्या में मछुआरों ने कार्यालय में जमकर प्रदर्शन भी किया


Body:

छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ कार्यालय में धमतरी जिले के और आसपास के लगभग 52 गांव के 700 परिवारों का रोजी-रोटी का जरिया मत्स्य पालन है जो मछुआ सहकारी समिति बनाकर यह मछुआरे अपना जीवन यापन कर रहे हैं 30 जून 2019 को इनके पट्टे की अवधि समाप्त हो रही है पट्टे की अवधि बढ़ाने की मांग और टेंडर प्रथा को बंद किए जाने की को लेकर मछुआ सहकारी समिति में जमकर प्रदर्शन किया उनका कहना है कि अगर उनके पट्टे की अवधि नहीं बढ़ाई जाती है तो ऐसे में मछुआ सहकारी समिति कैसे अपना रोजी रोटी चला पाएगी


Conclusion:

मछुआ सहकारी समिति के सदस्यों ने छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ के कार्यालय में अध्यक्ष से मुलाकात की तो अध्यक्ष का कहना था टेंडर प्रथा को फिलहाल रोक दिया गया है लेकिन कभी भी टेंडर प्रथा फिर से लागू की जा सकती ऐसे ही में मत्स्य पालन करने वाले इन मछुआ समिति के मछुआरों का क्या होगा यह फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता


बाइट राम कृष्ण धीवर अध्यक्ष छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ रायपुर


रितेश तंबोली ईटीवी भारत रायपुर
Last Updated : Jun 20, 2019, 4:25 PM IST
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