रायपुर : छत्तीसगढ़ की रीढ़ किसान और जवान हैं. इस प्रदेश को 'धान का कटोरा' कहा जाता है. यहां की आर्थिक स्थिति कृषि की वजह से मजबूत है. यहां 70 फीसदी से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर हैं. वनांचलों में रहने वालों की आजीविका वनोपजों से चलती है. प्रदेश में छत्तीसगढ़ में धान खरीदी चल रही है और इस साल 2 लाख नए किसानों ने पंजीयन कराया है. लेकिन किसान आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.
रकबे में कमी और कर्ज के टेंशन से किसान परेशान हैं. कीटनाशक की वजह से फसल खराब होने के कारण छत्तीसगढ़ का किसान जान दे रहा है.
हाल की घटनाओं पर नजर-
- पहला मामला- राजनांदगांव में मंगलवार को घुमका धान खरीदी केंद्र में धान बेचने पहुंचे किसान करण साहू की मौत हो गई है. मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है. परिजनों ने आरोप लगाया है कि रिश्वत लेने के चक्कर में धान को खराब बताया गया. किसान के बेटे ने इसके लिए धान खरीदी केंद्र के प्रभारी को दोषी ठहराया है और जांच की मांग की है.
- दूसरा मामला- ETV भारत से जांजगीर-चंपा के किसानों ने उनके केसीसी कार्ड से लाखों रुपए के गबन की जानकारी दी थी. किसानों ने मंत्री से मुलाकात कर आत्महत्या की चेतावनी भी दी है.
- तीसरा मामला- कोंडागांव के बड़ेराजपुर ब्लॉक में एक किसान ने रकबे में भारी भरकम कटौती के कारण आत्महत्या कर ली थी. जानकारी के अनुसार गिरदावरी रिपोर्ट में कई प्रकार की गलती की बात सामने आ रही है. इसके कारण किसान ने आत्महत्या कर ली है. इस घटना में कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने कार्रवाई करते हुए पटवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. वहीं तहसीलदार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
- चौथा मामला- महीने की शुरुआत में ही दुर्ग में फसल खराब होने की वजह से अन्नदाता ने मौत को गले लगा लिया था. किसान डुगेश प्रसाद निषाद अपने पीछे सुसाइड नोट छोड़ कर गया है, जिसमें उसने दवा का छिड़काव करने के बाद फसल खराब होने की बात लिखी थी. पिता ने कहा था कि उसके बेटे ने तीन बार खेतों में दवा का छिड़काव किया था. करीब 5 एकड़ में लगी खड़ी फसल बर्बाद हो गई और उसका बेटा खेत में ही फांसी के फंदे पर झूल गया.
किसान आत्महत्या के मामले में पांचवें स्थान पर छत्तीसगढ़- NCRB ने सितंबर महीने में 2019 की रिपोर्ट जारी की है, इसके बाद भी किसान और कृषि से जुड़े लोगों की आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पांचवें स्थान पर है. NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या के 998 मामले सामने आए थे.
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'एक साल में 234 किसानों ने की आत्महत्या'
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर मंच पर सरकार को किसान हितैषी बताते हैं. सीएम ने केंद्र सरकार से तीनों विवादित कानूनों को वापस लेकर देश से माफी मांगने की मांग की. वहीं सीएम के बयान पर प्रदेश बीजेपी प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने भी करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ में 234 किसानों ने आत्महत्या की है. ऐसे में सीएम को ये अधिकार नहीं है कि वे किसानों के हितैषी हैं.
तनाव से टूट रहे नक्सलियों से लड़ते रखवाले
छत्तीसगढ़ के 14 जिले नक्सल प्रभावित हैं. सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, बालोदए धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बलरामपुर और कबीरधाम जिले नक्सलवाद से जूझ रहे हैं. इस क्षेत्रों में सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों के कंधे पर है. इन इलाकों में तैनात जवानों के सामने मोर्चा लेने के दौरान तमाम परेशानियां सामने आती हैं. इसमें भी सबसे बड़ी वजह है तनाव, जो जवानों की जान ले रहा है.
छत्तीसगढ़ में पिछले 10 दिन के अंदर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात 4 जवानों ने जान दे दी है. जवानों की आत्महत्या के पीछे तनाव और छुट्टी न मिलना बड़ी वजह जानकार और अधिकारी भी मानते हैं.
10 दिन के अंदर 4 जवानों ने दी जान-
- पहला मामला- अंतागढ़ में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जवान का नाम स्वराज पीएल बताया है. वो केरल के वायनाड का रहने वाला था. सुसाइड की वजह का पता नहीं चल सका है.
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- दूसरा मामला- बीजापुर जिले के कुटरु थाना इलाके में पुलिसकर्मी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. सहायक उप निरीक्षक सन्नू कुटरु इलाके के तुमला गांव जाकर घर लौटा था. इसी बीच घर में आकर उसने सुसाइड कर लिया.
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- तीसरा मामला- धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के पामेड़ थाना में पदस्थ एक आरक्षक ने अपनी सर्विस रायफल से खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी. जवान का ना विनोद पोर्ते है. वो कोरबा जिले के सिरसा गांव का रहने वाला है.
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- चौथा मामला- सुकमा जिले के पुसपाल थाने में तैनात सीएएफ के जवान दिनेश वर्मा ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली. दिनेश वर्मा पुसपाल थाने में तैनात था और दुर्ग जिले के भिलाई का रहने वाला था.
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चलाया जा रहा है स्पंदन अभियान
प्रदेश में पुलिसकर्मियों को राज्य पुलिस ने जवानों को अवसाद और तनाव से बचाने के लिए 2 जून 2020 से स्पंदन अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत पुलिस जवानों को अवसाद और तनाव से राहत देने का काम किया जा रहा है. जवानों के लिए कैंपों में मनोचिकित्सक म्यूजिक थेरेपी, योग, शिक्षा, खेलकूद और पुस्तकालय आदि की व्यवस्था की गई है. लेकिन फिर भी अंदरूनी इलाकों से जवानों की खुदकुशी की खबरें आती रहती हैं.