रायपुर: छत्तीसगढ़ में मानसून ने देर से दस्तक दी. कई इलाकों में तो खूब बारिश हुई जिससे नदी-नाले उफान पर हैं. लेकिन कुछ क्षेत्रों में न के बराबर बारिश हुई है जिससे किसान काफी परेशान हैं. वहीं वाटर लेवल में भी कोई बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है.
छत्तीसगढ़ में बारिश हुई तो लेकिन प्रदेश में भू-जल स्तर काफी नीचे जा चुका है. 27 में से 7 जिले मुंगेली, कवर्धा, बेमेतरा, राजनादगांव, दुर्ग, रायपुर और बलौदाबाजार में बारिश तो हुई लेकिन केवल नाम मात्र की. बस्तर संभाग के कुछ जिलों को छोड़कर राज्य के ज्यादातर हिस्सों में अच्छी बारिश नहीं हुई है.
वाटर लेवल भी जा चुका है नीचे
सरकार भी इस बात को मानती है कि ये चिंता का विषय है. क्योंकि वाटर लेवल नीचे जाने से जाने से किसानों और आम लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. भूपेश सरकार काफी बैठकों के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि मौजूदा सीज़न में अगर ठीक-ठाक बारिश नहीं हुई तो तुरंत किसानों को राहत के लिए कुछ नई योजनाओं को लाने पर विचार करना होगा.
प्रदेश के कई इलाकों में सूखे के हालात
वहीं किसानों के सामने अल्पवर्षा के हालात से मुसीबतों का पहाड़ टूटने लगा है. किसान भी मान रहे हैं कि इस साल छत्तीसगढ़ में सूखे जैसे हालात हो रहे हैं. बस्तर की बात छोड़ दें तो बाकी छत्तीसगढ़ में पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अल्प वर्षा से किसानों की दिक्कतें बढ़ गई है. इसके राहत दिलाने के लिए सरकार को पहल करने की जरूरत है.
सरकार बना रही कई योजनाएं
छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में प्रदेश की प्रमुख नदियों को इन्टरलिंक करके वाटर रिचार्ज करने की योजना भी बनाई है. वही प्रदेश में रेन वाटर हार्वेस्टिंग भी अनिवार्य किया गया है. लेकिन सवाल यह है कि अगर इंद्रदेव ही मेहरबान न हुए तो इन योजनाओं का क्या होगा.