रायपुर: देरी से धान खरीदी शुरू करने के आरोप, फिर बारदाने की कमी की बात, खरीदी के बाद उठाव नहीं होने की चुनौती के बीच छत्तीसगढ़ में इस साल धान खरीदी अंतिम पड़ाव पर है. सरकार ने समय से पहले ही अपना लक्ष्य पूरा कर लिया है. इन सभी मुद्दों पर छत्तीसगढ़ के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने ETV भारत से खास बातचीत की.
सवाल 1 -कई आरोपों और चुनौतियों के बीच इस साल हुई धान खरीदी की प्रक्रिया से आप कितने संतुष्ट हैं?
जवाब- मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद हम इस साल समय से पहले धान खरीदी के लक्ष्य को पूरा करने में सफल हुए हैं. केंद्र सरकार ने बारदाना उपलब्ध नहीं कराया, केंद्रीय पूल में चावल की अनुमति नहीं दी. इसके अलावा भी कई चुनौतियां थीं. बावजूद इसके हमने लक्ष्य पूरा किया है. इसे एक उत्सव के रूप में देखना चाहिए.
कृषि बिल को वापस लें, छत्तीसगढ़ के मॉडल को अपनाए मोदी सरकार
इस चर्चा में भगत ने कृषि बिल को लेकर भी केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. भगत ने कहा कि केंद्र सरकार जबरदस्ती कृषि बिल को लागू कर किसानों पर थोपना चाहती है. दिल्ली में किसानों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं. केंद्र सरकार कृषि का काला कानून लागू करने के पीछे पड़ी है. वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के किसान आज खुशहाल हैं. छत्तीसगढ़ के मॉडल को केंद्र सरकार को अपनाना चाहिए.
सवाल 2- इस साल हुई धान खरीदी से आपको क्या लगता है कि प्रक्रिया में कहां सुधार की गुंजाइश है, जिससे किसानों को कम परेशानियों का सामना करना पड़े.
जवाब - भगत ने कहा कि किसी भी मामले में व्यवस्था पूरी हो तो आसानी रहती है. लेकिन संसाधन जुटाना पड़े तो काम करने में दिक्कत होती है. धान खरीदी के दौरान बारदाने के लिए जूझना पड़ा है. भगत ने कहा कि बारदाने की आपूर्ति केंद्र सरकार के द्वारा की जाती है. राज्य सरकार उसके लिए मांग भेजती है. लेकिन इस बार पर्याप्त मात्रा में बारदाना नहीं दिया गया. जिस वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. भगत ने बताया कि इस बार की परिस्थिति को देखकर सरकार अगली बार के लिए मानसिक रूप से तैयार है. उन्होंने प्रदेश में बारदाने की कमी से निपटने के विकल्प को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री रायगढ़ स्थित मोहन जूट मिल को लेकर गंभीर हैं. यदि अपने प्रदेश से बारदाने की आपूर्ति होगी तो उससे अच्छा विकल्प कोई दूसरा नहीं होगा.
पढ़ें- अर्थव्यवस्था में तेजी से होगा सुधार, 2021-22 में 11.5% की वृद्धि का अनुमान
सवाल 3 - इस साल भी कई किसान टोकन ले चुके हैं लेकिन धान अबतक नहीं बेच पाए हैं. ऐसे में किसानों को सरकार राहत देने के लिए क्या खरीदी की अवधि और बढ़ा सकती है?
जवाब - भगत ने कहा कि इस पूरे मामले की समीक्षा की जाएगी. आंकड़े मंगाए गए हैं. कहां कितने किसानों को टोकन जारी किया गया , कितने किसान शेष रह गए हैं, उसकी जानकारी लेंगे. उसके बाद मुख्यमंत्री से बात की जाएगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री किसान पुत्र हैं और स्वयं किसानी का काम करते हैं. वह जो भी निर्णय लेते हैं, किसानों के हित में लेते हैं.
सवाल 4 - एक बार फिर से बेमौसम बारिश की वजह से प्रदेश के विभिन्न जिलों की सोसायटी में रखे गए धान के भीगने की बात सामने आ रही है , इसे लेकर क्या तैयारी है?
जवाब - अमरजीत भगत ने कहा कि सोसाइटी में व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पहले ही राशि दे दी गई है. त्रिपाल जुटाने सहित समुचित तैयारियों के लिए कहा गया है. इसकी समीक्षा के लिए एक बैठक भी बुलाई गई है. भगत ने कहा कि यदि धान भीगता है तो यह सरकार की नाकामी होगी. इसलिए इसकी समीक्षा की जा रही है. शासन-प्रशासन उस पर लगा हुआ है. शिकायत आएगी तो उस पर कार्रवाई की जाएगी
सवाल 5 - पहले साल किसानों को बोनस एक बार में दे दिया गया. दूसरे साल किस्तों में बोनस की राशि मिली. इस साल धान बोनस को लेकर क्या मॉडल अपनाया जाएगा?
जवाब - भगत ने कहा कि सबको मालूम है कि "भूपेश है तो भरोसा है" छत्तीसगढ़ का यह स्लोगन है . भारतीय जनता पार्टी ने भड़काने का काफी प्रयास किया. लेकिन वे किसानों का विश्वास नहीं जीत पाए. भगत ने कहा कि भूपेश सरकार ने 3 किस्त दिया है तो चौथी किस्त भी देगी. इसका विश्वास किसानों को है. भगत ने कहा कि आज सरकार की नीतियों की वजह से छत्तीसगढ़ का किसान आर्थिक रूप से संपन्न हो रहा है. राजीव गांधी न्याय योजना चलाई गई. इससे आज किसान मोटरसाइकिल खरीद रहे हैं. आज छत्तीसगढ़ का बाजार इन किसानों की वजह से मजबूत हुआ है.
सवाल 8- धान खरीदी पर विपक्ष लगातार सरकार पर आरोप लगाती रही है. इसे आप किस रूप में देखते हैं ?
जवाब - अमरजीत भगत ने कहा कि विपक्ष का बयान थोथला है. विपक्ष का आरोप भी थोथला है. विपक्ष धान खरीदी में दिक्कत को लेकर किसानों के साथ खड़े नहीं दिखा. बारदाने को लेकर किसानों के साथ भी भाजपा के लोग आगे नहीं आए. इस दौरान अमरजीत भगत ने भाजपा के नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि ये लोग खुद भी किसान हैं, ये भूल जाते हैं. छत्तीसगढ़ में राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ लेते हैं. सरकारी मंडी के धान खरीदी केंद्र में धान बेचते हैं और केंद्र के कानून की तरफदारी करते हैं.