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EXCLUSIVE: खुद पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कराने वाले दीपक ने बताया कि उन्हें क्या महसूस हुआ

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की तरफ से कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए कराये गए ह्यूमन ट्रायल में शामिल हुए दीपक पालीवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने उन पर किए गए परीक्षण के अनुभवों के बारे में साझा किया.

deepak paliwal
दीपक पालीवाल
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Published : Jul 20, 2020, 6:08 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 12:14 PM IST

रायपुर: लंदन में भारतीय मूल के रहने वाले दीपक पालीवाल ने समाज के लिए बड़ा योगदान दिया है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की तरफ से कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए कराये गए ह्यूमन ट्रायल में दीपक पालीवाल भी शामिल हुए हैं. ईटीवी भारत ने दीपक पालीवाल से इस कोविड-19 के परीक्षण को लेकर खास बातचीत की.

दीपक पालीवाल से EXCLUSIVE बातचीत

भारतीय मूल के जयपुर के रहने वाले दीपक पालीवाल ने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन के लिए अपनी जान दांव पर लगी दी है. दीपक कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण के लिए वॉलंटियर बने हैं और अपने शरीर पर कोरोना वैक्सीन का परीक्षण करवाया है. इस तरह दीपक कोरोना वैक्सीन के पहले सफल मानवीय परीक्षण में शामिल हुए हैं.

दीपक लंदन में फार्मा कंपनी में कंसल्टेंट के तौर पर काम करते हैं. दीपक ने बताया कि उन्हें पता था कि उनकी जान खतरे में है, लेकिन उन्होंने निश्चय कर लिया था कि मानव जाति के कल्याण के लिए उन्हें भी कुछ करना है.

परीक्षण के लिए ऑनलाइन रजिस्टर

दीपक ने ट्रायल कराने के अपने फैसले को लेकर बताया कि- 'कोविड 19 महामारी के चलते पूरी दुनिया में नकारात्मकता फैल गई थी. एक दोस्त के माध्यम से मुझे पता चला कि कोरोना को लेकर ट्रायल शुरू हो रहे हैं, तो मैंने भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा लिया. चूंकि कोरोना वायरस के चलते भारत भी वापस जा नहीं सकते थे, इसलिए मैंने परीक्षण में शामिल होने का फैसला लिया. उद्देश्य सिर्फ यहीं था कि अगर हमारी वजह से कुछ अच्छा हो सकता है, तो हो जाए.'

पत्नी ने किया सपोर्ट

परिवार वालों की प्रतिक्रिया के बारे में दीपक ने बताया कि 'जयपुर में परिवार वालों को इस बारे में मैंने नहीं बताया था, क्योंकि जाहिर सी बात है वे मना करते, इसलिए मैंने उन्हें इस बारे में कुछ नहीं बताना ही बेहतर समझा. हालांकि पत्नी ने इस फैसले पर थोड़ी चिंता जरूर जाहिर की, लेकिन उसने मेरे इस फैसले का कभी विरोध नहीं किया.'

deepak paliwal is from jaipur
जयपुर के रहने वाले हैं दीपक

ह्यूमन ट्रायल के एवज में पैसे नहीं लेने के सवाल पर दीपक ने बताया कि 'वॉलंटियर का मतलब ही स्वेच्छा से आना होता है. यदि इस परीक्षण के लिए पैसे दिए जाते तो मैं ये करता भी नहीं. क्योंकि पैसे लेकर अगर ये काम करता तो मेरा सेवाभाव का मकसद खत्म हो जाता.'

11 मई को हुआ था परीक्षण

परीक्षण वाले दिन के बार में दीपक ने बताया कि '11 मई को परीक्षण हुआ था. ट्रायल के एक दिन पहले थोड़ा डर भी लगा था, क्योंकि सोशल मीडिया पर किसी वॉलंटियर की डेथ होने की अफवाह उड़ी थी. परीक्षण के पहले डॉक्टर्स ने उन्हें कुछ वीडियो दिखाए और इंजेक्शन देने के 10 मिनट पहले तक उन्होंने कहा कि अगर आपका मन बदल रहा है तो आप अभी भी पीछे हट सकते हैं. परीक्षण को लेकर किसी भी तरह का दबाव नहीं था'.

दीपक ने मन बना लिया था इसलिए वे पीछे नहीं हटे. जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें बांह पर इंटर मस्कयूलर इंजेक्शन दिया. उसके बाद दो घंटे तक उन्हें ट्रैक किया गया कि कहीं कोई रिएक्शन तो नहीं हुआ है. पूरे शरीर की जांच करने के बाद ही उन्हें घर भेजा गया.

deepak with his wife
अपनी पत्नी के साथ दीपक

ट्रायल के बाद नहीं हुआ शरीर में कोई बदलाव

ट्रायल के बाद किसी तरह का बदलाव शरीर पर महसूस होने के सवाल पर दीपक ने बताया कि ऐसा कुछ भी उन्होंने महसूस नहीं किया. इंजेक्शन के बाद उनके शरीर पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव या बदलाव नहीं हुआ है.

पढ़ें- एम्स में कोवैक्सीन का मानव परीक्षण, आज से शुरू होगा पंजीयन

कोरोना वैक्सीन कब तक आने के सवाल पर दीपक ने कहा कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने तीन चरणों में परीक्षण किया है. तीनों ही चरणों के परिणाम उम्मीद से बेहतर आए हैं. लिहाजा उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना वैक्सीन बाजार में आ जाएगी.

यूरोपियन देशों में कम हुए मामले

यूरोपियन देश के मुकाबले भारत में कोरोना की स्थिति को लेकर सवाल पर दीपक ने कहा कि भारत जिस कंडीशन में आज है, यूरोपियन देश इस स्थिति को पार कर चुका है, लेकिन अब इन देशों में कोरोना के मामले नियंत्रण में हैं. भारत के मुकाबले यूके में काफी कम कोरोना के केस सामने आ रहे हैं.

लंदन में 2010 में शिफ्ट हुए दीपक

निजी जिंदगी के बारे में बताते हुए दीपक ने कहा कि वे जयपुर से हैं, काम के चलते वे भारत के कई प्रमुख शहरों में रहे और 2010 में वे लंदन शिफ्ट हो गए. पहले हर तीन महीने में वे भारत आकर अपने परिजनों से मुलाकात कर लेते थे, लेकिन अभी कोरोना के चलते वे सभी से दूर हैं. साथ ही कहा कि चाहे कितना भी विदेश में रह लें, दिल में हिंदुस्तान ही बसता है.

deepak with his family
अपने परिवार वालों के साथ दीपक

लोगों से की ये अपील

दीपक पालीवाल ने ईटीवी भारत के माध्यम से संदेश देते हुए कहा कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक दो ही दवाओं से काम चलाना पड़ेगा- मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग. इसलिए लोग इन दो बातों का खासा ध्यान रखें.

दीपक पालीवाल की इस हिम्मत और ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों की वजह से इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल अब तक सफल रहा और परीक्षण से ये पता चला है कि इस वैक्सीन की मदद से शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई. जहां लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्वार्थ से उठकर दीपक पालीवल ने मानव जाति के लिए अहम योगदान दिया है. जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को दीपक पर नाज है.

रायपुर: लंदन में भारतीय मूल के रहने वाले दीपक पालीवाल ने समाज के लिए बड़ा योगदान दिया है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की तरफ से कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए कराये गए ह्यूमन ट्रायल में दीपक पालीवाल भी शामिल हुए हैं. ईटीवी भारत ने दीपक पालीवाल से इस कोविड-19 के परीक्षण को लेकर खास बातचीत की.

दीपक पालीवाल से EXCLUSIVE बातचीत

भारतीय मूल के जयपुर के रहने वाले दीपक पालीवाल ने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन के लिए अपनी जान दांव पर लगी दी है. दीपक कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण के लिए वॉलंटियर बने हैं और अपने शरीर पर कोरोना वैक्सीन का परीक्षण करवाया है. इस तरह दीपक कोरोना वैक्सीन के पहले सफल मानवीय परीक्षण में शामिल हुए हैं.

दीपक लंदन में फार्मा कंपनी में कंसल्टेंट के तौर पर काम करते हैं. दीपक ने बताया कि उन्हें पता था कि उनकी जान खतरे में है, लेकिन उन्होंने निश्चय कर लिया था कि मानव जाति के कल्याण के लिए उन्हें भी कुछ करना है.

परीक्षण के लिए ऑनलाइन रजिस्टर

दीपक ने ट्रायल कराने के अपने फैसले को लेकर बताया कि- 'कोविड 19 महामारी के चलते पूरी दुनिया में नकारात्मकता फैल गई थी. एक दोस्त के माध्यम से मुझे पता चला कि कोरोना को लेकर ट्रायल शुरू हो रहे हैं, तो मैंने भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा लिया. चूंकि कोरोना वायरस के चलते भारत भी वापस जा नहीं सकते थे, इसलिए मैंने परीक्षण में शामिल होने का फैसला लिया. उद्देश्य सिर्फ यहीं था कि अगर हमारी वजह से कुछ अच्छा हो सकता है, तो हो जाए.'

पत्नी ने किया सपोर्ट

परिवार वालों की प्रतिक्रिया के बारे में दीपक ने बताया कि 'जयपुर में परिवार वालों को इस बारे में मैंने नहीं बताया था, क्योंकि जाहिर सी बात है वे मना करते, इसलिए मैंने उन्हें इस बारे में कुछ नहीं बताना ही बेहतर समझा. हालांकि पत्नी ने इस फैसले पर थोड़ी चिंता जरूर जाहिर की, लेकिन उसने मेरे इस फैसले का कभी विरोध नहीं किया.'

deepak paliwal is from jaipur
जयपुर के रहने वाले हैं दीपक

ह्यूमन ट्रायल के एवज में पैसे नहीं लेने के सवाल पर दीपक ने बताया कि 'वॉलंटियर का मतलब ही स्वेच्छा से आना होता है. यदि इस परीक्षण के लिए पैसे दिए जाते तो मैं ये करता भी नहीं. क्योंकि पैसे लेकर अगर ये काम करता तो मेरा सेवाभाव का मकसद खत्म हो जाता.'

11 मई को हुआ था परीक्षण

परीक्षण वाले दिन के बार में दीपक ने बताया कि '11 मई को परीक्षण हुआ था. ट्रायल के एक दिन पहले थोड़ा डर भी लगा था, क्योंकि सोशल मीडिया पर किसी वॉलंटियर की डेथ होने की अफवाह उड़ी थी. परीक्षण के पहले डॉक्टर्स ने उन्हें कुछ वीडियो दिखाए और इंजेक्शन देने के 10 मिनट पहले तक उन्होंने कहा कि अगर आपका मन बदल रहा है तो आप अभी भी पीछे हट सकते हैं. परीक्षण को लेकर किसी भी तरह का दबाव नहीं था'.

दीपक ने मन बना लिया था इसलिए वे पीछे नहीं हटे. जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें बांह पर इंटर मस्कयूलर इंजेक्शन दिया. उसके बाद दो घंटे तक उन्हें ट्रैक किया गया कि कहीं कोई रिएक्शन तो नहीं हुआ है. पूरे शरीर की जांच करने के बाद ही उन्हें घर भेजा गया.

deepak with his wife
अपनी पत्नी के साथ दीपक

ट्रायल के बाद नहीं हुआ शरीर में कोई बदलाव

ट्रायल के बाद किसी तरह का बदलाव शरीर पर महसूस होने के सवाल पर दीपक ने बताया कि ऐसा कुछ भी उन्होंने महसूस नहीं किया. इंजेक्शन के बाद उनके शरीर पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव या बदलाव नहीं हुआ है.

पढ़ें- एम्स में कोवैक्सीन का मानव परीक्षण, आज से शुरू होगा पंजीयन

कोरोना वैक्सीन कब तक आने के सवाल पर दीपक ने कहा कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने तीन चरणों में परीक्षण किया है. तीनों ही चरणों के परिणाम उम्मीद से बेहतर आए हैं. लिहाजा उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना वैक्सीन बाजार में आ जाएगी.

यूरोपियन देशों में कम हुए मामले

यूरोपियन देश के मुकाबले भारत में कोरोना की स्थिति को लेकर सवाल पर दीपक ने कहा कि भारत जिस कंडीशन में आज है, यूरोपियन देश इस स्थिति को पार कर चुका है, लेकिन अब इन देशों में कोरोना के मामले नियंत्रण में हैं. भारत के मुकाबले यूके में काफी कम कोरोना के केस सामने आ रहे हैं.

लंदन में 2010 में शिफ्ट हुए दीपक

निजी जिंदगी के बारे में बताते हुए दीपक ने कहा कि वे जयपुर से हैं, काम के चलते वे भारत के कई प्रमुख शहरों में रहे और 2010 में वे लंदन शिफ्ट हो गए. पहले हर तीन महीने में वे भारत आकर अपने परिजनों से मुलाकात कर लेते थे, लेकिन अभी कोरोना के चलते वे सभी से दूर हैं. साथ ही कहा कि चाहे कितना भी विदेश में रह लें, दिल में हिंदुस्तान ही बसता है.

deepak with his family
अपने परिवार वालों के साथ दीपक

लोगों से की ये अपील

दीपक पालीवाल ने ईटीवी भारत के माध्यम से संदेश देते हुए कहा कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक दो ही दवाओं से काम चलाना पड़ेगा- मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग. इसलिए लोग इन दो बातों का खासा ध्यान रखें.

दीपक पालीवाल की इस हिम्मत और ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों की वजह से इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल अब तक सफल रहा और परीक्षण से ये पता चला है कि इस वैक्सीन की मदद से शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई. जहां लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्वार्थ से उठकर दीपक पालीवल ने मानव जाति के लिए अहम योगदान दिया है. जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को दीपक पर नाज है.

Last Updated : Jul 21, 2020, 12:14 PM IST
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