रायपुर: नवरात्रि के मौके पर छत्तीसगढ़ के मशहूर गायक दिलीप षडंगी ने ETV भारत से खास बातचीत की है. बातचीत के दौरान उन्होंने अपने जीवन से जुड़े दिलचस्प किस्से साझा किए और माता रानी के भजनों से समां बांध दिया है. दिलीप षड़ंगी ने छत्तीसगढ़ी गीत, लोककला, लोकसंगीत और कलाकारों की स्थिति पर बेबाकी से अपनी राय रखी. दिलीप षड़ंगी ने बताया वे मूलतः रायगढ़ के रहने वाले हैं और अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए वे रायपुर में रहने लगे हैं. उनकी दो बेटियां डॉक्टर है और एक बेटा इंजीनियर है. उन्होंने बताया कि हाल ही में उन्होंने नया गीत बनाया है. जिसमें उन्होंने मां की आराधना की है. इसके बोल हिंदी में है, लेकिन गाने की पूरी धुन छत्तीसगढ़ी में है.
सवाल: आपने भजन गीतों की ओर रुख कैसे किया ?
दिलीप षड़ंगी ने बताया कि 'उनका परिवार शुरू से ही पूजा-पाठ में रहा है. मैं भक्ति भाव में था, लेकिन इतना ज्यादा नहीं था जितना मेरे परिवार वाले, धीरे-धीरे आस्था बढ़ती चली गई और भजन गाने लगा'.
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सवाल: पहला स्टेज शो कब किया?
उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में वे मुकेश, किशोर कुमार और मन्ना डे का गाना गाया करते थे, फिर बाद में मिमिकरी आर्टिस्ट और अनाउंसर के तौर पर काम किया. उसके बाद धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ी गाने गाए, जो हिट होते चले गए. जितने भी जस गीत गाए और हिंदी में भक्ति के गीत गाए उसे भी लोगों ने आशीर्वाद दिया. इसके बाद मुझे लगा कि इसी रास्ते पर चलना चाहिए. यहीं से स्टेज शो की भी शुरुआत हुई.
कोविड-19 के दौरान कलाकार भी हुए प्रभावित
दिलीप षड़ंगी ने कहा कि इस कोरोना काल में छत्तीसगढ़ के कलाकार बेहद प्रभावित हुए हैं. इस तरह की विपदा की कभी हमने कल्पना नहीं की थी. पहले नवरात्र के दौरान जगह-जगह जगराते और स्टेज परफॉर्मेंस हुआ करते थे, लेकिन इस साल सभी कलाकारों का काम बहुत प्रभावित हुआ है.
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सवाल: कलाकारों की मदद के लिए सरकार क्या काम कर रही है ?
दिलीप षड़ंगी ने बताया कि इस संबंध में सरकार को पत्र लिखकर गुहार लगाई गई थी और जहां तक जानकारी है संस्कृति मंत्री ने कलाकारों के लिए 18 करोड़ रुपये का बजट भेजा था, लेकिन कार्रवाई अभी तक निश्चित नहीं हो पाई है. हालांकि कलाकारों के लिए सरकार दुखी है, क्योंकि कलाकारों के लिए पीड़ादायक स्थिति बनी है.
सवाल: महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध पर क्या कहेंगे ?
दिलीप षड़ंगी ने कहा इसके लिए मैं भी अपने आप को दोषी मानता हूं. आज से 22 साल पहले मैं भी अपनी धर्म पत्नी के साथ अस्पताल गया था, अबॉर्शन के लिए, लेकिन उस दौरान किसी का आशीर्वाद था. हम वहां से वापस लौट गए और उसके बाद मेरी दो बेटियों ने जन्म लिया और आज दोनों बेटियां डॉक्टर हैं. समाज को मैं यही संदेश देना चाहता हूं कि हम बेटा-बेटी एक समान का भाव ठान लेंगे तो समाज में इस तरह की बुराइयां नहीं होंगी. लड़कियों के खिलाफ हिंसा पाप है और पाप करने वालों को मातारानी क्षमा नहीं करेगी.