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कोर्ट के आदेश के बाद सियाराम साहू ने OBC आयोग का पद संभाला, बोले- आयोग के लिए जो हो सकता है करूंगा

छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष (Chhattisgarh State Backward Classes Commission) के रूप में सियाराम साहू (siyaram sahu) ने एक बार फिर से पद संभाल लिया है. दरअसल, भूपेश सरकार ने कार्यकाल खत्म होने के पहले ही सियाराम साहू को हटाकर उनके स्थान पर थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी थी, जिसके खिलाफ साहू ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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कोर्ट के आदेश के बाद सियाराम साहू ने OBC आयोग का पद संभाला
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Published : Jun 11, 2021, 10:00 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (Chhattisgarh State Backward Classes Commission) के पूर्व अध्यक्ष सियाराम साहू (siyaram sahu) को हाईकोर्ट से बड़ी जीत मिली है. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (chhattisgarh high court) ने सियाराम साहू की नियुक्ति को वैद्य ठहराते हुए उन्हें वापस पद बैठा दिया है. दरअसल, भूपेश सरकार ने कार्यकाल खत्म होने के पहले ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सियाराम साहू को हटाकर उनके स्थान पर थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी थी. इसके खिलाफ सियाराम ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट से फैसले के बाद सियाराम साहू ने पदभार भी ग्रहण कर लिया है. ETV भारत से पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सियाराम साहू ने खास बातचीत की. उन्होंने कांग्रेस सरकार पर संवैधानिक पदों पर राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है.

कोर्ट के आदेश के बाद सियाराम साहू ने OBC आयोग का पद संभाला,

सवाल: अपनी नियुक्ति को बहाल कराने के लिए आपने किस तरह से न्यायिक लड़ाई लड़ी ?

सियाराम साहू: मेरे कार्यकाल को 1 साल बाकी था. 2018 में मेरी नियुक्ति हुई थी. यह नियुक्ति 3 साल के लिए थी. जुलाई 2021 तक मेरा कार्यकाल था, लेकिन प्रदेश सरकार ने गलत ढंग से मेरे स्थान पर थानेश्वर साहू को नियुक्त कर दिया. पद से हटाए जाने को लेकर मैंने सरकार से भी सवाल किया. सरकार ने मेरी बात सुनी फिर मैंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने मेरी बात सही मानी और निर्णय सुनाया कि थानेश्वर साहू की नियुक्ति गलत है.

सवाल: यह संवैधानिक पद है. क्या कार्यकाल के बीच में नियुक्ति नहीं की जा सकती?

सियाराम साहू: देखिए आयोग का कार्यकाल 3 साल तक रहता है. उनका कार्यकाल निर्धारित है. 3 वर्ष का कार्यकाल है. 3 वर्ष तक आयोग रहता है. सरकार ने राजनीति दुर्भावना से मेरे जगह थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी. यह नियुक्ति अवैध थी. इसलिए हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए मेरे कार्यकाल को यथावत रखा है. कोर्ट के आदेश के बाद मैंने अपना काम शुरू भी कर दिया है.

पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के मामले में भूपेश सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका

सवाल: आयोग के दफ्तर में पहुंचने के दौरान निवर्तमान अध्यक्ष थानेश्वर साहू से आपका विवाद हुआ. उन्होंने कक्ष में ताला भी लगा दिया. इसे लेकर क्या कहते हैं आप ?

सियाराम साहू: हां यह गलत परंपरा की शुरुआत है. क्योंकि जब कोर्ट का आदेश है और कोर्ट का आदेश ही सर्वे-सर्वा होता है. इसलिए इस प्रकार से तालाबंदी करना गलत परंपरा है. ये हाईकोर्ट के आदेश का अपमान है.

सवाल: हाईकोर्ट के आदेश के बाद आप एक बार फिर आरने आयोग की जिम्मेदारी संभाल ली है. क्या प्राथमिकताएं होंगी ?

सियाराम साहू: इस लड़ाई में बड़ा समय निकल चुका है, लेकिन मेरा पिछला अनुभव है. पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए मैं लगातार काम करता हूं. बहुत से काम किए हैं. बहुत स्थानों पर छात्रावास का निर्माण और अन्य छात्रवृत्ति के लिए भी काम किया है. मैंने प्रदेश के 23 जिलों का लगातार दौरा किया है. अन्य प्रदेशों का भी दौरा कर वहां का भी अध्ययन किया है. कोशिश और प्रयास है कि पिछड़ा वर्ग के लिए जो हो सकता है करूंगा. सियाराम साहू ने कहा कि इस लड़ाई में उनकी पार्टी बीजेपी उनके साथ खड़ी थी.

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (Chhattisgarh State Backward Classes Commission) के पूर्व अध्यक्ष सियाराम साहू (siyaram sahu) को हाईकोर्ट से बड़ी जीत मिली है. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (chhattisgarh high court) ने सियाराम साहू की नियुक्ति को वैद्य ठहराते हुए उन्हें वापस पद बैठा दिया है. दरअसल, भूपेश सरकार ने कार्यकाल खत्म होने के पहले ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सियाराम साहू को हटाकर उनके स्थान पर थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी थी. इसके खिलाफ सियाराम ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है. कोर्ट से फैसले के बाद सियाराम साहू ने पदभार भी ग्रहण कर लिया है. ETV भारत से पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष सियाराम साहू ने खास बातचीत की. उन्होंने कांग्रेस सरकार पर संवैधानिक पदों पर राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है.

कोर्ट के आदेश के बाद सियाराम साहू ने OBC आयोग का पद संभाला,

सवाल: अपनी नियुक्ति को बहाल कराने के लिए आपने किस तरह से न्यायिक लड़ाई लड़ी ?

सियाराम साहू: मेरे कार्यकाल को 1 साल बाकी था. 2018 में मेरी नियुक्ति हुई थी. यह नियुक्ति 3 साल के लिए थी. जुलाई 2021 तक मेरा कार्यकाल था, लेकिन प्रदेश सरकार ने गलत ढंग से मेरे स्थान पर थानेश्वर साहू को नियुक्त कर दिया. पद से हटाए जाने को लेकर मैंने सरकार से भी सवाल किया. सरकार ने मेरी बात सुनी फिर मैंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने मेरी बात सही मानी और निर्णय सुनाया कि थानेश्वर साहू की नियुक्ति गलत है.

सवाल: यह संवैधानिक पद है. क्या कार्यकाल के बीच में नियुक्ति नहीं की जा सकती?

सियाराम साहू: देखिए आयोग का कार्यकाल 3 साल तक रहता है. उनका कार्यकाल निर्धारित है. 3 वर्ष का कार्यकाल है. 3 वर्ष तक आयोग रहता है. सरकार ने राजनीति दुर्भावना से मेरे जगह थानेश्वर साहू की नियुक्ति कर दी. यह नियुक्ति अवैध थी. इसलिए हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए मेरे कार्यकाल को यथावत रखा है. कोर्ट के आदेश के बाद मैंने अपना काम शुरू भी कर दिया है.

पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के मामले में भूपेश सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका

सवाल: आयोग के दफ्तर में पहुंचने के दौरान निवर्तमान अध्यक्ष थानेश्वर साहू से आपका विवाद हुआ. उन्होंने कक्ष में ताला भी लगा दिया. इसे लेकर क्या कहते हैं आप ?

सियाराम साहू: हां यह गलत परंपरा की शुरुआत है. क्योंकि जब कोर्ट का आदेश है और कोर्ट का आदेश ही सर्वे-सर्वा होता है. इसलिए इस प्रकार से तालाबंदी करना गलत परंपरा है. ये हाईकोर्ट के आदेश का अपमान है.

सवाल: हाईकोर्ट के आदेश के बाद आप एक बार फिर आरने आयोग की जिम्मेदारी संभाल ली है. क्या प्राथमिकताएं होंगी ?

सियाराम साहू: इस लड़ाई में बड़ा समय निकल चुका है, लेकिन मेरा पिछला अनुभव है. पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए मैं लगातार काम करता हूं. बहुत से काम किए हैं. बहुत स्थानों पर छात्रावास का निर्माण और अन्य छात्रवृत्ति के लिए भी काम किया है. मैंने प्रदेश के 23 जिलों का लगातार दौरा किया है. अन्य प्रदेशों का भी दौरा कर वहां का भी अध्ययन किया है. कोशिश और प्रयास है कि पिछड़ा वर्ग के लिए जो हो सकता है करूंगा. सियाराम साहू ने कहा कि इस लड़ाई में उनकी पार्टी बीजेपी उनके साथ खड़ी थी.

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