रायपुर: विधानसभा सत्र के दौरान जेसीसी(जे) सुप्रीमो और कोटा विधायक रेणु जोगी ने पोलावरम बांध को लेकर छत्तीसगढ़ में सरकार के किए गए सर्वे की जानकारी मांगी थी. इसे लेकर ETV भारत ने रेणु जोगी से बातचीत की है.
रेणु जोगी ने बताया कि पोलावरम बांध एक राष्ट्रीय सिंचाई योजना है, लेकिन उसके बनने से छत्तीसगढ़वासियों का बहुत नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इस बांध से छत्तीसगढ़ का लगभग 13 किलोमीटर हिस्सा डूब जाएगा. करीब 9 गांव के लोग प्राभावित होंगे. इसके अलावा 85 माजरा टोला छोटे मोहल्ले प्राभावित होंगे. साथ ही करीब 20 हजार लोगों का जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा. उन्होंने इसे लेकर शासन की योजनाओं पर सवाल किए थे.
आदिवासियों के पुनर्वास की योजना
रेणु जोगी ने बताया कि विधानसभा में सरकार से सवाल पूछा गया था कि इस बांध बनने से वहां के गांव और आदिवासियों के पुनर्वास के लिए क्या योजना है?. इसके जवाब में ये कहा गया था कि ये मामला अभी कोर्ट में लंबित है. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश ने सर्वे कर प्रभावित होने वाले लोगों को 35 लाख प्रति एकड़ मुआवजा देने की बात कही है.
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बांध से छत्तीसगढ़ को नहीं होगा कोई फायदा
रेणु जोगी ने बताया कि डोरा और कोया जनजाति जो विलुप्त होती जनजातियों में वो भी इन्हीं क्षेत्रों में निवास करती है. दुर्लभ प्रजाति के वन संपदा वहां है, जो डूबान में आएंगे. इससे छत्तीसगढ़ को कोई फायदा नहीं होगा.
आदिवासियों का दर्द नहीं समझ रही सरकार
रेणु जोगी ने कहा कि पोलावरम बांध बनने से छत्तीसगढ़ का एक एकड़ रकबा सिंचित नहीं होगा. इस बांध का पूरा लाभ आंध्र प्रदेश राज्य को मिलेगा. कांग्रेस और भाजपा इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. आदिवासियों की पीड़ा को नहीं समझ रहे.
कोंटा समेत 9 गांव डूबेंगे
पोलावरम बांध के इतिहास पर नजर डालें तो यह आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना है. 1978 के पहले परियोजना बनाई गई थी, गोदावरी नदी पर सालों से बांध निर्माण का काम चल रहा है. अगर बांध बन जाता है तो सुकमा जिले के कोंटा सहित 9 गांव डूब जाएंगे. इनमें बंजाममुड़ा, मेटागुंडा, पेदाकिसोली, आसीरगुंडा, इंजरम, फंदीगुंडा, ढोढरा, कोंटा, वेंकटपुरम के प्रभावित होने का अनुमान है. इन क्षेत्रों की जनसंख्या 18 हजार 510 है.
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सरकार सर्वे करने भेजें की टीम
विधानसभा में रेणु जोगी के सवाल के बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने आश्वस्त किया है कि वह अधिकारियों की टीम भेजकर वहां सर्वे करवाया जाएगा हालांकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है.
पोलावरम का इतिहास
- यह आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना है.
- 1978 के पूर्व परियोजना बनाई गई थी.
- 1980 में गोदावरी ट्रिब्यूनल में निर्देश हुआ था कि एमपी व आंध्र के जल का बंटवारा होगा, बांध भी बनेगा.
- गोदावरी नदी पर बांध बनना है.
- यह कोंटा से 150 किलोमीटर की दूरी पर है.
- 2010-11 में इसकी पुनरीक्षित लागत थी 16 हजार करोड़ रुपए.
- इसके डूबान क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की 2475 हेक्टेयर जमीन आ रही है.
- डूबान क्षेत्र में सुकमा जिले की कोंटा तहसील और 9 गांव आ रहे हैं.
- परियोजना से आंध्र की 2.91 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी.
- आंध्र से तेलंगाना अलग होने पर योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया गया
- अब केंद्र सरकार इसका क्रियान्वयन करेगी.
- बांध से 970 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा.
- छत्तीसगढ़ को 1.5 टीएमसी पानी मिलेगा पर बिजली में एक यूनिट की भी हिस्सेदारी नहीं मिलेगी.
- परियोजना की लागत 8 हजार करोड़ से अधिक हो चुकी है.