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Vaishakh Pradosh Vrat 2023: वैशाख माह के पहले प्रदोष व्रत से होती है हर मनोकामना पूरी - प्रदोष व्रत से होती है हर मनोकामना पूरी

वैशाख माह के पहले प्रदोष व्रत को करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इस बार 17 अप्रैल को प्रदोष व्रत पड़ रहा है. इस दिन शुभ मुहूर्त में व्रत करने से हर मनोकामना पूरी होती है.

Pradosh Vrat 2023
प्रदोष व्रत
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Published : Apr 14, 2023, 1:15 PM IST

रायपुर: हर महीने दो बार त्रयोदशी पड़ती है. एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में. दोनों व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. त्रयोदशी के दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त विधि-विधान से पूजा करते हैं. इस दिन रखा जाने वाला व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है. त्रयोदशी के व्रत से भगवान भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है. इस बार ये व्रत वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पड़ रहा है. त्रयोदशी 17 अप्रैल सोमवार को है.

भगवान भोलेनाथ की होती है विशेष कृपा: प्रदोष व्रत करने से शिव जी खुश होते हैं और हर मनोकामना पूरी करती है. शिव अपने भक्तों का जीवन सुख शांति और समृद्धि से भर देते हैं. जो भी जातक नियम और निष्ठा से प्रदोष व्रत रखता है. उसके सभी कष्टों का नाश होता है. त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान भोले शंकर की पूजा की जाती है.

पूजा का मुहूर्त: 17 अप्रैल को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम छह बजकर 48 मिनट से रात 9 बजे तक रहेगा.

यह भी पढ़ें: Varuthini Ekadashi : वरुथिनी एकादशी का महत्व और मुहूर्त

इस विधि से करें पूजा: इस दिन सुबह नहा धोकर साफ कपड़ें पहनें. भोलेनाथ का व्रत और पूजा का संकल्प करें. शाम को शुभ मुहूर्त में शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें. पूजा के दौरान शिव लिंग को गंगाजल और गाय के दूध से नहलाएं. उसके बाद चंदन लगाएं. भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर चढ़ाएं. ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. भोले की पूजा के बाद शिव चालीसा का पाठ करें. दीपक जलाकर शिव जी की आरती करें.

रायपुर: हर महीने दो बार त्रयोदशी पड़ती है. एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में. दोनों व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. त्रयोदशी के दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त विधि-विधान से पूजा करते हैं. इस दिन रखा जाने वाला व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है. त्रयोदशी के व्रत से भगवान भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है. इस बार ये व्रत वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पड़ रहा है. त्रयोदशी 17 अप्रैल सोमवार को है.

भगवान भोलेनाथ की होती है विशेष कृपा: प्रदोष व्रत करने से शिव जी खुश होते हैं और हर मनोकामना पूरी करती है. शिव अपने भक्तों का जीवन सुख शांति और समृद्धि से भर देते हैं. जो भी जातक नियम और निष्ठा से प्रदोष व्रत रखता है. उसके सभी कष्टों का नाश होता है. त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान भोले शंकर की पूजा की जाती है.

पूजा का मुहूर्त: 17 अप्रैल को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम छह बजकर 48 मिनट से रात 9 बजे तक रहेगा.

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इस विधि से करें पूजा: इस दिन सुबह नहा धोकर साफ कपड़ें पहनें. भोलेनाथ का व्रत और पूजा का संकल्प करें. शाम को शुभ मुहूर्त में शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें. पूजा के दौरान शिव लिंग को गंगाजल और गाय के दूध से नहलाएं. उसके बाद चंदन लगाएं. भोलेनाथ को अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर चढ़ाएं. ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. भोले की पूजा के बाद शिव चालीसा का पाठ करें. दीपक जलाकर शिव जी की आरती करें.

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