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Etv Bharat Exclusive: नारायण प्रसाद नौरोजी से मुलाकात, जनजातीय समूह आंदोलन में निभाई है बड़ी भूमिका - Narayan Prasad Nairoji

tribal group movement in chhattisgarh : केंद्र सरकार ने पांच राज्यों की जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया है. जिसमें छत्तीसगढ़ के 12 जातीय समूहों को अनुसूचित जनजाति की सूची में जगह मिली है.अब इस पूरे मामले पर राजनीतिक पार्टियों में श्रेय लेने की होड़ लगी है. इस मामले पर राजनीतिक दल अपने-अपने सरकारों का सोशल मीडिया में जोर- शोर से बखान कर रही है

Etv Bharat Exclusive: नारायण प्रसाद नौरोजी से मुलाकात
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Published : Sep 16, 2022, 3:38 PM IST

रायपुर : केंद्र सरकार ने जिन 12 जाति समूहों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया है. वे कोई नई जाति नही है. उच्चारण दोष और मंत्रात्मक त्रुटि के कारण जिन्हें जाति प्रमाण पत्र से वंचित रखा गया था अब उन्हीं आरक्षित वर्ग के ही लोगों को जनजाति सूची में शामिल किया गया है .पिछले 15 सालों से अपनी इस मांग को लेकर आंदोलन करने वाले छत्तीसगढ़ सांवरा समाज संरक्षक नारायण प्रसाद नैरोजी (Narayan Prasad Nairoji) और उनके समाज के लोगो लंबे संघर्ष के बाद उन्हें यह अधिकार मिला है. ईटीवी भारत (Etv Bharat Exclusive) ने नारायण प्रसाद नैरोजी खास बातचीत (tribal group movement in chhattisgarh ) की.

सवाल- लंबे आंदोलन के बाद बड़ी सफलता आप लोगों को मिली क्या कहना चाहेंगे?

जवाब- इस सफलता के लिए मैं केंद्र सरकार, राज्यपाल, को तहे दिल से धन्यवाद देना चाहूंगा. हमारे जितने साथी जिन लोगों ने हमारे संघर्ष को आगे बढ़ाया. इसके अलावा दूसरे समाज के प्रतिनिधि मंडल जो लगातार दिल्ली जाते रहे उनके लिए मैं धन्यवाद ज्ञापित करूंगा. मैं अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण दिल्ली आना जाना नहीं कर पाता था. लेकिन बाकी समाज के लोग जिन्होंने केंद्रीय मंत्रियों से सांसदों से मुलाकात की विशेष तौर पर महासमुंद के सांसद चुन्नीलाल साहू उन्होंने भी दिल्ली में जाकर हमारी मांगों को रखा और हमें सहयोग किया है. जिस समय चुन्नीलाल साहू विधायक भी नहीं बने थे. उस समय से लेकर आज तक वह हमारी छाया की तरह हमारे साथ लगे रहे. हमें सहयोग देते रहे. उन्होंने मंत्रियों सांसदों से हमारी मुलाकात करवाई. हमेशा आगे बढ़कर वे हमारे संघर्ष के साथ खड़े रहे.

सवाल- इस मामले पर राजनीतिक पार्टियां श्रेय लेने की होड़ मची हुई है? इसे लेकर आप क्या कहेंगे?

जवाब- हर किसी को अपना कर्तव्य करना होता है, जिस पद में जो लोग हैं उनको उनका कर्तव्य करना है. किसी को अपने कर्तव्य का श्रेय लेने की आवश्यकता नहीं है. उनका काम है सारी चीजें बोलता है. जनता का जो कार्य करते हैं जनता उनकी प्रशंसा करती है और जनता ही उन्हें श्रेय देती है. इसमें कोई नई बात नहीं है. इसलिए मैं यह नहीं कहूंगा कि कोई श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है. पार्टी पॉलिटिक्स की बात अपनी जगह है. और वह यह करेंगे ही क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी पॉलिटिक्स को जिंदा रखना है. जो व्यक्ति जनता का काम करेगा चाहे वह सामाजिक स्तर पर हो या राजनीतिक स्तर पर हो कुल मिलाकर यह कहना चाहूंगा कि सत्ता पर सत्य की प्रतिष्ठा होनी चाहिए. सत्य की प्रतिष्ठा जब सत्ता पर होगी तब समझ लीजिए कि सत्ता सही मार्ग पर चल रही है.


सवाल- आप लोगों ने राज्यपाल को धन्यवाद ज्ञापित किया है, किस तरह का सहयोग आप लोगों को राजभवन से प्राप्त हुआ?

जवाब- जब से राज्यपाल छत्तीसगढ़ आई हैं, तब से उनका योगदान सतत रहा है. आदिवासी समाज और आदिवासी व्यक्ति संकुचित प्रवृत्ति का होता है. ऐसी स्थिति में वह चाहते हुए भी कुछ चीजों को बोल नहीं पाता. और अपनी मन की बात मन में ही रखता है. पर उसे जब कोई अपना आदमी लगता है तब वह अपनी बातें खुलकर बोलता है. राज्यपाल का ऐसा स्वभाव है अरुण की सहजता है की वे अपने पद की अतिरिक्त भी और मैं बेहद सरलता है. इसलिए लगातार वे लोगों की समस्याओं को सुनती हैं. खास तौर पर आदिवासी क्षेत्र के लोगों के संबंध में बड़ी सहजता और सरिता के साथ मुलाकात करती हैं.



सवाल- ऐसे लोग जो अपने अधिकार से वंचित रहे जिन्हें नौकरियों से निकाल दिया गया. उनकी समस्याओं को लेकर क्या मांग करेंगे

जवाब- अपनी मांग हम सरकार के समक्ष रखेंगे. सरकार का काम है कि उन्हें न्याय दिलवाए. जो वंचित हुए हैं ऐसे लोगों को नौकरी दें.अगर उनकी उम्र अधिक हो गई है तो उसमें भी सरकार को सोचने की आवश्यकता है. हम अपने अधिकार को मांगेंगे और हमें अपना अधिकार मिलना चाहिए.

रायपुर : केंद्र सरकार ने जिन 12 जाति समूहों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया है. वे कोई नई जाति नही है. उच्चारण दोष और मंत्रात्मक त्रुटि के कारण जिन्हें जाति प्रमाण पत्र से वंचित रखा गया था अब उन्हीं आरक्षित वर्ग के ही लोगों को जनजाति सूची में शामिल किया गया है .पिछले 15 सालों से अपनी इस मांग को लेकर आंदोलन करने वाले छत्तीसगढ़ सांवरा समाज संरक्षक नारायण प्रसाद नैरोजी (Narayan Prasad Nairoji) और उनके समाज के लोगो लंबे संघर्ष के बाद उन्हें यह अधिकार मिला है. ईटीवी भारत (Etv Bharat Exclusive) ने नारायण प्रसाद नैरोजी खास बातचीत (tribal group movement in chhattisgarh ) की.

सवाल- लंबे आंदोलन के बाद बड़ी सफलता आप लोगों को मिली क्या कहना चाहेंगे?

जवाब- इस सफलता के लिए मैं केंद्र सरकार, राज्यपाल, को तहे दिल से धन्यवाद देना चाहूंगा. हमारे जितने साथी जिन लोगों ने हमारे संघर्ष को आगे बढ़ाया. इसके अलावा दूसरे समाज के प्रतिनिधि मंडल जो लगातार दिल्ली जाते रहे उनके लिए मैं धन्यवाद ज्ञापित करूंगा. मैं अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण दिल्ली आना जाना नहीं कर पाता था. लेकिन बाकी समाज के लोग जिन्होंने केंद्रीय मंत्रियों से सांसदों से मुलाकात की विशेष तौर पर महासमुंद के सांसद चुन्नीलाल साहू उन्होंने भी दिल्ली में जाकर हमारी मांगों को रखा और हमें सहयोग किया है. जिस समय चुन्नीलाल साहू विधायक भी नहीं बने थे. उस समय से लेकर आज तक वह हमारी छाया की तरह हमारे साथ लगे रहे. हमें सहयोग देते रहे. उन्होंने मंत्रियों सांसदों से हमारी मुलाकात करवाई. हमेशा आगे बढ़कर वे हमारे संघर्ष के साथ खड़े रहे.

सवाल- इस मामले पर राजनीतिक पार्टियां श्रेय लेने की होड़ मची हुई है? इसे लेकर आप क्या कहेंगे?

जवाब- हर किसी को अपना कर्तव्य करना होता है, जिस पद में जो लोग हैं उनको उनका कर्तव्य करना है. किसी को अपने कर्तव्य का श्रेय लेने की आवश्यकता नहीं है. उनका काम है सारी चीजें बोलता है. जनता का जो कार्य करते हैं जनता उनकी प्रशंसा करती है और जनता ही उन्हें श्रेय देती है. इसमें कोई नई बात नहीं है. इसलिए मैं यह नहीं कहूंगा कि कोई श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है. पार्टी पॉलिटिक्स की बात अपनी जगह है. और वह यह करेंगे ही क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी पॉलिटिक्स को जिंदा रखना है. जो व्यक्ति जनता का काम करेगा चाहे वह सामाजिक स्तर पर हो या राजनीतिक स्तर पर हो कुल मिलाकर यह कहना चाहूंगा कि सत्ता पर सत्य की प्रतिष्ठा होनी चाहिए. सत्य की प्रतिष्ठा जब सत्ता पर होगी तब समझ लीजिए कि सत्ता सही मार्ग पर चल रही है.


सवाल- आप लोगों ने राज्यपाल को धन्यवाद ज्ञापित किया है, किस तरह का सहयोग आप लोगों को राजभवन से प्राप्त हुआ?

जवाब- जब से राज्यपाल छत्तीसगढ़ आई हैं, तब से उनका योगदान सतत रहा है. आदिवासी समाज और आदिवासी व्यक्ति संकुचित प्रवृत्ति का होता है. ऐसी स्थिति में वह चाहते हुए भी कुछ चीजों को बोल नहीं पाता. और अपनी मन की बात मन में ही रखता है. पर उसे जब कोई अपना आदमी लगता है तब वह अपनी बातें खुलकर बोलता है. राज्यपाल का ऐसा स्वभाव है अरुण की सहजता है की वे अपने पद की अतिरिक्त भी और मैं बेहद सरलता है. इसलिए लगातार वे लोगों की समस्याओं को सुनती हैं. खास तौर पर आदिवासी क्षेत्र के लोगों के संबंध में बड़ी सहजता और सरिता के साथ मुलाकात करती हैं.



सवाल- ऐसे लोग जो अपने अधिकार से वंचित रहे जिन्हें नौकरियों से निकाल दिया गया. उनकी समस्याओं को लेकर क्या मांग करेंगे

जवाब- अपनी मांग हम सरकार के समक्ष रखेंगे. सरकार का काम है कि उन्हें न्याय दिलवाए. जो वंचित हुए हैं ऐसे लोगों को नौकरी दें.अगर उनकी उम्र अधिक हो गई है तो उसमें भी सरकार को सोचने की आवश्यकता है. हम अपने अधिकार को मांगेंगे और हमें अपना अधिकार मिलना चाहिए.

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