रायपुर: आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट एक बहुत बड़ी समस्या है. इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट का निष्पादन सही तरीके से करना काफी जरूरी हो जाता है. पुराने मोबाइल, बैटरी, टीवी, फ्रिज सहित घरेलू और व्यावसायिक उत्पाद से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में शामिल हैं. इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खराब होने पर उसे फेंक दिया जाता है. इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है. वहीं कुछ लोग इसे कबाड़ में भी डाल देते हैं. वे इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट का निष्पादन करने के बजाय इसका दुरुपयोग करते हैं. इसको ध्यान में रखते हुए रायपुर नगर निगम ने इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को कलेक्ट करने और सही से निष्पादन करने के लिए एक निजी कंपनी से अनुबंध किया है.
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निजी कंपनी लोगों के घर जाकर करेगी इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट कलेक्ट: राजधानी रायपुर से रोजाना 5 से 10 टन इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट निकलता है. जिसका सही निष्पादन करना काफी जरूरी हो जाता है. रायपुर नगर निगम ने एक निजी कंपनी से अनुबंध किया है. जल्द ही निजी कंपनी की गाड़ी लोगों के घरों तक जाएगी और इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट कलेक्ट करेगी. निजी कंपनी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट कलेक्ट करने के साथ-साथ लोगों को इसके एवज में प्रति किलो के आधार पर 15 रुपये से लेकर 350 रुपये तक का भुगतान भी करेगी.
रायपुर नगर निगम का निजी कंपनी से अनुबंध: नगर निगम अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी ने बताया कि, " इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स जैसे टीवी, मोबाइल, वायर्स में कई महत्वपूर्ण आइटम्स भी रहते हैं. इसका निष्पादन सही तरीके से करना बहुत जरूरी हो जाता है. इसके लिए एक निजी कंपनी से संपर्क भी किया है. निजी कंपनी घर-घर जाकर लोगों से इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट खरीदेगी और उसका निष्पादन भी करेगी. इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में बहुत सारे महंगे-महंगे धातु भी रहते हैं, निजी कंपनी उसकी प्रोसेसिंग करेगी और उसको डिस्कार्ड भी करेगी."
इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को लेकर स्वच्छता दीदी लोगों को करेगी जागरुक: रायपुर नगर निगम अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी ने बताया कि " इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट इकट्ठा करने और उसका निष्पादन करने के लिए अलग-अलग जोन में अलग-अलग एमओयू किया गया है. इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट के बारे में लोगों को जागरूक करना भी काफी जरूरी हो जाता है. जल्द ही लोगों को जागरूक करने के लिए गाड़ी शुरू की जाएगी. फिलहाल स्वच्छता दीदी के माध्यम से डोर टू डोर लोगों को जानकारी दी जा रही है.''
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डस्टबिन रख कर कचरे के निष्पादन करने का बता रहे तरीका: रायपुर नगर निगम अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी ने बताया कि, " देश के बड़े और स्वच्छता में टॉप पर रहनेवाले शहर 6 तरह के डस्टबिन रखते हैं. भारत सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से हमारा प्रयास है कि अभी 4 डस्टबिन रखने की आदत लोगों को लग सके. हर घर में चार डस्टबिन और हर व्यक्ति को इस 4 डस्टबिन की अहमियत के बारे में हम समझा रहे हैं. इसके लिए स्वसहायता समूह की स्वच्छता दीदी को लोगों को जागरूक करने की कमान सौंपी गई है. गीला कचरा, सूखा कचरा, प्लास्टिक कचरा, घरेलू हजार्ड्स और सेनेटरी नैपकिन को 4 अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है. अगर इन 4 कैटेगरी में लोग कचरे का निष्पादन करते हैं तो शहर के लिए काफी अच्छा होगा."
इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को अलग से कलेक्ट कर उसका निष्पादन करना है जरूरी: रायपुर नगर निगम सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तृप्ति पाणिग्राही ने बताया कि, " हमारी स्वसहायता समूह की स्वच्छता दीदी डोर टू डोर जाकर लोगों को इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट के बारे में जागरूक करने का काम कर रहीं हैं. स्वसहायता समूह की स्वच्छता दीदी इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट के बारे में लोगों को जागरूक कर रही हैं कि किस तरह से अलग डस्टबिन में रखना है. कचरे से खाद बनाने की ट्रेनिंग भी स्वसहायता समूह की स्वच्छता दीदी लोगों को दे रहीं हैं. कुछ महिलाएं घर पर खाद बनाने का काम भी कर रहीं हैं."
क्या होता है इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट?: इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट का निष्पादन सही तरीके से करना काफी जरूरी हो जाता है. इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट हार्ड प्लास्टिक और मेटल के बने होते हैं. इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट तो सही तरीके से नष्ट नहीं करने से प्रकृति के लिए वह काफी हानिकारक साबित होते हैं. इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में कई मूल्यवान मेटल होते हैं, जिन्हें डिस्कार्ड करना काफी मुश्किल होता है. इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट का प्रॉपर डिस्पोजल नहीं किया गया तो लोगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट काफी हानिकारक साबित हो सकता है. इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट के कई पार्ट्स ऐसे रहते हैं, जिसे रीयूज भी किया जा सकता है.