रायपुर : रायपुर की विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की दो चार्जशीट पर संज्ञान लिया है. जिसमें राज्य में कोयले, लोहे की छर्रों और समेत अन्य चीजों की आवाजाही पर अवैध लेवी लगाने का आरोप लगाया गया है.ईडी के मुताबिक एजेंसी व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी और मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के कोयला कार्टेल के खिलाफ जांच कर रही थी. इस मामले में अब तक नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है,सभी इस समय न्यायिक हिरासत में हैं.चार्जशीट में जिन लोगों के नाम हैं उनमें सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई कई पदों पर रहे हैं. वहीं कोल कारोबारी भी इस लेवी के धंधे से जुड़े हैं.
क्या है ईडी का आरोप : जांच एजेंसी ईडी ने आरोप पत्र में दावा किया है कि जबरन वसूली रैकेट में 540 करोड़ मूल्य के "अपराध की आय" की स्थापना की गई है. धन का उपयोग राजनीतिक खर्च "बेनामी" संपत्ति के निर्माण और अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए किया गया था. ईडी ने 220 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है. पिछले महीने ईडी ने कांग्रेस विधायकों देवेंद्र यादव और चंद्रदेव प्रसाद राय, आईएएस अधिकारी रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, आरपी सिंह, विनोद तिवारी और राम गोपाल अग्रवाल से जुड़ी संपत्तियों को कुर्क किया था.
25 रुपए प्रतिटन की अवैध वसूली : आपको बता दें कि ईडी कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों के अवैध वसूली के पैसों का लेनदेन के सबूत मिले हैं. छत्तीसगढ़ में माल परिवहन पर प्रति टन 25 रुपए की अवैध वसूली की जा रही थी. ईडी का आरोप है कि ये सारी वसूली सूर्यकांत तिवारी के देखरेख में हो रही थी.जिसकी जानकारी सौम्या चौरसिया और समीर विश्नोई को थी.
क्या है कोल स्कैम : छत्तीसगढ़ में ईडी ने कोल स्कैम का पर्दाफाश किया था. ईडी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में प्रति टन कोयले के परिवहन पर 25 रुपये की वसूली होती थी. इस मामले में राज्य के IAS अफसर, कोल व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलिए को ईडी ने बेनकाब किया है. ईडी के मुताबिक बीते दो साल में अवैध वसूली के जरिए कम से कम 540 करोड़ रुपये की उगाही हुई है.जिसे राजनीतिक खर्च के लिए इस्तेमाल किया गया.