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इसलिए डॉक्टर देते हैं डोपामिन फास्ट की सलाह, जानिए कैसे ये फास्ट तकनीक से है जुड़ा

डोपामिन (Dopamine) एक न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitters) है. वह हमारे ब्रेन (Brain) में एक मैसेंजर का काम करता है. एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक मैसेज पहुंचाने के काम को डोपामिन (Dopamine) कहते है. डोपामिन हमें खुशी का एहसास दिलाता है. आगे हमें क्या करना है ये प्लान कराता है. एग्जीक्यूशन (Execution) किस तरह के काम को किया जाए उस काम के लिए डोपामिन जिम्मेदार रहता है. जैसे हम कोई काम करते हैं, जिससे खुशी मिलती है तो डोपामिन दिमाग में बढ़ता है और जैसे हम कोई काम कर रहे हैं वह काम हमें पसंद नहीं आए तो उससे डोपामिन कम होता है.

dopamine fast
इसलिए डॉक्टर देते हैं डोपामिन फ़ास्ट
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Published : Sep 26, 2021, 2:32 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 7:12 PM IST

रायपुरः आधुनिकता की दुनिया में तकनीक (Technology) का विकास काफी व्यापक तरीके से हो रहा है. मौजूदा समय में तकनीक ने पूरी दुनिया को एक डिवाइस (Device) में समेट दिया है. मानव भी तकनीक के अधीन होता जा रहा है. यहां तक कि आज के समय में मनुष्य बिना तकनीक के कुछ भी नहीं है. यानी कि मनुष्य का अस्तित्व तकनीक (Human survival techniques) से ही जुड़ा है.

डोपामिन क्या होता है ?

जैसा कि पिछले डेढ़ साल से विश्व भर में कोरोना ने कहर मचाया है और लोगों को मदजबूरन तकनीक को ही एक मात्र आय का सहारा बनाना पड़ा है. ये इसकी प्रमुखता को दर्शाता है. कोरोनाकाल में ऑनलाइन (Online in corona period) की तरफ शिफ्ट भी हुए हैं. पढ़ाई ऑनलाइन (Study online) होने लगी. जिस काम के लिए हमें ऑफिस जाना पड़ता था. आज लैपटॉप और मोबाइल (Laptop and Mobile) के माध्यम से वह काम घर बैठे हो रहे हैं. ऐसे में लोगों में टेक्नोलॉजी (Technology) की आदत भी बढ़ती जा रही है. जिससे भविष्य में उनके शरीर और दिमाग पर काफी असर पड़ सकता है जिस वजह से डॉक्टर लोगों को डोपामिन फास्ट (dopamine fast ) रखने की सलाह देते हैं. आखिर डोपामिन (डोपामाइन) फास्ट क्या होता है? डॉक्टर डोपामिन फास्ट की सलाह क्यों देते हैं ? इस बारे में ETV भारत ने साइकैटरिस्ट डॉ सुरभि दुबे से खास बातचीत की.

डोपामिन क्या होता है?

बातचीत के दौरान डॉ. सुरभि ने बताया कि डोपामिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है. वह हमारे ब्रेन में एक मैसेंजर का काम करता है. एक न्यूरॉन(सेल) से दूसरे न्यूरॉन तक मैसेज पहुंचाने के काम को डोपामिन कहते है. डोपामिन हमें खुशी का एहसास दिलाता है. आगे हमें क्या करना है ये प्लान कराता है. एग्जीक्यूशन किस तरह के काम को किया जाए उस काम के लिए डोपामिन जिम्मेदार रहता है. जैसे हम कोई काम करते हैं, जिससे खुशी मिलती है तो डोपामिन दिमाग में बढ़ता है और जैसे हम कोई काम कर रहे हैं वह काम हमें पसंद नहीं आए तो उससे डोपामिन कम होता है. डोपामिन हमारे मूवमेंट के लिए भी रिस्पांसिबल है. डोपामिन बढ़ जाता है, शरीर में तो भी कई तरह की बीमारियां होती है वही डोपामिन कम भी हो जाता है उससे भी कई तरह की बीमारियां होती है.

स्कूल खुलने से बच्चों में दिखा उत्साह, ऑनलाइन से अच्छी लग रही ऑफलाइन पढ़ाई

तकनीक के लिए डोपामिन फास्ट का जिक्र कई बार होता

डोपामिन फास्ट एक्चुअली एक मिस लीडिंग शब्द है. कैलिफोर्निया में रहने वाले एक साइकैटरिस्ट है. डॉक्टर सीपा ने इस शब्द को निकाला था. क्योंकि वह देख रही थी कि टेक्नोलॉजी जैसे फोन, लैपटॉप का इतना अधिक यूज होने लग गया है कि एडिक्शन जैसी चीजें आ रही है. एडिक्शन में डोपामिन का बहुत इंपॉर्टेंट रोल है. जैसे मुझे यूट्यूब देखना अच्छा लगता है तो मेरे दिमाग में डोपामिन बढ़ेगा, क्योंकि यह डोपामिन बढ़ाता है. उस समय जब हम एक्टिविटी कर रहे हैं, तो इससे लत या नशा की आदत बन जाती है तो इसीलिए डॉक्टर सीपा ने डोपामिन फास्ट शब्द को निकाला कि 1 दिन के लिए या कुछ घंटों के लिए हम अगर टेक्नोलॉजी से दूर रहे कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हम कुछ घंटों के लिए या 1 दिन के लिए यूज ना करें इसको डोपामिन फास्टिंग कहते हैं क्योंकि जिस दिन हम टेक्नोलॉजी से दूर होंगे उस दिन हम बोर हो जाएंगे और जिस समय हम बोर होंगे उस दिन डोपामिन संतुलित मात्रा में निकलेगा और हम नेचुरल चीजों से ज्यादा जुड़ेंगे. जैसे हम अपने बचपन में आउटडोर गेम ज्यादा खेलते थे. टीवी के सामने कम बैठे रहते थे या मोबाइल ना के बराबर चलाते थे. लेकिन आज के समय में बच्चे दिनभर या तो मोबाइल में या टीवी में लगे रहते हैं. तो डोपामिन फास्ट का उद्देश्य यही है कि लोग मोबाइल और टेलीविजन छोड़कर एक दूसरे से ज्यादा मिले परिवार के साथ समय ज्यादा बिताए.

ऐसे समय में तकनीक से दूर रहना कितना मुश्किल है

किसी भी चीज की आदत खराब होती है. हमें काम के समय ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहिए. सोच समझ के हमें अपने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहिए टेक्नोलॉजी दो तरीके से काम करती है एक जहां वह हमारे काम को आसान बनाती है, तो वहीं कई बार हमें उसकी आदत भी लग जाती है. जो कि हमारे लिए बहुत खराब है डॉक्टर सीपा ने इसीलिए शब्द को निकाला कि लोग वापस अपने रूट से जुड़े. डोपामिन जरूरी नहीं है कि नशे की लत से ही बढ़े बल्कि नैचुरली भी डोपामिन बढ़ सकता है. जैसे एक्सरसाइज करने से, दोस्तों के साथ समय बिताने से, परिवार के साथ समय बिताने से भी डोपामिन बढ़ता है, डोपामिन मन की शांति भी दिलाता है.

चीजों को प्लान करने में मदद

डोपामिन होने वाली चीजों को प्लान करने में मदद करता है. कंसंट्रेशन में मदद करता है, इसलिए हम अगर अपनी दिनचर्या अस्त-व्यस्त ना रखें. उसको संतुलित रखें, नींद प्रॉपर लें, अपनी डाइट में सैचुरेटेड फैट को कम लें, हाई प्रोटीन डाइट लें, जैसे सोया, चिकन, पनीर, अंडा जो तब भी हमारा डोपामिन बढ़ता है. तो जरूरी है कि हम बैलेंस जीवन जिए जिसमें हर चीज का एक रोल हो फिजिकल एक्टिविटी, प्रॉपर फूड, नींद सबका एक इंपॉर्टेंट रोल हो. इससे डोपामिन हमारे दिमाग में बढ़ेगा फिर आपको डोपामिन फास्ट करने की जरूरत नहीं होगी.

रायपुरः आधुनिकता की दुनिया में तकनीक (Technology) का विकास काफी व्यापक तरीके से हो रहा है. मौजूदा समय में तकनीक ने पूरी दुनिया को एक डिवाइस (Device) में समेट दिया है. मानव भी तकनीक के अधीन होता जा रहा है. यहां तक कि आज के समय में मनुष्य बिना तकनीक के कुछ भी नहीं है. यानी कि मनुष्य का अस्तित्व तकनीक (Human survival techniques) से ही जुड़ा है.

डोपामिन क्या होता है ?

जैसा कि पिछले डेढ़ साल से विश्व भर में कोरोना ने कहर मचाया है और लोगों को मदजबूरन तकनीक को ही एक मात्र आय का सहारा बनाना पड़ा है. ये इसकी प्रमुखता को दर्शाता है. कोरोनाकाल में ऑनलाइन (Online in corona period) की तरफ शिफ्ट भी हुए हैं. पढ़ाई ऑनलाइन (Study online) होने लगी. जिस काम के लिए हमें ऑफिस जाना पड़ता था. आज लैपटॉप और मोबाइल (Laptop and Mobile) के माध्यम से वह काम घर बैठे हो रहे हैं. ऐसे में लोगों में टेक्नोलॉजी (Technology) की आदत भी बढ़ती जा रही है. जिससे भविष्य में उनके शरीर और दिमाग पर काफी असर पड़ सकता है जिस वजह से डॉक्टर लोगों को डोपामिन फास्ट (dopamine fast ) रखने की सलाह देते हैं. आखिर डोपामिन (डोपामाइन) फास्ट क्या होता है? डॉक्टर डोपामिन फास्ट की सलाह क्यों देते हैं ? इस बारे में ETV भारत ने साइकैटरिस्ट डॉ सुरभि दुबे से खास बातचीत की.

डोपामिन क्या होता है?

बातचीत के दौरान डॉ. सुरभि ने बताया कि डोपामिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है. वह हमारे ब्रेन में एक मैसेंजर का काम करता है. एक न्यूरॉन(सेल) से दूसरे न्यूरॉन तक मैसेज पहुंचाने के काम को डोपामिन कहते है. डोपामिन हमें खुशी का एहसास दिलाता है. आगे हमें क्या करना है ये प्लान कराता है. एग्जीक्यूशन किस तरह के काम को किया जाए उस काम के लिए डोपामिन जिम्मेदार रहता है. जैसे हम कोई काम करते हैं, जिससे खुशी मिलती है तो डोपामिन दिमाग में बढ़ता है और जैसे हम कोई काम कर रहे हैं वह काम हमें पसंद नहीं आए तो उससे डोपामिन कम होता है. डोपामिन हमारे मूवमेंट के लिए भी रिस्पांसिबल है. डोपामिन बढ़ जाता है, शरीर में तो भी कई तरह की बीमारियां होती है वही डोपामिन कम भी हो जाता है उससे भी कई तरह की बीमारियां होती है.

स्कूल खुलने से बच्चों में दिखा उत्साह, ऑनलाइन से अच्छी लग रही ऑफलाइन पढ़ाई

तकनीक के लिए डोपामिन फास्ट का जिक्र कई बार होता

डोपामिन फास्ट एक्चुअली एक मिस लीडिंग शब्द है. कैलिफोर्निया में रहने वाले एक साइकैटरिस्ट है. डॉक्टर सीपा ने इस शब्द को निकाला था. क्योंकि वह देख रही थी कि टेक्नोलॉजी जैसे फोन, लैपटॉप का इतना अधिक यूज होने लग गया है कि एडिक्शन जैसी चीजें आ रही है. एडिक्शन में डोपामिन का बहुत इंपॉर्टेंट रोल है. जैसे मुझे यूट्यूब देखना अच्छा लगता है तो मेरे दिमाग में डोपामिन बढ़ेगा, क्योंकि यह डोपामिन बढ़ाता है. उस समय जब हम एक्टिविटी कर रहे हैं, तो इससे लत या नशा की आदत बन जाती है तो इसीलिए डॉक्टर सीपा ने डोपामिन फास्ट शब्द को निकाला कि 1 दिन के लिए या कुछ घंटों के लिए हम अगर टेक्नोलॉजी से दूर रहे कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हम कुछ घंटों के लिए या 1 दिन के लिए यूज ना करें इसको डोपामिन फास्टिंग कहते हैं क्योंकि जिस दिन हम टेक्नोलॉजी से दूर होंगे उस दिन हम बोर हो जाएंगे और जिस समय हम बोर होंगे उस दिन डोपामिन संतुलित मात्रा में निकलेगा और हम नेचुरल चीजों से ज्यादा जुड़ेंगे. जैसे हम अपने बचपन में आउटडोर गेम ज्यादा खेलते थे. टीवी के सामने कम बैठे रहते थे या मोबाइल ना के बराबर चलाते थे. लेकिन आज के समय में बच्चे दिनभर या तो मोबाइल में या टीवी में लगे रहते हैं. तो डोपामिन फास्ट का उद्देश्य यही है कि लोग मोबाइल और टेलीविजन छोड़कर एक दूसरे से ज्यादा मिले परिवार के साथ समय ज्यादा बिताए.

ऐसे समय में तकनीक से दूर रहना कितना मुश्किल है

किसी भी चीज की आदत खराब होती है. हमें काम के समय ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहिए. सोच समझ के हमें अपने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहिए टेक्नोलॉजी दो तरीके से काम करती है एक जहां वह हमारे काम को आसान बनाती है, तो वहीं कई बार हमें उसकी आदत भी लग जाती है. जो कि हमारे लिए बहुत खराब है डॉक्टर सीपा ने इसीलिए शब्द को निकाला कि लोग वापस अपने रूट से जुड़े. डोपामिन जरूरी नहीं है कि नशे की लत से ही बढ़े बल्कि नैचुरली भी डोपामिन बढ़ सकता है. जैसे एक्सरसाइज करने से, दोस्तों के साथ समय बिताने से, परिवार के साथ समय बिताने से भी डोपामिन बढ़ता है, डोपामिन मन की शांति भी दिलाता है.

चीजों को प्लान करने में मदद

डोपामिन होने वाली चीजों को प्लान करने में मदद करता है. कंसंट्रेशन में मदद करता है, इसलिए हम अगर अपनी दिनचर्या अस्त-व्यस्त ना रखें. उसको संतुलित रखें, नींद प्रॉपर लें, अपनी डाइट में सैचुरेटेड फैट को कम लें, हाई प्रोटीन डाइट लें, जैसे सोया, चिकन, पनीर, अंडा जो तब भी हमारा डोपामिन बढ़ता है. तो जरूरी है कि हम बैलेंस जीवन जिए जिसमें हर चीज का एक रोल हो फिजिकल एक्टिविटी, प्रॉपर फूड, नींद सबका एक इंपॉर्टेंट रोल हो. इससे डोपामिन हमारे दिमाग में बढ़ेगा फिर आपको डोपामिन फास्ट करने की जरूरत नहीं होगी.

Last Updated : Sep 26, 2021, 7:12 PM IST
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