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SPECIAL: सौंदर्यीकरण पड़ा भारी, घाट टूटने से कपड़े धोने वाले परेशान, अब पेट पालना भी हुआ मुश्किल - छत्तीसगढ़ न्यूज

बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर धोबी घाट तो तोड़ दिया गया, लेकिन अब कोई इसे बनाने के लिए सुध नहीं ले रहा है. जिसका असर कपड़े धो कर जिंदगी चलाने वालों पर पड़ रहा है.

beautification of budha talab
घाट टूटने से कपड़े धोने वाले परेशान
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Published : Nov 23, 2020, 4:26 PM IST

Updated : Nov 24, 2020, 12:54 PM IST

रायपुर: बूढ़ातालाब सौंदर्यीकरण के नाम पर बूढ़ा तालाब पर बने धोबी घाट को भी नहीं छोड़ा गया और इसे तोड़ दिया गया. घाट तोड़ते वक्त दूसरे स्थान पर घाट बनाने का आश्वासन दिया गया, लेकिन 6 महीने बाद भी नगर निगम और स्मार्ट सिटी की तरफ से धोबी घाट बनाकर नहीं दिया गया है. जिससे बूढ़ा तालाब में बने धोबी घाट में कपड़ा धोने वाले 50 से ज्यादा लोगों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है.

घाट टूटने से कपड़े धोने वाले परेशान

बूढ़ा तालाब का सौंदर्यीकरण पड़ा भारी

पहले से ही कोरोना संक्रमण के चलते कपड़े धोनेवालों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. रही-सही कसर बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण में पूरी हो गई. बूढ़ा तालाब का सौंदर्यीकरण इन कपड़ा धोने वालों पर भारी पड़ गई है. जिसका पीड़ा ये ETV भारत से बयां कर रहे हैं.

'घाट तोड़ने से जिंदगी चलाना हुआ मुश्किल'

कपड़े धोने वालों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते उनका काम पूरी तरह प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन के समय ही धोबी घाट तोड़ दिया गया था, उस दौरान जल्द से जल्द घाट बनाने का आश्वासन भी दिया गया, लेकिन दोबारा फिर किसी ने धोबी घाट की सुध नहीं ली. निगम के न तो अधिकारी और न ही महापौर ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब समझा. जिसके चलते इनकी रोजी-रोटी प्रभावित हुई है.

वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना ही तोड़ा गया घाट

सौंदर्यीकरण के नाम पर बूढ़ा तालाब में बने धोबी घाट को तोड़ दिया गया, लेकिन घाट में काम करने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई. ऐसे में अब उनकी मुसीबतें बढ़ गई है.

पढ़ें: कोरोना का कहर: छत्तीसगढ़ में अगले दो महीने तक नहीं खुलेंगे स्कूल !

सड़क किनारे पत्थर लगाकर कर रहे काम

कपड़े धोने वाले अमर बुंदेल ने बताया कि कई महीनों बाद धीरे-धीरे उनका व्यवसाय अब रफ्तार पकड़ रहा है, लेकिन घाट नहीं होने से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. मजबूरन उन्हें घर में ही कपड़े धोने पड़ रहे हैं. कपड़े सुखाने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है. घर के किनारे ही पत्थर लगाकर किसी तरह अपना काम चला रहे हैं.

'जल्द बनेगा धोबी घाट'

इस पूरे मामले में नगर निगम अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य का कहना है कि जल्द ही धोबी घाट बनाने के लिए जगह का चयन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि तालाब से हटकर कहीं और धोबी घाट बनाने का प्रस्ताव है.

पढ़ें: SPECIAL: कब अनलॉक होंगे स्कूल ? पैरेंट्स के बीच कोरोना का खौफ, नहीं भेजना चाहते बच्चों को स्कूल

'मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बनेगा धोबी घाट'

मॉडर्न टेक्नोलॉजी के हिसाब से अब कपड़े धोने की व्यवस्था की जा सकती है. इस दिशा में कार्य चल रहा है और जल्द ही कुछ परिणाम सामने आएगा. ETV भारत से चर्चा में नगर निगम महापौर एजाज ढेबर ने ये बातें कही हैं. ढेबर ने कहा कि दिवाली, सामान्य सभा और बूढ़ा तालाब के लोकार्पण का काम करना था, इस वजह से काम में कुछ देरी हुई. उन्होंने कहा कि कपड़े धोने वालों के लिए मॉडर्न धोबी घाट बनाने की योजना है. जिसमें नल, टंकी होगा. ढेबर ने इसके निर्माण के लिए जगह देखने की भी बात कही. महापौर ने आश्वासन दिया है कि 1 से 2 महीने में जल्द ही घाट बनाकर दिया जाएगा.

रायपुर: बूढ़ातालाब सौंदर्यीकरण के नाम पर बूढ़ा तालाब पर बने धोबी घाट को भी नहीं छोड़ा गया और इसे तोड़ दिया गया. घाट तोड़ते वक्त दूसरे स्थान पर घाट बनाने का आश्वासन दिया गया, लेकिन 6 महीने बाद भी नगर निगम और स्मार्ट सिटी की तरफ से धोबी घाट बनाकर नहीं दिया गया है. जिससे बूढ़ा तालाब में बने धोबी घाट में कपड़ा धोने वाले 50 से ज्यादा लोगों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है.

घाट टूटने से कपड़े धोने वाले परेशान

बूढ़ा तालाब का सौंदर्यीकरण पड़ा भारी

पहले से ही कोरोना संक्रमण के चलते कपड़े धोनेवालों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. रही-सही कसर बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण में पूरी हो गई. बूढ़ा तालाब का सौंदर्यीकरण इन कपड़ा धोने वालों पर भारी पड़ गई है. जिसका पीड़ा ये ETV भारत से बयां कर रहे हैं.

'घाट तोड़ने से जिंदगी चलाना हुआ मुश्किल'

कपड़े धोने वालों ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते उनका काम पूरी तरह प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन के समय ही धोबी घाट तोड़ दिया गया था, उस दौरान जल्द से जल्द घाट बनाने का आश्वासन भी दिया गया, लेकिन दोबारा फिर किसी ने धोबी घाट की सुध नहीं ली. निगम के न तो अधिकारी और न ही महापौर ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब समझा. जिसके चलते इनकी रोजी-रोटी प्रभावित हुई है.

वैकल्पिक व्यवस्था किए बिना ही तोड़ा गया घाट

सौंदर्यीकरण के नाम पर बूढ़ा तालाब में बने धोबी घाट को तोड़ दिया गया, लेकिन घाट में काम करने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई. ऐसे में अब उनकी मुसीबतें बढ़ गई है.

पढ़ें: कोरोना का कहर: छत्तीसगढ़ में अगले दो महीने तक नहीं खुलेंगे स्कूल !

सड़क किनारे पत्थर लगाकर कर रहे काम

कपड़े धोने वाले अमर बुंदेल ने बताया कि कई महीनों बाद धीरे-धीरे उनका व्यवसाय अब रफ्तार पकड़ रहा है, लेकिन घाट नहीं होने से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. मजबूरन उन्हें घर में ही कपड़े धोने पड़ रहे हैं. कपड़े सुखाने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है. घर के किनारे ही पत्थर लगाकर किसी तरह अपना काम चला रहे हैं.

'जल्द बनेगा धोबी घाट'

इस पूरे मामले में नगर निगम अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य का कहना है कि जल्द ही धोबी घाट बनाने के लिए जगह का चयन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. उन्होंने कहा कि तालाब से हटकर कहीं और धोबी घाट बनाने का प्रस्ताव है.

पढ़ें: SPECIAL: कब अनलॉक होंगे स्कूल ? पैरेंट्स के बीच कोरोना का खौफ, नहीं भेजना चाहते बच्चों को स्कूल

'मॉडर्न टेक्नोलॉजी से बनेगा धोबी घाट'

मॉडर्न टेक्नोलॉजी के हिसाब से अब कपड़े धोने की व्यवस्था की जा सकती है. इस दिशा में कार्य चल रहा है और जल्द ही कुछ परिणाम सामने आएगा. ETV भारत से चर्चा में नगर निगम महापौर एजाज ढेबर ने ये बातें कही हैं. ढेबर ने कहा कि दिवाली, सामान्य सभा और बूढ़ा तालाब के लोकार्पण का काम करना था, इस वजह से काम में कुछ देरी हुई. उन्होंने कहा कि कपड़े धोने वालों के लिए मॉडर्न धोबी घाट बनाने की योजना है. जिसमें नल, टंकी होगा. ढेबर ने इसके निर्माण के लिए जगह देखने की भी बात कही. महापौर ने आश्वासन दिया है कि 1 से 2 महीने में जल्द ही घाट बनाकर दिया जाएगा.

Last Updated : Nov 24, 2020, 12:54 PM IST
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