ETV Bharat / state

Somvati Amavasya 2022: सोमवती अमावस्या के दिन करें ये खास उपाय

सोमवती अमावस्या का काफी महत्व होता (Significance of Somvati Amavasya) है. इस दिन सुहागिन महिलाएं बरगद की पूजा करती हैं. इस बार 30 मई को सोमवती अमावस्या और वटसावित्री व्रत दोनों पड़ रहा है. इस अमावस्या का काफी महत्व होता है.

Somvati Amavasya
सोमवती अमावस्या
author img

By

Published : May 28, 2022, 7:20 PM IST

रायपुर: सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है. इस दिन स्नान-दान के साथ भगवान शिव की पूजा करने का विधान (Significance of Somvati Amavasya) है. इस बार 30 मई को सोमवती अमावस्या है. इस दिन वट सावित्री का भी व्रत रखा जाएगा. सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति के लंबे उम्र के लिए व्रत रखती है.

वट सावित्री को बरगदाही भी कहते हैं: शास्त्रों की मानें तो ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इसके साथ ही इस दिन वट सावित्री का व्रत रखने का विधान है. हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का काफी अधिक महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं.वट सावित्री को बरगदाही नाम से भी जाना जाता है. माना जा रहा है कि इस बार की सोमवती अमावस्या काफी खास है. क्योंकि ये साल का आखिरी सोमवती अमावस्या है.

सोमवती अमावस्या का महत्व: अमावस्या का दिन पितरों का श्राद्ध करना भी शुभ माना जाता है. इसके अलावा आज के दिन स्नान-दान करने का भी काफी अधिक महत्व है. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है. इसके साथ ही इस सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती है.

यह भी पढ़ें: अगर आप पहली बार वट सावित्री व्रत कर रहीं हैं तो इन बातों का रखें ध्यान !

सोमवती अमावस्या की पूजा विधि: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. गंगा स्नान कर लें तो बेहतर है. अगर आप स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. इसके साथ ही दान-पुण्य करना चाहिए.पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं.इससे पितरों का आशीर्वाद आपको मिलेगा.

रायपुर: सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है. इस दिन स्नान-दान के साथ भगवान शिव की पूजा करने का विधान (Significance of Somvati Amavasya) है. इस बार 30 मई को सोमवती अमावस्या है. इस दिन वट सावित्री का भी व्रत रखा जाएगा. सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति के लंबे उम्र के लिए व्रत रखती है.

वट सावित्री को बरगदाही भी कहते हैं: शास्त्रों की मानें तो ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. सोमवार को पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इसके साथ ही इस दिन वट सावित्री का व्रत रखने का विधान है. हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का काफी अधिक महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं.वट सावित्री को बरगदाही नाम से भी जाना जाता है. माना जा रहा है कि इस बार की सोमवती अमावस्या काफी खास है. क्योंकि ये साल का आखिरी सोमवती अमावस्या है.

सोमवती अमावस्या का महत्व: अमावस्या का दिन पितरों का श्राद्ध करना भी शुभ माना जाता है. इसके अलावा आज के दिन स्नान-दान करने का भी काफी अधिक महत्व है. सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है. इसके साथ ही इस सुहागिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती है.

यह भी पढ़ें: अगर आप पहली बार वट सावित्री व्रत कर रहीं हैं तो इन बातों का रखें ध्यान !

सोमवती अमावस्या की पूजा विधि: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. गंगा स्नान कर लें तो बेहतर है. अगर आप स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. इसके साथ ही दान-पुण्य करना चाहिए.पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं.इससे पितरों का आशीर्वाद आपको मिलेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.