रायपुर: बस्तर में स्टील प्लांट लगाए जाने का मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. इसकी वजह 2005 में भाजपा की ओर से साइन किया गया एमओयू है. जिसके तहत बस्तर में टाटा का स्टील प्लांट लगना था. इसके लिए किसानों से जमीन भी ली गई थी. प्लांट के लिए 1 हजार 707 किसानों से 1665 हेक्टेयर जमीन ली गई थी. उस वक्त विपक्ष में रही कांग्रेस ने इसका जमकर विरोध किया था.
अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार में है और बीजेपी विपक्ष में. उस समय प्लांट के लिए अधिग्रहित जमीन कांग्रेस सरकार ने आते ही शर्तों के मुताबिक प्लांट नहीं लगाने पर किसानों को वापस कर दिया था. अब वहीं कांग्रेस बस्तर में 4 से 5 प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है. इसपर बीजेपी हमलावर है. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री ने इसपर कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. रमन सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि 'जो पहले गलत था वो सही कैसे, जो अब सही है वह पहले गलत कैसे ?'
बीजेपी सरकार में प्लांट के लिए प्लान
- 2005 में टाटा स्टील प्लांट के लिए एमओयू
- 5 साल के भीतर लगाना था प्लांट
- सैकड़ों किसानों से ली गई थी जमीन
- 70 फीसदी किसानों ने दी थी सहमति
- 10 गांव की 2043 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण
- 1707 किसानों से ली गई थी 1665 हेक्टेयर जमीन
- शर्तों के तहत 10 साल के भीतर लगने थे प्लांट
- प्लांट नहीं लगने पर वापस करनी थी जमीन
- 2016 में स्टील प्लांट लगाने से इनकार
कांग्रेस सरकार में प्लांट के लिए प्लान
- छोट-छोटे प्लांट लगाए जाएंगे
- 500 एकड़ जमीन पर ही तैयार होगा प्लांट
- प्लांट के लिए नहीं लिए जाएंगे किसानों की जमीन
- प्लांट के लिए नहीं काटे जाएंगे पेड़ और जंगल
- ज्यादा से ज्यादा स्थानीय युवाओं को दिया जाएगा रोजगार
सड़क से सदन तक की लड़ाई
तत्कालीन बीजेपी सरकार के दौरान अधिग्रहित जमीन को वापस नहीं करने का मुद्दा कांग्रेस ने उस वक्त जोर शोर से उठाया था. उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसपर बीजेपी पर जमकर हमला किया था. जमीन वापसी की मांग को लेकर बस्तर से कांग्रेस विधायक और पूरी कांग्रेस पार्टी ने सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ी थी. कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों को उनकी जमीन वापस करने का वादा किया था. जिसे कांग्रेस की सरकार बनते ही पूरा भी किया गया.
'उद्योग लगाने के नाम पर सिर्फ MOU'
अब 2020 में वहीं स्टील प्लांट लगाने का मुद्दा कांग्रेस सरकार ने उठाया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 'रमन सिंह न जाने किस दुनिया में जी रहे हैं उन्होंने उद्योग लगाने के नाम पर सिर्फ एमओयू किया और विदेश का भ्रमण किया. उनके समय प्रदेश में जो उद्योग स्थापित थे, वह भी अन्य राज्यों में चले गए.' सीएम बघेल ने कहा कि 'यह स्टील प्लांट छोटे-छोटे होंगे, काफी बड़े स्तर पर नहीं होंगे, क्योंकि छोटे-छोटे प्लांट लगेंगे तो ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि इन प्लांटों को लगाने के लिए न तो किसी को विस्थापित किया जाएगा और न ही जंगल काटे जाएंगे.'
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'बस्तर की जनता के साथ छलावा'
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस सरकार बस्तर की जनता के साथ छलावा कर रही है. सरकार ने 4-5 स्टील प्लांट लगाने की बात तो कह रही है, लेकिन कोई प्लान नहीं है. कांग्रेस यह दावा कर रही है कि इन स्टील प्लांटों को लगाने के लिए किसानों से जमीन नहीं लिया जाएगा, लेकिन सरकार की ओर से यह जानकारी नहीं दी गई है कि आखिर यह प्लांट किसकी जमीन पर लगेगा. श्रीवास्तव ने कहा कि, 'मुझे नहीं लगता कि 2023 तक इन स्टील प्लांट की नींव भी रखी जाएगी'.
'पहले बेरोजगारी भत्ता का वादा पूरा करें'
प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वादे के मुताबिक बेरोजगारों को कांग्रेस सरकार को 2500 रुपये भत्ता देनी चाहिए. जिसे कांग्रेस सरकार पहले पूरा करे. भाजपा ने भूपेश सरकार से मांग की है कि प्रदेश में जब स्टील प्लांट लगेगा तब लगेगा, लेकिन अभी कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे बेरोजगारों को सरकार की ओर से मदद मिलनी चाहिए.
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7 साल में नहीं लगा प्लांट
इधर, भाजपा के आरोप पर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि बीजेपी सरकार में 7 साल से अधिक समय तक प्लांट नहीं लग पाया. प्लांट नहीं लगने के कारण कांग्रेस की सरकार ने वह जमीन उनके मूल मालिकों को वापस कर दी. रमन सिंह उन जमीनों को क्यों हड़पना चाहते थे. रमन सिंह यह याद रखें कि कांग्रेस की सरकार में न लोहंडीगुड़ा होगा और न ही नगरनार जैसी घटना दोहराई जा सकेगी, जहां पर लोगों की जमीनें एनएमडीसी के स्टील प्लांट के लिए ली गई और बाद में वह पूरे प्लांट को बेचने की साजिश रची जा रही है. शैलेश ने कहा चार-पांच स्टील प्लांट लगेंगे प्रस्ताव है, उनके लिए जमीन भी ली जाएगी, लेकिन टाटा स्टील प्लांट की तरह जमीन लेकर खाली नहीं छोड़ दिया जाएगा.
दो वक्त की रोटी के मायने
विकास और वादे सरकार के हिसाब से हमेशा बदलते रहते हैं. जो प्लांट बीजेपी सरकार में लगता है, उसमें कांग्रेस को खामिया नजर आती है और जो प्लांट कांग्रेस सरकार में लगता है, उसमें बीजेपी को खामियां नजर आती है. इस सबके बीच जनता और उसकी कई पीढ़ियां इस उम्मीद में जिंदगी गुजार देते हैं कि किसी की सरकार में लगे कोई तो प्लांट लगे जिससे उन्हें दो वक्त की रोटी मिल सके.