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शहरों में तेजी से बढ़ रही अकेलेपन की बीमारी, पहले एंग्जायटी फिर डिप्रेशन से बढ़ता है अकेलापन, जानिए इसका इलाज

बड़े शहरों में अकेलापन एक बड़ी बीमारी के रूप में सामने आने लगा है. अकेलेपन का शिकार सबसे ज्यादा युवा और महिलाएं हो रहीं है. युवा रिश्तों में असफलता और करियर को लेकर ज्यादा अवसाद के शिकार होते हैं. Anxiety disorder caused by loneliness

Take special care of anxiety patients
अकेलेपन की बीमारी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 20, 2023, 7:44 PM IST

Updated : Nov 22, 2023, 6:39 AM IST

अकेलापन बन रहा घातक

रायपुर: अकेलेपन की समस्या शहरों में तेजी से बढ़ती जा रही है. शुरुआती दौर में ये समस्या मरीज को समझ में नहीं आती. जैसे जैसे वक्त बीतता है इंसान को अकेलापन और भारी पड़ने लगता है. अंग्रेजी भाषा में इसी अकेलेपन को एंग्जायटी डिसॉर्डर बीमारी के नाम से जाना जाता है. मेडिकल रिसर्च में हुए आंकड़ों की मानें तो अकेलेपन का शिकार पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा होती हैं. माना जाता है कि महिलाएं घर पर रहती हैं इस वजह से वो खुद को अकेला ज्यादा महसूस करती हैं.

बढ़ता अकेलापन बड़ी समस्या: अकेलापन महसूस होने के मनोचिकित्सक कई कारण बताते हैं. सबसे बड़ा और गंभीर कारण होता है रिश्तों में असफलता. दूसरा सबसे बड़ा कारण होता है करियर में फेल हो जाना. ये दो ऐसे कारण हैं जिनके चलते इंसान खुद का मूल्यांकन करते करते अवसाद में चला जाता है. साइकेट्रिस्ट कहते हैं कि ऐसे हालत का कोई भी शख्स अगर शिकार हो तो उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ें. अकेलेपन के शिकार लोगों को हमेशा किसी काम में उलझाए रखें. उनको मनोरंजन का का मौका दें. उनसे बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाएं, डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे लोगों का खास तौर पर ध्यान परिवारवालों को रखना चाहिए.

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दवाओं से ज्यादा हो अपनों का साथ: आजकल यूथ खुद को अकेला रखना ज्यादा पसंद करते हैं. युवा अपनी ही डिजिटल दुनिया में रहते हैं. इन हालातों में वो लोगों से कम घुलते मिलते हैं. ऐसे में जैसे ही वो तनाव में आते हैं उनपर अकेलापन और हावी हो जाता है. डॉक्टर के मुताबिक अगर इस तरह का अकेलापन ज्यादा दिनों तक रहे तो मरीज एंग्जायटी के बाद डिप्रेशन में भी चला जाता है. ऐसे मरीज को डिप्रेशन से बाहर लाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ सुरभि दुबे कहती हैं, मरीजों को दवाओं से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है. परिवार वाले अगर साथ हो तो मरीज जल्द ठीक हो जाता है और सामान्य जिंदगी में लौट जाता है.

अकेलापन बन रहा घातक

रायपुर: अकेलेपन की समस्या शहरों में तेजी से बढ़ती जा रही है. शुरुआती दौर में ये समस्या मरीज को समझ में नहीं आती. जैसे जैसे वक्त बीतता है इंसान को अकेलापन और भारी पड़ने लगता है. अंग्रेजी भाषा में इसी अकेलेपन को एंग्जायटी डिसॉर्डर बीमारी के नाम से जाना जाता है. मेडिकल रिसर्च में हुए आंकड़ों की मानें तो अकेलेपन का शिकार पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा होती हैं. माना जाता है कि महिलाएं घर पर रहती हैं इस वजह से वो खुद को अकेला ज्यादा महसूस करती हैं.

बढ़ता अकेलापन बड़ी समस्या: अकेलापन महसूस होने के मनोचिकित्सक कई कारण बताते हैं. सबसे बड़ा और गंभीर कारण होता है रिश्तों में असफलता. दूसरा सबसे बड़ा कारण होता है करियर में फेल हो जाना. ये दो ऐसे कारण हैं जिनके चलते इंसान खुद का मूल्यांकन करते करते अवसाद में चला जाता है. साइकेट्रिस्ट कहते हैं कि ऐसे हालत का कोई भी शख्स अगर शिकार हो तो उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ें. अकेलेपन के शिकार लोगों को हमेशा किसी काम में उलझाए रखें. उनको मनोरंजन का का मौका दें. उनसे बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाएं, डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे लोगों का खास तौर पर ध्यान परिवारवालों को रखना चाहिए.

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दवाओं से ज्यादा हो अपनों का साथ: आजकल यूथ खुद को अकेला रखना ज्यादा पसंद करते हैं. युवा अपनी ही डिजिटल दुनिया में रहते हैं. इन हालातों में वो लोगों से कम घुलते मिलते हैं. ऐसे में जैसे ही वो तनाव में आते हैं उनपर अकेलापन और हावी हो जाता है. डॉक्टर के मुताबिक अगर इस तरह का अकेलापन ज्यादा दिनों तक रहे तो मरीज एंग्जायटी के बाद डिप्रेशन में भी चला जाता है. ऐसे मरीज को डिप्रेशन से बाहर लाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ सुरभि दुबे कहती हैं, मरीजों को दवाओं से ज्यादा अपनों के साथ की जरूरत होती है. परिवार वाले अगर साथ हो तो मरीज जल्द ठीक हो जाता है और सामान्य जिंदगी में लौट जाता है.

Last Updated : Nov 22, 2023, 6:39 AM IST
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