रायपुर: छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के साथ ही लोगों की कई तरह की मांग सामने आने लगी है. इसी कड़ी में प्रदेश में एक बार फिर राज्य परिवहन निगम शुरू करने यानी सरकारी बसें चलाने की मांग की जा रही है. दरअसल प्रदेश में सीमित रेलवे कनेक्टिविटी होने की वजह से सरकारी बस शुरू होने से लोगों को काफी सुविधा मिल सकती है और निजी बस मालिकों की मनमानी से भी निजात मिल सकती है.
सरकारी बस सेवा से क्या लाभ मिलेगा
- सड़कों पर समय पर चलने वाली सरकारी बसों का विकल्प होगा तो निजी बस संचालक समय का पूरा ध्यान रखेंगे और बसों में भीड़ से निजात मिलेगी.
- दुर्गम और नए इलाकों को जिला मुख्यालयों और राजधानी से जोड़ा जा सकता है.
- सरकारी बसें उन जिलों में ज्यादा कारगर साबित हो सकती हैं जहां रेलवे का नेटवर्क बिल्कुल भी नहीं है. जैसे बस्तर का बड़ा इलाका और मैदानी इलाकों के कुछ जिले जैसे- बेमेतरा, कवर्धा, मुंगेली.
- कोरबा, जशपुर समेत सरगुजा के बड़े हिस्से में रेलवे कनेक्टिविटी नहीं है. इन इलाकों में सरकारी बसें उपयोगी साबित हो सकती हैं.
- पर्यटन के लिहाज से इस रूट पर भी सरकारी बसें चलाई जा सकती है.
- बड़े पैमाने पर नए रोजगार के अवसर मिलेंगे.
निजी बसों में मनमाना किराया
इसके अलावा लोगों का दावा है कि निजी बसों से ज्यादा किराया वसूला जाता है. जिससे निजात भी सरकारी बसों के चलने से मिल सकती है. इस मामले में बस संचालकों और छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ अध्यक्ष अनिल पुसदकर का कहना है कि जब पहले सरकारी बसों को नहीं चलाया गया तो अब इसके संचालन के बारे में सोचना बेमानी है.
मांग होने पर सरकार लेगी फैसला
वहीं परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है कि वे राज्य परिवहन निगम की बसें शुरू करने या न करने को लेकर अकेले निर्णय नहीं ले सकते हैं. इसके लिए मंत्रिमंडल निर्णय ले सकता है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार के पास राज्य परिवहन निगम की बसें शुरू करने के लिए मांग आएगी तो उस पर सरकार की ओर से निर्णय लिया जाएगा.