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प्रदेश में उठी फिर से सरकारी बस सेवा शुरू करने की मांग, देखिए ETV भारत की ये रिपोर्ट

प्रदेश में एक बार फिर राज्य परिवहन निगम शुरू करने यानी सरकारी बसें चलाने की मांग की जा रही है.

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Published : Jul 29, 2019, 9:34 AM IST

Updated : Jul 29, 2019, 8:57 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के साथ ही लोगों की कई तरह की मांग सामने आने लगी है. इसी कड़ी में प्रदेश में एक बार फिर राज्य परिवहन निगम शुरू करने यानी सरकारी बसें चलाने की मांग की जा रही है. दरअसल प्रदेश में सीमित रेलवे कनेक्टिविटी होने की वजह से सरकारी बस शुरू होने से लोगों को काफी सुविधा मिल सकती है और निजी बस मालिकों की मनमानी से भी निजात मिल सकती है.

सरकारी बस सेवा शुरू करने की मांग

सरकारी बस सेवा से क्या लाभ मिलेगा

  • सड़कों पर समय पर चलने वाली सरकारी बसों का विकल्प होगा तो निजी बस संचालक समय का पूरा ध्यान रखेंगे और बसों में भीड़ से निजात मिलेगी.
  • दुर्गम और नए इलाकों को जिला मुख्यालयों और राजधानी से जोड़ा जा सकता है.
  • सरकारी बसें उन जिलों में ज्यादा कारगर साबित हो सकती हैं जहां रेलवे का नेटवर्क बिल्कुल भी नहीं है. जैसे बस्तर का बड़ा इलाका और मैदानी इलाकों के कुछ जिले जैसे- बेमेतरा, कवर्धा, मुंगेली.
  • कोरबा, जशपुर समेत सरगुजा के बड़े हिस्से में रेलवे कनेक्टिविटी नहीं है. इन इलाकों में सरकारी बसें उपयोगी साबित हो सकती हैं.
  • पर्यटन के लिहाज से इस रूट पर भी सरकारी बसें चलाई जा सकती है.
  • बड़े पैमाने पर नए रोजगार के अवसर मिलेंगे.

निजी बसों में मनमाना किराया
इसके अलावा लोगों का दावा है कि निजी बसों से ज्यादा किराया वसूला जाता है. जिससे निजात भी सरकारी बसों के चलने से मिल सकती है. इस मामले में बस संचालकों और छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ अध्यक्ष अनिल पुसदकर का कहना है कि जब पहले सरकारी बसों को नहीं चलाया गया तो अब इसके संचालन के बारे में सोचना बेमानी है.

मांग होने पर सरकार लेगी फैसला
वहीं परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है कि वे राज्य परिवहन निगम की बसें शुरू करने या न करने को लेकर अकेले निर्णय नहीं ले सकते हैं. इसके लिए मंत्रिमंडल निर्णय ले सकता है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार के पास राज्य परिवहन निगम की बसें शुरू करने के लिए मांग आएगी तो उस पर सरकार की ओर से निर्णय लिया जाएगा.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के साथ ही लोगों की कई तरह की मांग सामने आने लगी है. इसी कड़ी में प्रदेश में एक बार फिर राज्य परिवहन निगम शुरू करने यानी सरकारी बसें चलाने की मांग की जा रही है. दरअसल प्रदेश में सीमित रेलवे कनेक्टिविटी होने की वजह से सरकारी बस शुरू होने से लोगों को काफी सुविधा मिल सकती है और निजी बस मालिकों की मनमानी से भी निजात मिल सकती है.

सरकारी बस सेवा शुरू करने की मांग

सरकारी बस सेवा से क्या लाभ मिलेगा

  • सड़कों पर समय पर चलने वाली सरकारी बसों का विकल्प होगा तो निजी बस संचालक समय का पूरा ध्यान रखेंगे और बसों में भीड़ से निजात मिलेगी.
  • दुर्गम और नए इलाकों को जिला मुख्यालयों और राजधानी से जोड़ा जा सकता है.
  • सरकारी बसें उन जिलों में ज्यादा कारगर साबित हो सकती हैं जहां रेलवे का नेटवर्क बिल्कुल भी नहीं है. जैसे बस्तर का बड़ा इलाका और मैदानी इलाकों के कुछ जिले जैसे- बेमेतरा, कवर्धा, मुंगेली.
  • कोरबा, जशपुर समेत सरगुजा के बड़े हिस्से में रेलवे कनेक्टिविटी नहीं है. इन इलाकों में सरकारी बसें उपयोगी साबित हो सकती हैं.
  • पर्यटन के लिहाज से इस रूट पर भी सरकारी बसें चलाई जा सकती है.
  • बड़े पैमाने पर नए रोजगार के अवसर मिलेंगे.

निजी बसों में मनमाना किराया
इसके अलावा लोगों का दावा है कि निजी बसों से ज्यादा किराया वसूला जाता है. जिससे निजात भी सरकारी बसों के चलने से मिल सकती है. इस मामले में बस संचालकों और छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ अध्यक्ष अनिल पुसदकर का कहना है कि जब पहले सरकारी बसों को नहीं चलाया गया तो अब इसके संचालन के बारे में सोचना बेमानी है.

मांग होने पर सरकार लेगी फैसला
वहीं परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है कि वे राज्य परिवहन निगम की बसें शुरू करने या न करने को लेकर अकेले निर्णय नहीं ले सकते हैं. इसके लिए मंत्रिमंडल निर्णय ले सकता है. उन्होंने कहा कि यदि सरकार के पास राज्य परिवहन निगम की बसें शुरू करने के लिए मांग आएगी तो उस पर सरकार की ओर से निर्णय लिया जाएगा.

Intro:छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के साथ ही लोगों की कई तरह की मांग उभर कर सामने आने लगी है इसी कड़ी में प्रदेश में एक बार फिर राज्य परिवहन निगम शुरू करने या ने सरकारी बसें चलाने की मांग की जा रही है दरअसल प्रदेश में सीमित रेलवे कनेक्टिविटी के चलते सरकारी बस शुरू होने से लोगों को काफी सुविधा मिल सकती है और निजी बस मालिकों की मनमानी से भी निजात मिल सकती है


Body:सरकारी बस सेवा से क्या लाभ मिलेगा

1.सड़कों पर समय पर चलने वाली सरकारी बसों का विकल्प होगा तो निजी बस संचालक समय का पूरा ध्यान रखेंगे इससे बसों में भीड़ से निजात मिलेगी यानी सफल सुखद हो सकता है

2. दुर्गम और नए इलाकों को जिला मुख्यालयों और राजधानी से जोड़ा जा सकता है.

3. सरकारी बस उन जिलों में ज्यादा कारगर साबित हो सकता है जहां रेलवे का नेटवर्क बिल्कुल भी नहीं है मसलन बस्तर का बड़ा इलाका और मैदानी इलाकों के कुछ जिले जैसे बेमेतरा कवर्धा मुंगेली आदि

4. कोरबा जशपुर समेत सरगुजा का बड़े इलाके में रेलवे कनेक्टिविटी नहीं है इन इलाकों में सरकारी बसें उपयोगी साबित हो सकती है

5. पर्यटन के लिहाज से रूठ कर इस सर्किट पर भी सरकारी बसें चलाई जा सकती है

6. बड़े पैमाने पर नए रोजगार के अवसर मिलेंगे

इसके अलावा लोगों का दावा है कि निजी बसों से ज्यादा किराया वसूला जाता है जिससे निजात भी सरकारी बसों के चलने से मिल सकती है
वॉक्स पॉप

वही बस संचालकों और छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ अध्यक्ष अनिल पुसदकर का दावा है कि जब पहले सरकारी बसों को नहीं चलाया जा सका तो अब इसका संचालन के बारे में सोचना बेमानी है।

वही परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर का कहना है कि वे राज्य परिवहन निगम की बसें शुरू करने या न करने को लेकर अकेले निर्णय नहीं ले सकते हैं इसके लिए मंत्रिमंडल निर्णय ले सकता है उन्होंने कहा कि यदि सरकार के पास राज्य परिवहन निगम की बसें शुरू करने के लिए मांग आएगी तो उस पर सरकार की ओर से निर्णय लिया जाएगा
बाइक मोहम्मद अकबर परिवहन मंत्री


Conclusion:जानकारों की माने तो दक्षिण के राज्यों से सीख लेकर परिवहन निगम को अच्छे से चलाया जा सकता है आज कई राज्यों में सामान्य बसों से लेकर वोल्वो जैसे लग्जरी बसें संचालित हो रही है आंध्र और महाराष्ट्र के बेहतरीन उदाहरण है इन राज्यों में पर्याप्त रूप से रेलवे का नेटवर्क है फिर भी यह पब्लिक ट्रांसपोर्ट को पूरी मुस्तैदी और सफलतापूर्वक चला रहे हैं

ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य जहां 40 फ़ीसदी आबादी गरीब है कम रेलवे नेटवर्क है यहां इसे क्यों नहीं संचालित किया जा सकता है इसके लिए जरूरत है तो सिर्फ इमानदार इच्छाशक्ति की

Last Updated : Jul 29, 2019, 8:57 PM IST
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