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'जल-जंगल और जमीन छोड़कर जाने वाले आदिवासियों के लिए बने विशेष रणनीति' - रिहाई की मांग

सर्व आदिवासी समाज ने आज मीडिया के माध्यम से प्रदेश सरकार से जेल में बंद आदिवासियों की रिहाई की मांग की है. इसी के साथ जल-जंगल-जमीन को छोड़कर जो आदिवासी दूसरे प्रदेशों में पलायन कर गए हैं, उन्हें भी वापस लाने के लिए रणनीति बनाई जाए.

आदिवासियों को रिहा करने की मांग
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Published : May 16, 2019, 2:08 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने आज मीडिया के माध्यम से प्रदेश सरकार से जेल में बंद आदिवासियों की रिहाई की मांग की है. समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के जेल में बंद आदिवासियों को छोड़ने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, उस कमेटी से समाज के लोगों को भी बात करने का मौका दिया जाए. जिससे वह समाज के आदिवासियों की बातों को सीधे कमेटी तक पहुंचा सकें.

आदिवासियों को रिहा करने की मांग

आदिवासियों को रिहा करने की मांग
छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेता ने बताया कि आदिवासी समाज की सुध न तो राज्य सरकार ले रही है और न ही केंद्र सरकार. उन्होंने कहा, यही वजह है कि आज आदिवासी समाज के हजारों लोग कई सालों से प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद हैं. समाज के लोगों ने सरकार से एक और मांग करते हुए कहा कि जल-जंगल-जमीन को छोड़कर जो आदिवासी दूसरे प्रदेशों में पलायन कर गए हैं, उन्हें भी वापस लाने के लिए रणनीति बनाई जाए.

1552 आदिवासी होंगे रिहा !
अरविंद नेताम ने कहा कि कमेटी की बैठक 13 मई को रखी गई थी, जिसमें 1141 मामलों पर चर्चा की गई. बैठक में 340 प्रकरणों में 1552 आदिवासियों को रिहा करने का फैसल भी लिया गया है. इसी के साथ उन्होंने कहा कि जो संख्या बताई जा रही है, वह केवल 8 जिलों के हैं अन्य जिले जैसे राजनांदगांव, कवर्धा, बलरामपुर, अंबिकापुर, सरगुजा, गरियाबंद समेत धमतरी जिला को शामिल नहीं किया गया है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने आज मीडिया के माध्यम से प्रदेश सरकार से जेल में बंद आदिवासियों की रिहाई की मांग की है. समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के जेल में बंद आदिवासियों को छोड़ने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, उस कमेटी से समाज के लोगों को भी बात करने का मौका दिया जाए. जिससे वह समाज के आदिवासियों की बातों को सीधे कमेटी तक पहुंचा सकें.

आदिवासियों को रिहा करने की मांग

आदिवासियों को रिहा करने की मांग
छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेता ने बताया कि आदिवासी समाज की सुध न तो राज्य सरकार ले रही है और न ही केंद्र सरकार. उन्होंने कहा, यही वजह है कि आज आदिवासी समाज के हजारों लोग कई सालों से प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद हैं. समाज के लोगों ने सरकार से एक और मांग करते हुए कहा कि जल-जंगल-जमीन को छोड़कर जो आदिवासी दूसरे प्रदेशों में पलायन कर गए हैं, उन्हें भी वापस लाने के लिए रणनीति बनाई जाए.

1552 आदिवासी होंगे रिहा !
अरविंद नेताम ने कहा कि कमेटी की बैठक 13 मई को रखी गई थी, जिसमें 1141 मामलों पर चर्चा की गई. बैठक में 340 प्रकरणों में 1552 आदिवासियों को रिहा करने का फैसल भी लिया गया है. इसी के साथ उन्होंने कहा कि जो संख्या बताई जा रही है, वह केवल 8 जिलों के हैं अन्य जिले जैसे राजनांदगांव, कवर्धा, बलरामपुर, अंबिकापुर, सरगुजा, गरियाबंद समेत धमतरी जिला को शामिल नहीं किया गया है.

Intro:रायपुर छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज द्वारा एक प्रेस वार्ता कर सरकार सरकार के सामने अपनी कुछ मांगे रखी गई समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के जेलों में बंद आदिवासियों को छोड़ने के लिए जो कमेटी बनाई गई है उस कमेटी से समाज के लोगों को भी बात करने का मौका दिया जा सके जिससे वह समाज के बंद हजारों आदिवासियों की बातों को सीधे कमेटी तक पहुंचा सके और उनके खिलाफ दर्ज मामले जिन्हें पिछली सरकारों द्वारा वापस नहीं लिया गया था उस पर विचार किया जा सके

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेता ने बताया कि आदिवासी समाज की सुध न तो राज्य सरकारों ने ली है और ना ही केंद्र सरकारों ने। यही वजह है कि आज आदिवासी समाज के हजारों लोग पिछले कई सालों से प्रदेश की विभिन्न जेलो में बंद है

नेताम ने कहा कि आदिवासियों के मामलों की समीक्षा करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है उसमें कुछ जिलों के मामले ही शामिल किए जा रहे हैं जबकि प्रदेश के सभी नक्सल प्रभावित जिलों को इस समीक्षा कमेटी में शामिल किया जाना चाहिए जिससे उन जिलों में भी बंद आदिवासियों छोड़ा जा सके इसके अलावा जंगल जमीन को छोड़कर जो आदिवासी दूसरे प्रदेशों में पलायन कर गए हैं उन्हें वापस लाने भी एक बेहतर रणनीति सरकार द्वारा बनाए जाने की मांग की है उनका कहना है कि कोई भी आदिवासी अपनी जमीन नहीं छोड़ना चाहता। लेकिन मजबूरी बस उन्हें जमीन छोड़नी पड़ रही है।


अरविंद नेताम ने जानकारी दी कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाई है जिसमें कानूनी सलाह लेते हुए सालों से जेल में बंद आदिवासियों को जेल से रिहा किया जाएगा। इस कमेटी की बैठक 13 मई को रखी गई थी जिसमें 1141 मामलों पर चर्चा की गई बैठक में 340 प्रकरणों में 1552 आदिवासियों को शीघ्र करने का निर्णय भी लिया गया जानकारी के मुताबिक 4007 आदिवासी पिछले 16 -17 सालों से जेल में बंद बंद है वह इतने गरीब है कि उनकी जमानत कराने कोई आगे नहीं आ रहा है जमानत कराने को इसलिए भी आगे नहीं आता है कि उन्हें नक्सली समर्थक बनाकर बाद में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है जो संख्या बताई जा रही है वह केवल 8 जिलों के हैं अन्य जिले जैसे राजनांदगांव कवर्धा बलरामपुर अंबिकापुर सरगुजा गरियाबंद धमतरी आदि जिलो को शामिल नही किया गया। यही वजह है कि उन्होंने प्रदेश के सभी जिलों से आदिवासी समाज के प्रकरणों को बुलाकर समीक्षा किए जाने की बात कही है ओर वर्षों से जेलों में बंद आदिवासियों को रिहा करने की मांग की है
बाइट अरविंद नेताम , संरक्षक छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज


Body:नो


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