रायपुर: छत्तीसगढ़ समेत देशभर में साइबर फ्राड से जुड़ी वारदात खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. रोजाना थानों में साइबर क्राइम के मामले सामने आ रहे हैं. साइबर ठग अलग अलग माध्यमों से लोगों को चूना लगा रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि अब ठग नौकरी दिलाने के नाम पर भी लाखों रुपये ढकार रहे हैं. आखिर नौकरी दिलाने के नाम पर किस तरह की ठगी हो रही है. कैसे ठग इस वारदात को अंजाम देते हैं. ठगी करने वाले बदमाशों का ठिकाना कौन सा है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने आईपीएस मयंक गुर्जर से खास बातचीत की. आइये समझने की कोशिश करते हैं. cyber crime in chhattisgarh
सवालः नौकरी दिलाने के नाम पर कैसे होती है ठगी
जवाबः आप देखते हैं कि आजकल डेटा लीक बहुत हो रहे हैं. उससे साइबर फ्राड को बहुत से लोगों का कांटेक्ट मिल जाता है. जब उन्हें कॉन्टेक्ट इंफोर्मिशन मिल जाता है तो वे उन नंबर पर फोन कर हिडन ट्रायल करते हैं. इससे उन्हें पता चल जाता है कि किसी न किसी को नौकरी की आवश्यकता है. जिस व्यक्ति को नौकरी की आवश्यकता होती है. उसे साइबर फ्राड सबसे पहले विश्वास में लेते हैं और कहते हैं कि हम फलाने डॉट कॉम से बोल रहे हैं. फिर किसी भी कंपनी का नाम लेकर वहां जॉब दिलाने की बात करते हैं. फिर सैलरी कितनी मिलेगी.
इसकी जानकारी देने के बाद रजिस्ट्रेशन कराने की बात करते हैं. रजिस्ट्रेशन के लिए पैसे मांगते हैं. रजिस्ट्रेशन होने के बाद कुछ प्रक्रिया अधुरी होने का हवाला देते हुए और पैसों की मांग की जाती है. दूसरा तरीका ईमेल होता है. इसमें फर्जी मेल आईडी और कंपनी का नाम इस्तेमाल कर मेल किया जाता है. साथ ही भरोसा दिलाने के लिए फर्जी वेबसाइट भी बना लेते हैं. इसमें आपके एकाउंट की डिटेल भी मांगते हैं, ताकि जब आपका नौकरी लग जाए तो आपको सैलरी उस एकाउंट में मिल सके. इन्हीं तरीकों से बदमाश वारदात को अंजाम देते हैं.
सवालः देश के कौन-कौन से इलाके हैं, जहां से यह गैंग संचालित होता है.
जवाबः हम देखते हैं कि हरियाणा के मेवात और राजस्थान के भरतपुर इलाके के फ्राड इस वारदात को अंजाम देते हैं. पिछले कुछ समय से यह देखा गया है कि इसमें झारखंड के जामताड़ा और कोलकाता के कुछ इलाके के भी बदमाश इसमें शामलि हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे भी गैंग हैं जो भारत के बाहर से फ्राड कर रहे हैं. विदेशों से संचालित होने वाला यह गैंग भारत के गैंग से भी बेहतर तरीके से वारदात को अंजाम देते हैं. नौकरी के नाम पर ठगी दो तरह से हो रहा है. एक नेशनली और दूसरा इंटरनेशनली.
सवालः ऐसे फ्राड को रोकने के लिए रायपुर पुलिस की ओर से किस तरह की कार्रवाई की जाती है.
जवाबः अभी हाल ही में रायपुर एसएसपी के निर्देश पर सुनो रायपुर अभियान की शुरूआत हुई थी. उसमें कोशिश की गई की लोगों को अवेयर किया जाए. उसके अलावा गर्वमेंट ऑफ इंडिया के साइबर पोर्टल हैं. हमारे जितने भी साइबर से संबंधित थाने और पुलिस थाने हैं. उन सभी को निर्देश दिया गया है कि जब भी कोई ऐसी कंप्लेन आते हैं तो उनका सबसे पहले 24 से 48 घंटे के भी डिटेल देते हैं तो 1930 गर्वमेंट ऑफ इंडिया की हेल्प लाइन है, जो पहले 155, 260 थी. उसके थ्रू एमाउंट ब्लॉक करने की कोशिश की जा सकती है. दूसरी बात जब साइबर पोर्टल पर कंप्लेन चली जाती है तो संबंधित थानों के इसकी जानकारी दे देते हैं. इसके साथ ही सरकार ने जो पोर्टल बनाया है उसके अंदर अलग-अलग एंजेसीज है. इन एंजेसियों को भी जानकारी भेजी जाती है. उदारहरण के तौर पर यदि यहां कोई फ्राड हुआ है तो गर्वमेंट का जो डेटा बेस होता है तो उसका मिलान किया जाता है और देखा जाता है कि इस तरह का कोई और मामला आया है क्या.
सवालः साइबर ठगी को अंजाम देने वाले बदमाशों की क्वालिफिकेशन क्या होती है.
जवाबः देखिए शिक्षा दो प्रकार होती है. ऐसा मुझे लगता है. एक आप स्कूल कॉलेज में पढ़े होते हो. दूसरी शिक्षा जो आप ऑनलाइन से ले रहे हैं. शायद उनकी शिक्षा 10 वीं, 12 वीं तक भी हो सकती है. उससे ज्यादा भी पढ़े लिखे हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर बदमाश ऑनलाइन के माध्यम से ट्रेंड होते हैं. उनका एजुकेशन गैस करना मुश्किल हैं, लेकिन यह कह सकते हैं कि वे खुद से स्कील डेवलप करते हैं.
सवालः इस तरह के फ्राड से कैसा बचा जाए.
जवाबः सबसे पहले जो बच्चे फंसते हैं वे अमुमन छोटे कॉलेज के होते हैं. कई दफे यह भी होता है कि ये छोटे कॉलेज के डायरेक्टर से बात करते हैं कि हम प्लेसमेंट एजेंसी लेकर आ रहे हैं. तो सबसे पहले उसे वैरिफाई करना होगा. यदि रजिस्ट्रेशन के लिए भी बोला जाता है तो उसका भी वैरिफाई करें. साथ ही कोई भी कंपनी ऐसी नहीं है जो नौकरी देने के एवज में पैसों की मांग करें. फिशिंग लिंक्स यदि आपके पास आती है तो उसके स्पेलिंग चैक करें. उनके वापस रिवर्ट मेल कराएं. उनकी ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर. चाहें तो आप अपने नजदिकी पुलिस थाने में जाकर इंफर्म करें. वो आपकी जरूर मदद करेंगे.