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कोरोना के कहर में करोड़ों के निर्माण कार्य अटके, सूने पड़े कंस्ट्रक्शन साइट

लॉकडाउन ने लगभग हर सेक्टर को प्रभावित किया है. ऐसे में प्रदेश के निर्माण कार्य लगभग ठप पड़ गए हैं. मजदूरों की कमी के कारण कंस्ट्रक्शन साइट दोबारा शुरू नहीं हो पा रही हैं.

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Published : May 18, 2020, 2:55 AM IST

lockdown effect construction
लॉकडाउन में बंद पड़े काम

रायपुर: कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन ने लगभग हर सेक्टर को प्रभावित किया है. इस क्रम में मजदूरों की कमी ने प्रदेश में सरकारी और निजी निर्माण कार्यों को भी प्रभावित कर दिया है. लॉकडाउन के दौरान काम पूरी तरह से बंद थे. छूट मिलने के बाद अथक प्रयास भी अब इन कार्यों को तेजी नहीं दे पा रहे हैं. जिससे सरकारी-निजी ठेकेदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कंस्ट्रक्शन साइट में करोड़ों के निर्माण ठप

ऐसे में ठेकेदारों को आने वाले वक्त की चिंता सता रही है. राजधानी सहित प्रदेश भर में करोड़ों रुपए के काम अटके पड़े हैं. सरकार ने निर्माण कार्यों में छूट दी है. लेकिन ठेकेदारों की मानें तो कोविड-19 के लिए जारी गाइडलाइन के अनुसार काम करना बेहद मुश्किल है. इसके आलावा आने वाले वक्त मे मानसून दस्तक देगा. ऐसे में नए काम शुरू नहीं किए जा सकते. गर्मी के दिनों काम किए जाने थे. लेकिन कोरोना संकट ने काम पूरी तरह चौपट कर दिया है.

करोड़ों का घाटा

छत्तीसगढ़ में निर्माण कार्यों के आकड़ों पर बात की जाए तो करीब 13 हजार सरकारी और 50 हजार से ज्यादा निजी ठेकेदार हैं. लॉकडाउन में ये सेक्टर लगभग 30 हजार करोड़ का घाटा उठा रहा है. प्रदेश में सरकारी ठेके पर काम करने वाले नगरीय निकाय से लेकर लोक निर्माण विभाग, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, कृषि विभाग, पीएचई जैसी तमाम एजेंसियों में निर्माण कार्य बंद हो चुके हैं.

पढ़ें:बिलासपुर: तखतपुर में 6 हजार के करीब मजदूरों को क्वॉरेंटाइन करने की तैयारी

सरकारी विभागों के करीब 20 हजार करोड़ का काम अटका पड़ा है. जिससे छोटे-बड़े सभी सरकारी ठेकेदार प्रभावित हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ का रियल स्टेट कारोबार भी प्रभावित हो रहा है. यहां करीब 10 हजार करोड़ का निजी काम अटका हुआ है. जिससे प्रदेश के 50 हजार निजी काम करने वाले ठेकेदार प्रभावित हो रहे हैं.

मजदूरों की कमी

निर्माण सेक्टर सबसे ज्यादा मजदूरों की कमी के कारण प्रभावित हो रहे हैं. मजदूरों के बीच कोरोना और लॉकडाउन का डर बैठ गया है. बाहर से आए हुए मजदूर अपने घरों की ओर निकल रहे हैं. इसके साथ ही लोकल मजदूर भी डर के कारण काम नहीं करना चाह रहे हैं. ठेकेदार मजदूरों को रहने-खाने की व्यव्स्था भी दे रहे हैं, लेकिन अब मजदूर बिना रूके पलायन कर रहे हैं. बता दें की प्रदेश के निर्माण कार्यों में लगभग 15 लाख मजदूर थे. मजदूरों की कमी के आगे अब कंस्ट्रक्शन साइट घुटने टेक रहीं हैं.

सरकार से उम्मीद

बता दें कि ठंड और बरसात के बीच फरवरी से जुलाई का महीना निर्माण कार्यों की शुरूआत के लिए सबसे सुगम माना जाता है. ज्यादातर निर्माणकार्यों को इसी वक्त शुरू किया जाता है.लेकिन इस बार इन महीनों में कोरोना ने अपना कहर बरपाया है ऐसे में सरकारी-निजी ठेकेदारों को सरकार से मदद की उम्मीद है.

रायपुर: कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन ने लगभग हर सेक्टर को प्रभावित किया है. इस क्रम में मजदूरों की कमी ने प्रदेश में सरकारी और निजी निर्माण कार्यों को भी प्रभावित कर दिया है. लॉकडाउन के दौरान काम पूरी तरह से बंद थे. छूट मिलने के बाद अथक प्रयास भी अब इन कार्यों को तेजी नहीं दे पा रहे हैं. जिससे सरकारी-निजी ठेकेदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कंस्ट्रक्शन साइट में करोड़ों के निर्माण ठप

ऐसे में ठेकेदारों को आने वाले वक्त की चिंता सता रही है. राजधानी सहित प्रदेश भर में करोड़ों रुपए के काम अटके पड़े हैं. सरकार ने निर्माण कार्यों में छूट दी है. लेकिन ठेकेदारों की मानें तो कोविड-19 के लिए जारी गाइडलाइन के अनुसार काम करना बेहद मुश्किल है. इसके आलावा आने वाले वक्त मे मानसून दस्तक देगा. ऐसे में नए काम शुरू नहीं किए जा सकते. गर्मी के दिनों काम किए जाने थे. लेकिन कोरोना संकट ने काम पूरी तरह चौपट कर दिया है.

करोड़ों का घाटा

छत्तीसगढ़ में निर्माण कार्यों के आकड़ों पर बात की जाए तो करीब 13 हजार सरकारी और 50 हजार से ज्यादा निजी ठेकेदार हैं. लॉकडाउन में ये सेक्टर लगभग 30 हजार करोड़ का घाटा उठा रहा है. प्रदेश में सरकारी ठेके पर काम करने वाले नगरीय निकाय से लेकर लोक निर्माण विभाग, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, कृषि विभाग, पीएचई जैसी तमाम एजेंसियों में निर्माण कार्य बंद हो चुके हैं.

पढ़ें:बिलासपुर: तखतपुर में 6 हजार के करीब मजदूरों को क्वॉरेंटाइन करने की तैयारी

सरकारी विभागों के करीब 20 हजार करोड़ का काम अटका पड़ा है. जिससे छोटे-बड़े सभी सरकारी ठेकेदार प्रभावित हो रहे हैं. छत्तीसगढ़ का रियल स्टेट कारोबार भी प्रभावित हो रहा है. यहां करीब 10 हजार करोड़ का निजी काम अटका हुआ है. जिससे प्रदेश के 50 हजार निजी काम करने वाले ठेकेदार प्रभावित हो रहे हैं.

मजदूरों की कमी

निर्माण सेक्टर सबसे ज्यादा मजदूरों की कमी के कारण प्रभावित हो रहे हैं. मजदूरों के बीच कोरोना और लॉकडाउन का डर बैठ गया है. बाहर से आए हुए मजदूर अपने घरों की ओर निकल रहे हैं. इसके साथ ही लोकल मजदूर भी डर के कारण काम नहीं करना चाह रहे हैं. ठेकेदार मजदूरों को रहने-खाने की व्यव्स्था भी दे रहे हैं, लेकिन अब मजदूर बिना रूके पलायन कर रहे हैं. बता दें की प्रदेश के निर्माण कार्यों में लगभग 15 लाख मजदूर थे. मजदूरों की कमी के आगे अब कंस्ट्रक्शन साइट घुटने टेक रहीं हैं.

सरकार से उम्मीद

बता दें कि ठंड और बरसात के बीच फरवरी से जुलाई का महीना निर्माण कार्यों की शुरूआत के लिए सबसे सुगम माना जाता है. ज्यादातर निर्माणकार्यों को इसी वक्त शुरू किया जाता है.लेकिन इस बार इन महीनों में कोरोना ने अपना कहर बरपाया है ऐसे में सरकारी-निजी ठेकेदारों को सरकार से मदद की उम्मीद है.

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