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Special: जिनसे वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस, इस चुनाव में कहीं वो रूठ न जाएं - किसान

भूपेश बघेल ने सत्ता संभालते ही सबेस पहले घोषणा पत्र में किए वादे निभाए लेकिन इसे लेकर कई तरह के विवाद सामने आते रहे हैं.

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Published : Mar 14, 2019, 2:36 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनाने में किसानों का बड़ा योगदान है. इसकी वजह रही पार्टी के घोषणा-पत्र में किसानों की कर्ज माफी का वादा. भूपेश बघेल ने सत्ता संभालते ही सबेस पहले ये वादा निभाया लेकिन इसे लेकर कई तरह के विवाद सामने आते रहे हैं.

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पहले सरकार ने केवल सहकारी और ग्रामीण बैंकों के ही कर्जा माफ की घोषणा की थी, लेकिन बाद में अब राष्ट्रीयकृत बैंकों के भी कर्ज माफी का ऐलान हाल ही में किया गया है. कर्ज माफी के ऐलान के बाद भी किसानों का लोन माफ नहीं हो पाया है.


क्या कहते हैं किसान प्रतिनिधि
किसान प्रतिनिधियों ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले अगर सरकार पर विश्वास जताकर किसानों ने कर्ज माफी का सपना देखा था लेकिन अब तक पूरी तरह से कर्जा माफ न होने के कारण आने वाले लोकसभा चुनाव में विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है.


कहीं किसान न हो जाएं नाराज
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि किसानों को अब तक अपने कर्जा माफी की रकम नहीं मिली है और न ही उनका कर्जा माफ हो पाया है. उनका कहना है कि किसानों को सरकार से बड़ी उम्मीद है कि उनके कर्ज पर सरकार ने घोषणा तो कर दी है लेकिन कर्जमाफी अमल पर नहीं आ पाई है. अभी हाल ही में की गई इस घोषणा का फायदा किसान परिवारों को नहीं मिल पाया है. ऐसी स्थिति में किसानों की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी.


विपक्ष ने भी कसा तंज
भाजपा ने भी इसे लेकर तंज कसा है. बीजेपी ने कहा है कि राज्य सरकार पर सत्ता का काबिज करने के लिए कांग्रेस ने किसानों के साथ सिर्फ छलावा किया है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर किसानों का बड़ा वोट बैंक साधा है, लेकिन इसके बदले में किसानों को कर्जा माफी करने के मामले में छला गया है.


बीजेपी कह रही है कि अब लोकसभा चुनाव के पहले राष्ट्रीयकृत बैंकों से कर्ज माफ करने का ऐलान तो कर दिया गया है और यह भी केवल वोट बटोरने के लिए ही किया गया एलान दिख रहा है. पार्टी का आरोप है कि किसानों की कर्ज माफी को लेकर कांग्रेस की नीति साफ नहीं हो पाई है.


किसान चुनाव में थे बड़ा मुद्दा
किसान अपनी फसल के समर्थन मूल्य और कर्ज माफी के लिए परेशान थे और कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में कर्जा माफी करने और समर्थन मूल्य देने का भी वादा कर दिया था. हालांकि सत्ता मिलने के बाद कांग्रेस ने इन वादों को पूरा करने में देरी भी नहीं की है. लेकिन कर्ज माफी जैसे बड़े और उलझे हुए विषय पर राज्य सरकार को अमल पर लाना इतना आसान नहीं है.


यही वजह है कि पहले फेस में सरकार ने राज्य सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंकों के ही कर्जा माफ किए थे, तमाम पार्टियों के आरोपों के बाद हाल में ही राष्ट्रीयकृत बैंकों के भी कर्जमाफी करने के लिए ऐलान किया है. उसमें भी कई तरह की क्राइटेरिया तय किया गया है. इसे लेकर जहां एक तरफ किसान जनप्रतिनिधि नाराज दिख रहे हैं तो विपक्ष को भी मुद्दा मिला है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनाने में किसानों का बड़ा योगदान है. इसकी वजह रही पार्टी के घोषणा-पत्र में किसानों की कर्ज माफी का वादा. भूपेश बघेल ने सत्ता संभालते ही सबेस पहले ये वादा निभाया लेकिन इसे लेकर कई तरह के विवाद सामने आते रहे हैं.

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पहले सरकार ने केवल सहकारी और ग्रामीण बैंकों के ही कर्जा माफ की घोषणा की थी, लेकिन बाद में अब राष्ट्रीयकृत बैंकों के भी कर्ज माफी का ऐलान हाल ही में किया गया है. कर्ज माफी के ऐलान के बाद भी किसानों का लोन माफ नहीं हो पाया है.


क्या कहते हैं किसान प्रतिनिधि
किसान प्रतिनिधियों ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले अगर सरकार पर विश्वास जताकर किसानों ने कर्ज माफी का सपना देखा था लेकिन अब तक पूरी तरह से कर्जा माफ न होने के कारण आने वाले लोकसभा चुनाव में विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है.


कहीं किसान न हो जाएं नाराज
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि किसानों को अब तक अपने कर्जा माफी की रकम नहीं मिली है और न ही उनका कर्जा माफ हो पाया है. उनका कहना है कि किसानों को सरकार से बड़ी उम्मीद है कि उनके कर्ज पर सरकार ने घोषणा तो कर दी है लेकिन कर्जमाफी अमल पर नहीं आ पाई है. अभी हाल ही में की गई इस घोषणा का फायदा किसान परिवारों को नहीं मिल पाया है. ऐसी स्थिति में किसानों की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी.


विपक्ष ने भी कसा तंज
भाजपा ने भी इसे लेकर तंज कसा है. बीजेपी ने कहा है कि राज्य सरकार पर सत्ता का काबिज करने के लिए कांग्रेस ने किसानों के साथ सिर्फ छलावा किया है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर किसानों का बड़ा वोट बैंक साधा है, लेकिन इसके बदले में किसानों को कर्जा माफी करने के मामले में छला गया है.


बीजेपी कह रही है कि अब लोकसभा चुनाव के पहले राष्ट्रीयकृत बैंकों से कर्ज माफ करने का ऐलान तो कर दिया गया है और यह भी केवल वोट बटोरने के लिए ही किया गया एलान दिख रहा है. पार्टी का आरोप है कि किसानों की कर्ज माफी को लेकर कांग्रेस की नीति साफ नहीं हो पाई है.


किसान चुनाव में थे बड़ा मुद्दा
किसान अपनी फसल के समर्थन मूल्य और कर्ज माफी के लिए परेशान थे और कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में कर्जा माफी करने और समर्थन मूल्य देने का भी वादा कर दिया था. हालांकि सत्ता मिलने के बाद कांग्रेस ने इन वादों को पूरा करने में देरी भी नहीं की है. लेकिन कर्ज माफी जैसे बड़े और उलझे हुए विषय पर राज्य सरकार को अमल पर लाना इतना आसान नहीं है.


यही वजह है कि पहले फेस में सरकार ने राज्य सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंकों के ही कर्जा माफ किए थे, तमाम पार्टियों के आरोपों के बाद हाल में ही राष्ट्रीयकृत बैंकों के भी कर्जमाफी करने के लिए ऐलान किया है. उसमें भी कई तरह की क्राइटेरिया तय किया गया है. इसे लेकर जहां एक तरफ किसान जनप्रतिनिधि नाराज दिख रहे हैं तो विपक्ष को भी मुद्दा मिला है.

Intro:छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार सत्ता संभालने के बाद ही चुनाव से पहले किसानों की हमदर्द बनकर उनका विश्वास अर्जित करने में सफल रही है । सत्ता संभालने के बाद ही सबसे पहले किसानों के कर्ज माफी को लेकर ऐलान तो किया गया था लेकिन इसमें कई तरह के विवाद आते रहे हैं। पहले सरकार ने केवल सहकारी और ग्रामीण बैंकों के ही कर्जा माफ की घोषणा की थी, लेकिन बाद में अब राष्ट्रीय कृत बैंकों के भी कर्ज माफी का ऐलान हाल ही में किया गया है। कर्जा माफी के ऐलान के बाद भी किसानों को कर्जा माफ नहीं हो पाया है। किसान प्रतिनिधियों ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले यदि सरकार पर विश्वास जताकर किसानों ने कर्ज माफी का सपना देखा था लेकिन अब तक पूरी तरह से कर्जा माफ ना होने के कारण आने वाले चुनाव में विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है वहीं से लेकर भाजपा ने भी इसे लेकर तंज कसा है।


Body:धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में किसान ही सबसे बड़ा मुद्दा बन कर बढ़ते रहे हैं हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में किसानों के लिए फेका गया पासा कांग्रेस को बहुत सूट हुआ। दरअसल पिछले 5 साल से किसान अपनी फसल के समर्थन मूल्य और कर्ज माफी से परेशान थे और कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में कर्जा माफी करने और समर्थन मूल्य देने का भी वादा कर दिया था। हालांकि सत्ता मिलने के बाद कांग्रेस ने इन वादों को पूरा करने में देरी भी नहीं की है। लेकिन कर्जा माफी जैसे बड़े और उलझे हुए विषय पर राज्य सरकार को अमल पर लाना इतना आसान नहीं है । यही वजह है कि पहले फेस में सरकार ने राज्य सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंकों के ही कर्जा माफ किए थे। तमाम पार्टियों के आरोपों के बाद हाल में ही राष्ट्रीयकृत बैंकों के भी कर्जमाफी करने के लिए ऐलान किया है। उसमें भी कई तरह की क्राइटेरिया तय किया गया है । इसे लेकर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि किसानों को अब तक अपने कर्जा माफी की रकम नहीं मिली है और ना ही उनका कर्जा माफ हो पाया है। उनका कहना है कि किसानों को सरकार से बड़ी उम्मीद है कि उनके कर्ज पर सरकार ने घोषणा तो कर दी है लेकिन कर्जमाफी अमल पर नहीं आ पाई है। अभी हाल ही में की गई इस घोषणा का फायदा किसान परिवारों को नहीं मिल पाया है। ऐसी स्थिति में किसानों की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी।

बाइट- जागेश्वर प्रसाद संरक्षक छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा

वहीं दूसरी ओर विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने भी राज्य सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भाजपा ने कहा है कि राज्य सरकार पर सत्ता का काबिज करने के लिए कांग्रेस नहीं किसानों के साथ केवल छलावा किया है । मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर किसानों का बड़ा वोट बैंक साधा है, लेकिन इसके बदले में किसानों को कर्जा माफी करने के मामले में छला गया है। अब लोकसभा चुनाव के पहले राष्ट्रीय कृत बैंकों से कर्जा माफ करने का ऐलान तो कर दिया गया है और यह भी केवल वोट बटोरने के लिए ही किया गया एलान दिख रहा है ।क्योंकि किसानों के कर्ज माफी को लेकर अभी भी नीति साफ नहीं हो पाई है।

बाइट- संजय श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता, भारतीय जनता पार्टी


Conclusion:कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को 65 के टारगेट से खींचकर 15 सीटों में लाने का श्रेय कहीं ना कहीं प्रदेश के नाराज किसानों को भी जाता है । और यही वह वोट बैंक है जिन पर कांग्रेस ने सेंधमारी की थी। किसानों को विश्वास में लाने के लिए कांग्रेस ने बड़े बड़े ऐलान तो कर दिए हैं लेकिन जमीनी हकीकत तो पूरी तरह से अभी भी साफ नहीं हो पाई है और यही हालात रहे तो आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मुसीबतें कम नहीं होगी।

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
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