रायपुर: जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने रायपुर के पास बोरियाकला में नवग्रह वाटिका और नक्षत्र वाटिका का भूमिपूजन किया. स्वरूपानंद सरस्वती ने इस अवसर पर कहा कि पर्यावरण को शुद्ध करने का एकमात्र माध्यम वृक्ष है. उन्होंने कहा कि वृक्षों से पर्यावरण की शुद्धि होती है. देश में जल मलीन हो गया है इसलिए आज लोगों ने बोतल का पानी पीना शुरू कर दिया है. हो सकता है आने वाले समय में पानी की बोतल के जैसे ही लोगों को आक्सीजन सिलेंडर लेने की जरूरत पड़े.
10 एकड़ में लगाए जाएंगे पौधे
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में लगभग 10 एकड़ में विकसित की जा रही नक्षत्र वाटिका से पूरे देश को पेड़-पौधों के महत्व और पेड़-पौधे लगाने की आवश्यकता के संबंध में अच्छा संदेश जाएगा. सरस्वती ने राज्य सरकार के ’नरवा, गरवा, घुरुवा अउ बारी’ योजना की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने घुरवा यानी घुरे-कचड़े से जैविक खाद बनाने की योजना प्रारंभ की है, जो शुद्ध अनाज और सब्जियों की पैदावार के लिए आज बेहद जरूरी हो गया है.
वैज्ञानिक पद्धति से रोपे जाएंगे पौधे
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस वाटिका में 27 नक्षत्रों और नवग्रहों से जुड़े पौधे वैज्ञानिक पद्धति से रोपे जाएंगे. उन्होंने कहा कि जगदगुरु का आशीर्वाद छत्तीसगढ़ पर है और आगे भी बना रहेगा. वे जब भी छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आते हैं, तो बोरियाकला जरूर आते हैं. आज उनके हाथों से वाटिका विकसित करने की शुरुआत हुई है. इसके साथ ही उन्होंने ग्रामीणों की मांग पर बोरियाकला में भव्य मंगल भवन निर्माण की घोषणा भी की है.
ऐसी होगी वाटिका
- नवग्रह वाटिका में ग्रहों के अनुसार पौधे रोपे जाएंगे, जो इस प्रकार होंगे - सूर्य-मदार, चन्द्र-पलास, मंगल-खैर, बुध-अपामार्ग, बृहस्पति-पीपल, शुक्र-गूलर, शनि-शमी, राहु-दूब, केतु-कुश.
- इसी प्रकार नक्षत्र वाटिका में नक्षत्रों के अनुसार इस प्रकार पौधे लगाए जाएंगे- अश्विनी-कुचिला, भरणी-आंवला, कृतिका-गूलर, रोहिणी-जामुन, मृगशिरा-खैर, आद्रा-काला तेंदू, पुनर्वसु-बांस, पुष्य-पीपल, आश्लेषा-नागकेसर, मघा-बरगद, पू. फाल्गुनी-ढाक, उ. फाल्गुनी-पाकड़, हस्त-रीठा, चित्रा-बेल, स्वाती-अर्जुन, विशाखा-कटाई, अनुराधा-मौलश्री, ज्येष्ठा-चीड़, मूला-साल, पर्वाषाढ़ा-जलवेतस, उत्तराषाढ़ा-कटलहल, श्रवण-मदार, धनिष्ठा-शमी, शतभिषक-कदम्ब, पू. भाद्रपद-आम, उ. भाद्रपद-नीम, रेवती-महुआ.
- वन विभाग द्वारा भव्य वाटिका विकसित की जाएगी. इस वाटिका में लोगों के लिए योग और प्राणायाम की व्यवस्था ही जाएगी.