ETV Bharat / state

आदिवासी आरक्षण कटौती के लिये रमन सरकार है जिम्मेदार : कांग्रेस

छत्तीसगढ़ में आरक्षण कटौती का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. भाजपा राज्य सरकार को घेर रही है. वहीं कांग्रेस रमन सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस का पीसी
छत्तीसगढ़ कांग्रेस का पीसी
author img

By

Published : Oct 8, 2022, 7:25 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में आरक्षण कटौती के मुद्दे पर शनिवार को कांग्रेस ने प्रेसवार्ता की. इसमें तीन मंत्री कवासी लखमा, प्रेमसाय सिंह टेकाम और अनिला भेड़िया शामिल रहे. छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि ''भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार की बदनीयती और लापरवाही के कारण आरक्षण के खिलाफ फैसला आया है. भाजपा इस मामले में चक्काजाम और आंदोलन की नौटंकी कर रही है. भाजपा के नेताओं में थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो वे अपनी पूर्ववर्ती सरकार की गलती के लिये राज्य के आदिवासी समाज से माफी मांगे.''

छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने यह भी कहा कि ''कांग्रेस सरकार आदिवासी समाज को उनका पूरा हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारी सरकार बिलासपुर हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय गई है. हमें पूरा भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा. हमने हाईकोर्ट में दमदारी से लड़ाई लड़ी थी. हमारे महाधिवक्ता ने आरक्षण को बढ़ाने के पक्ष में दलीलें रखी लेकिन पूर्ववर्ती रमन सरकार ने मुकदमें की शुरूआत में जो लापरवाही बरती, उसका नुकसान आदिवासी समाज को उठाना पड़ा. पूर्ववर्ती रमन सरकार की लापरवाही के कारण हाईकोर्ट में 58 प्रतिशत आरक्षण रद्द हुआ. रमन सरकार ने 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था. 2012 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.''

मंत्री कवासी लखमा ने कहा की ''आरक्षण मामले पर भाजपा का खाने का दांत अलग और दिखाने का दांत अलग है. भाजपा आदिवासी को आरक्षण मामले पर भड़काने का काम कर रही है. आरएसएस के मोहन भागवत ने यहां आकर बंद कमरे में कहा है कि आदिवासियों को भड़काओ, लखमा ने कहा कि हम आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण दिलाकर रहेंगे.''

यह भी पढ़ें: CG Topper Helicopter Ride: हेलीकॉप्टर में घूमने के बाद छात्रों ने कहा- नीचे से दुनिया सुंदर, ऊपर से और भी सुंदर

मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने कहा कि ''तत्कालीन रमन सरकार अपने इस दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पाई. हमारी सरकार ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 27 प्रतिशत किया है तो हम उसके लिये क्वांटी फायबल डाटा आयोग बना कर पिछड़ा वर्ग की राज्य में जनगणना करवा रहे हैं. हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण है. अरूणाचल, मिजोरम, मेघालय जैसे राज्यों में अनुसूचित जाति वर्ग को 80 प्रतिशत आरक्षण है. आरक्षण रद्द किये जाने का विपरीत प्रभाव अब तक हुये एडमिशन में न पड़े और भर्तियां हुई है इस पर न पड़े, इसके लिये अदालत से विशेष निवेदन किया गया है.''

मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने कहा कि '' अदालत ने हमारा निवेदन माना भी है. इस फैसले का अबतक की भर्तियों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हमारा मानना है कि राज्य के सभी वंचित वर्ग को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाए. एससी के आरक्षण में कटौती न हो, एसटी को पूरा आरक्षण मिले, ओबीसी को पूरा मिले. रमन सरकार ने यही सावधानी नहीं बरती थी.''

मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि ''आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में 2010 में मंत्रिमंडलीय समिति का भी गठन किया था. रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं कि,या जिसका परिणाम है कि अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया.''

पत्रकार वार्ता के पहले यह सभी नेता सर्व आदिवासी समाज की ओर से आयोजित बैठक में शामिल हुए थे. जिसमें आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर चर्चा की गई. यह बैठक कृषि विश्वविद्यालय में रखी गई थी. बैठक के बाद कांग्रेस ने एक पत्रकार वार्ता लेकर बैठक में की गई चर्चा की विस्तृत जानकारी दी.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में आरक्षण कटौती के मुद्दे पर शनिवार को कांग्रेस ने प्रेसवार्ता की. इसमें तीन मंत्री कवासी लखमा, प्रेमसाय सिंह टेकाम और अनिला भेड़िया शामिल रहे. छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि ''भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार की बदनीयती और लापरवाही के कारण आरक्षण के खिलाफ फैसला आया है. भाजपा इस मामले में चक्काजाम और आंदोलन की नौटंकी कर रही है. भाजपा के नेताओं में थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो वे अपनी पूर्ववर्ती सरकार की गलती के लिये राज्य के आदिवासी समाज से माफी मांगे.''

छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने यह भी कहा कि ''कांग्रेस सरकार आदिवासी समाज को उनका पूरा हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारी सरकार बिलासपुर हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय गई है. हमें पूरा भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा. हमने हाईकोर्ट में दमदारी से लड़ाई लड़ी थी. हमारे महाधिवक्ता ने आरक्षण को बढ़ाने के पक्ष में दलीलें रखी लेकिन पूर्ववर्ती रमन सरकार ने मुकदमें की शुरूआत में जो लापरवाही बरती, उसका नुकसान आदिवासी समाज को उठाना पड़ा. पूर्ववर्ती रमन सरकार की लापरवाही के कारण हाईकोर्ट में 58 प्रतिशत आरक्षण रद्द हुआ. रमन सरकार ने 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था. 2012 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.''

मंत्री कवासी लखमा ने कहा की ''आरक्षण मामले पर भाजपा का खाने का दांत अलग और दिखाने का दांत अलग है. भाजपा आदिवासी को आरक्षण मामले पर भड़काने का काम कर रही है. आरएसएस के मोहन भागवत ने यहां आकर बंद कमरे में कहा है कि आदिवासियों को भड़काओ, लखमा ने कहा कि हम आदिवासियों को 32 प्रतिशत आरक्षण दिलाकर रहेंगे.''

यह भी पढ़ें: CG Topper Helicopter Ride: हेलीकॉप्टर में घूमने के बाद छात्रों ने कहा- नीचे से दुनिया सुंदर, ऊपर से और भी सुंदर

मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने कहा कि ''तत्कालीन रमन सरकार अपने इस दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पाई. हमारी सरकार ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण को 27 प्रतिशत किया है तो हम उसके लिये क्वांटी फायबल डाटा आयोग बना कर पिछड़ा वर्ग की राज्य में जनगणना करवा रहे हैं. हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण है. अरूणाचल, मिजोरम, मेघालय जैसे राज्यों में अनुसूचित जाति वर्ग को 80 प्रतिशत आरक्षण है. आरक्षण रद्द किये जाने का विपरीत प्रभाव अब तक हुये एडमिशन में न पड़े और भर्तियां हुई है इस पर न पड़े, इसके लिये अदालत से विशेष निवेदन किया गया है.''

मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने कहा कि '' अदालत ने हमारा निवेदन माना भी है. इस फैसले का अबतक की भर्तियों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हमारा मानना है कि राज्य के सभी वंचित वर्ग को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाए. एससी के आरक्षण में कटौती न हो, एसटी को पूरा आरक्षण मिले, ओबीसी को पूरा मिले. रमन सरकार ने यही सावधानी नहीं बरती थी.''

मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा कि ''आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में 2010 में मंत्रिमंडलीय समिति का भी गठन किया था. रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं कि,या जिसका परिणाम है कि अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया.''

पत्रकार वार्ता के पहले यह सभी नेता सर्व आदिवासी समाज की ओर से आयोजित बैठक में शामिल हुए थे. जिसमें आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर चर्चा की गई. यह बैठक कृषि विश्वविद्यालय में रखी गई थी. बैठक के बाद कांग्रेस ने एक पत्रकार वार्ता लेकर बैठक में की गई चर्चा की विस्तृत जानकारी दी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.