रायपुर : प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने आरक्षण विधेयक को लेकर बयान दिया है. शुक्ला ने राज्यपाल के आरक्षण विधेयक को लेकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलकर पूछने को सही नहीं बताया Congress objected to Governors statement है. सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि '' आरक्षण संशोधन विधेयक पर राज्यपाल राजनीति कर रहीं हैं जो उचित नहीं है. राज्यपाल प्रधानमंत्री से मिले केंद्रीय गृह मंत्री से मिले यह उनका अपना विवेक और दायित्व है. लेकिन किसी विधेयक पर प्रधानमंत्री से मिलूंगी, गृहमंत्री से मिलूंगी उनसे राय लूंगी कहना उचित नहीं Governors statement on reservation bill है. राज्यपाल बयान दे रही कि वे विधेयक के संदर्भ में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से चर्चा करूंगी. यह बयान संविधान की मंशा के विपरीत है. राज्य की विधानसभा स्वतंत्र होती है. यदि किसी विधेयक को विधानसभा ने पारित किया है. तो उस पर हस्ताक्षर के पहले प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृह मंत्री की राय लेने का कोई प्रावधान नहीं है.
चुनी हुई सरकार बना सकती है कानून : सुशील आनंद शुक्ला Sushil Anand Shukla ने कहा कि '' आरक्षण विधेयक पर टालमटोल अपनाया जाना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है. प्रजातंत्र में जनकल्याण के लिये कानून बनाने का अधिकार चुनी हुई सरकार को है. छत्तीसगढ़ की दो तिहाई बहुमत से चुनी हुई सरकार के मंत्रिमंडल में आरक्षण संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार कर छत्तीसगढ़ की विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित करके राजभवन भेजा है. अतः जनहित में इस विधेयक पर तत्काल हस्ताक्षर होना चाहिये.राज्यपाल को आरक्षण संशोधन विधेयक Reservation Amendment Bill पर किसी प्रकार की आशंका है तो वे अपने सवालों के साथ विधेयक को राज्य सरकार के पास वापस भेजे. राज्यपाल के द्वारा बिना विधेयक वापस किए. सिर्फ सवालों को भेजा जाना यह साबित करता है कि राजभवन विधेयक को लेकर सिर्फ राजनीति कर रहा है. यदि मंशा विधेयक के शीघ्र कानून बनाने को होती तो इसमें अनावश्यक अडंगेबाजी नहीं की जाती.''
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सभी वर्गों को ध्यान में रखकर बना विधेयक : सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि '' यह विधेयक राज्य के सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इस विधेयक में सभी वर्ग के लोगों को उनकी आबादी के अनुपात में तथा उनके सामाजिक और आर्थिक हालात के अनुसार भागीदारी सुनिश्चित करने का काम किया गया है. राज्यपाल यदि आरक्षण विधेयक के किसी प्रावधान से असहमत है अथवा उसमें उनको किसी प्रकार की आशंका है तो उन प्रश्नों को विधेयक के साथ राज्य सरकार को वापस भेज देना चाहिए ताकि राज्य सरकार राज्यपाल के प्रश्नों का समाधान करें. क्योंकि इस विधेयक में एक भी शब्द जोड़ने और करने का अधिकार राज्यपाल के पास नहीं है जो भी संशोधन होगा वह राज्य सरकार करेगी. फिर विधेयक को राजभवन ने क्यों रोका है? ''reservation bill in chhattisgarh