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SPECIAL: UPA के बनाए इस कानून के खिलाफ खड़ी हुई कांग्रेस - केंद्रीय गृह मंत्रालय

कांग्रेस ने NIA खिलाफ बुधवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

Congress filed petition against NIA in Supreme Court in raipur
NIA के खिलाफ खड़ी हुई कांग्रेस
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Published : Jan 15, 2020, 11:37 PM IST

Updated : Jan 16, 2020, 7:43 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून (NIA एक्ट) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 यानी एनआईए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है. ये कानून साल 2008 में यूपीए सरकार द्वारा बनाया गया था. देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने एनआईए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

UPA के बनाए इस कानून के खिलाफ खड़ी हुई कांग्रेस

साल 2013 में झीरम घाटी में हुए हमले की जांच एनआईए कर रही है. भीमा मंडावी का केस एनआईए को हैंडओवर अभी नहीं हुआ है कि हाईकोर्ट ने इसका आदेश दे दिया है, जिससे प्रदेश की कांग्रेस सरकार खफा है.

छत्तीसगढ़ के कौन से मामले की जांच कर रही है NIA ?
साल 2013 में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की झीरम घाटी में बड़ा नक्सली हमला हुआ था. इस हमले में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 27 मई 2013 को इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी. इस हमले में अलग-अलग कॉडर के 88 नक्सलियों का हाथ बताया गया था. छत्तीसगढ़ सरकार इस मामले में एनआईए जांच से संतुष्ट नहीं है और केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी कि इस हमले की जांच राज्य सरकार एसआईटी द्वारा कराएगी.

क्यों खफा हुई छत्तीसगढ़ सरकार
पिछले दिनों भीमा मंडावी हत्याकांड मामले की भी जांच का अधिकार राज्य सरकार से छीन कर हाईकोर्ट ने एनआईए को सौंप दिया था.
मामले को लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में भी रिट अपील दायर की थी, जहां फिर से हाईकोर्ट ने एनआईए के अधिकारों का हवाला देते हुए मामले की जांच का जिम्मा सौंप दिया था.
इससे सरकार की बहुत फजीहत हुई थी. हाईकोर्ट में हार के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका में क्या है
छत्तीसगढ़ सरकार ने एनआईए कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि, 'एजेंसी राज्य सरकार की पुलिस के मामले में दखल नहीं दे सकती.
याचिका में राज्य सरकार ने कहा है कि, 'किसी भी मामले की जांच का अधिकार एनआईए को नहीं मिलना चाहिए'.
राज्य सरकार ने याचिका में कहा है कि, 'केंद्र सरकार किसी भी मामले में मनमाने तरीके से एनआईए जांच करवाती है. इस कारण राज्य सरकार के अधिकारों का हनन होता है'.
याचिका में राज्य सरकार के अधिकारों का भी हवाला दिया गया है.

किस अनुच्छेद के तहत दायर की याचिका
छत्तीसगढ़ सरकार ने केरल सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दिए जाने के एक दिन बाद यह याचिका दायर की है. छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत यह याचिका दायर की है. अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के साथ विवाद के मामले में राज्य सीधे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है. साथ ही कोर्ट को फैसला सुनाने का भी अधिकार मिलता है.

क्यों हुआ था NIA का गठन
आतंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों के अन्वेषण के लिए एनआईए का गठन किया गया था.
सीबीआई आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है.

कब गठित हुई थी NIA
मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2008 में एक विधेयक लाकर एनआईए का गठन किया था.

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून (NIA एक्ट) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 यानी एनआईए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है. ये कानून साल 2008 में यूपीए सरकार द्वारा बनाया गया था. देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने एनआईए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

UPA के बनाए इस कानून के खिलाफ खड़ी हुई कांग्रेस

साल 2013 में झीरम घाटी में हुए हमले की जांच एनआईए कर रही है. भीमा मंडावी का केस एनआईए को हैंडओवर अभी नहीं हुआ है कि हाईकोर्ट ने इसका आदेश दे दिया है, जिससे प्रदेश की कांग्रेस सरकार खफा है.

छत्तीसगढ़ के कौन से मामले की जांच कर रही है NIA ?
साल 2013 में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की झीरम घाटी में बड़ा नक्सली हमला हुआ था. इस हमले में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 27 मई 2013 को इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी. इस हमले में अलग-अलग कॉडर के 88 नक्सलियों का हाथ बताया गया था. छत्तीसगढ़ सरकार इस मामले में एनआईए जांच से संतुष्ट नहीं है और केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी कि इस हमले की जांच राज्य सरकार एसआईटी द्वारा कराएगी.

क्यों खफा हुई छत्तीसगढ़ सरकार
पिछले दिनों भीमा मंडावी हत्याकांड मामले की भी जांच का अधिकार राज्य सरकार से छीन कर हाईकोर्ट ने एनआईए को सौंप दिया था.
मामले को लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में भी रिट अपील दायर की थी, जहां फिर से हाईकोर्ट ने एनआईए के अधिकारों का हवाला देते हुए मामले की जांच का जिम्मा सौंप दिया था.
इससे सरकार की बहुत फजीहत हुई थी. हाईकोर्ट में हार के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका में क्या है
छत्तीसगढ़ सरकार ने एनआईए कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि, 'एजेंसी राज्य सरकार की पुलिस के मामले में दखल नहीं दे सकती.
याचिका में राज्य सरकार ने कहा है कि, 'किसी भी मामले की जांच का अधिकार एनआईए को नहीं मिलना चाहिए'.
राज्य सरकार ने याचिका में कहा है कि, 'केंद्र सरकार किसी भी मामले में मनमाने तरीके से एनआईए जांच करवाती है. इस कारण राज्य सरकार के अधिकारों का हनन होता है'.
याचिका में राज्य सरकार के अधिकारों का भी हवाला दिया गया है.

किस अनुच्छेद के तहत दायर की याचिका
छत्तीसगढ़ सरकार ने केरल सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दिए जाने के एक दिन बाद यह याचिका दायर की है. छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत यह याचिका दायर की है. अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के साथ विवाद के मामले में राज्य सीधे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है. साथ ही कोर्ट को फैसला सुनाने का भी अधिकार मिलता है.

क्यों हुआ था NIA का गठन
आतंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों के अन्वेषण के लिए एनआईए का गठन किया गया था.
सीबीआई आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है.

कब गठित हुई थी NIA
मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2008 में एक विधेयक लाकर एनआईए का गठन किया था.

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NIA


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Last Updated : Jan 16, 2020, 7:43 AM IST
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